खुशहाली में पिछड़ रहा भारत
यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज हमारे समाज में कोई भी खुश नही है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी वर्ष 2019 की वल्र्ड हैप्पीनेस (विश्व खुशहाली) की रिपोर्ट में 156 देशों की सूची में हमारा देश भारत 140वें स्थान पर है। इस से पहले वर्ष 2018 में 133वें स्थान पर, वर्ष 2017 में 122वें तथा वर्ष 2016 में भारत 118वें स्थान पर रहा। फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार हमारे पडोसी देश पाकिस्तान 67वें और चीन 93वें स्थान पर है।
शिमला। प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड में हमारे समाज ने रुपया-पैसा, सोना-चाँदी, जमीन-जायदाद आदि संम्पत्ति को ही जीवन मान लिया है। लोगों के जीवन का लक्ष्य पैसा कमाना और उसका अधिक से अधिक संचय कर सुख व सुविधाओं का उपभोग करना ही रह गया है। जिसके चलते न तो किसी के पास समय है और न ही कोई खुश है। सब लोग धन-संम्पति के पीछे परेशान है, सभी लोग सिर्फ अपने बारे मे ही सोचने में लगे है। हमारी सामाजिक संरचना कमजोर होती जा रही है। स्तर यह है कि यदि आपके पास रुपया-पैसा व सुख-सुविधाएं नही है तो कोई भी आप के साथ रहना पसन्द नहीं करेगा।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज हमारे समाज में कोई भी खुश नही है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी वर्ष 2019 की वल्र्ड हैप्पीनेस (विश्व खुशहाली) की रिपोर्ट में 156 देशों की सूची में हमारा देश भारत 140वें स्थान पर है। इस से पहले वर्ष 2018 में 133वें स्थान पर, वर्ष 2017 में 122वें तथा वर्ष 2016 में भारत 118वें स्थान पर रहा। फिनलैंड को दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार हमारे पडोसी देश पाकिस्तान 67वें और चीन 93वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में समग्र विश्व खुशहाली में गिरावट आयी है।
भारत की खुशहाली में निरंतर गिरावट से बढ़ती जा रही है, यह एक गंभीर विषय है। भारतीय समाज आज तनाव के दौर से गुजर रहा है। खुशहाली (हैप्पीनेस) किसी भी देश विकास के लिए अनिवार्य है, यह समाज की संपन्नता और समृद्धि को दर्शाता है। खुशी के बिना हर प्रकार का विकास अधूरा है। महिला सुरक्षा और रोजगार जैसी समस्याएं देश का सुख-चैन छीन रही हैं। हमारे लोग खुद को खुश महसूस नही करते, आखिर देशवासियों की चिंता, उदासी, क्रोध व नकारात्मक भावनाओं का मूल कारण क्या है?
हमें अपनी परिस्थितियों को गंभीरता से देखने की जरूरत है। अपने ऊपर विश्वास करते हुए अपने निर्णयों के पुनरावलोकन की आवश्यकता है। हम परस्पर सहयोग, प्रेम व भाईचारे से ही इस विकराल होती परिस्थिति से निपट सकते है, बशर्ते कि हम अपने ऊपर नियंत्रण और विश्वास दोनों कायम रखें। क्योकि जिन्दगी बहुत शांत, आसान व खूबसूरत है अगर लोग सिर्फ अपने कार्यो में सम्पूर्ण श्रद्धा से मन लगाए।
हितेन्द्र शर्मा
कुमारसैन, शिमला (हिमाचल)