हाथ से मैला सफाई को समाप्त करना समय की जरूरत है : हरदीप सिंह पुरी
सतत स्वच्छता पर राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का आयोजन
नई दिल्ली । केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार हाथ से मैला साफ करने वाले मेहतर के रूप में नियुक्ति निरोध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 के माध्यम से हाथ से मैला साफ करने की प्रथा का उन्मूलन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। दिल्ली में सामाजिक न्याय और अधिकारिता तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सतत स्वच्छता पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रदर्शनी के अवसर पर बोल रहे थे। आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी इसी मंत्रालय के सचिव दुर्गाप्रसाद मिश्रा,सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में सचिव नीलम साहनी, प्रमुख सचिव (शहरी विकास), राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में अमृत और स्वच्छ भारत मिशन/शहरी के मिशन निदेशक और 500 से अधिक प्रतिनिधि तथा दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी इस कार्यशाला में उपस्थित थे।
गहलोत ने कहा कि सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से यांत्रिक सफाई और सीवर तथा सेप्टिक टैंकों में मनुष्य के प्रवेश को रोकने पर जोर दे रही है। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) के माध्यम से इन कर्मियों का औपचारिक रूप से अनुदान वितरण, ऋण के प्रावधान, आजीविका प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से एकीकरण किया जा रहा है। मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि इस कार्यशाला और प्रदर्शनी में आज सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई से होने वाली मौतों को रोकने के लिए विभिन्न उपायों, सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और उपलब्ध प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जायेगा। स्वच्छ भारत वास्तव में स्वच्छ भारत की दिशा में पहला कदम है।
यांत्रिक सफाई को बढ़ावा देकर खतरनाक हाथ से मैला सफाई को समाप्त करना समय की जरूरत है : हरदीप सिंह पुरी
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने सीवर और सेप्टिक टैंकों की यांत्रिक सफाई के लिए कुशल प्रणालियों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लगातार प्रयास किये हैं। मंत्रालय ने सतत स्वच्छता के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाये के लिए कई पहल की हैं- सीवरेज़ और सीवेज़ ट्रीटमेंट सिस्टम (2013) पर सीपीएचईईओ मैनुअल के रूप में दस्तावज़ों का प्रकाशन और सीवर और सेप्टिक टैंक (2018) की सफाई के लिए मानक संचालन प्रक्रिया या वैश्विक प्रौद्योगिकी चुनौती का आयोजन इन प्रयासों में शामिल हैं।