फ्लैश बैक - अब तक कुम्भ राशि के 3 नेता ही दूसरी बार जीतकर बने है सांसद

वैसे तो 17 बार लोकसभा सीट के लिए मुज़फ्फरनगर सीट पर चुनाव हो चुका है लेकिन 3 ही नेता दूसरी बार जीतकर सांसद बन पाए है

Update: 2022-09-09 10:46 GMT

मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर वैसे तो 17 बार लोकसभा का चुनाव हो चुका है लेकिन तीन बार इस लोकसभा सीट पर लगातार दो बार सांसद बनने का रिकॉर्ड 3 लोगों के नाम पर ही दर्ज है। इनमें से कांग्रेस के टिकट पर जीते सुमित प्रसाद, भाजपा के टिकट पर जीते सोहनवीर सिंह और संजीव बालियान का नाम आता है। इस जीत में इत्तेफ़ाक़ कि यह भी है कि इन तीनों सांसदों की राशि कुम्भ है। तो कुम्भ राशि के इन तीन सांसदों द्वारा लगातार दो बार जीतने पर पढ़िए खोजी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट।

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर वैसे तो कभी कांग्रेस तो कभी जनता दल , सीपीआई तो कभी भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन इस लोकसभा सीट पर तीन ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार दूसरी बार इस लोकसभा सीट को जीतने का काम किया है। ऐसा करने वालों में एक बार कांग्रेस तो दो बार भारतीय जनता पार्टी के सांसद है । सबसे पहले 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सुमत प्रसाद दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इसके बाद 1996 व 1998 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सोहनवीर सिंह दो बार चुनाव जीते हैं, हालांकि दोनों बार ही उनका लोकसभा का कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया था। दोनों बार मध्यावधि चुनाव हुए थे। तीसरे नेता के रूप में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले तीसरे नेता संजीव बालियान है। 2014 और 2019 के इलेक्शन में संजीव बालियान ने कमल के फूल के निशान पर लगातार मुज़फ्फरनगर लोकसभा सीट पर दूसरी बार चुनाव जीता है।  


कौन थे सुमत प्रसाद 

1957 और 1962 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी से लगातार दो बार जीतने वाले सुमित प्रसाद मूल रूप से मुजफ्फरनगर शहर के अबूपूरा मोहल्ले के रहने वाले थे। अगस्त 1893 में पैदा हुए सुमत  प्रसाद के पिता होशियार सिंह थे तथा मुजफ्फरनगर के राजकीय स्कूल के साथ-साथ मेरठ डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री लेने वाले सुमित प्रसाद 1923 से 1926 तक मुजफ्फरनगर म्युनिसिपेलिटी बोर्ड के चेयरमैन रहे। 1937 से 1940 तक सुमत प्रसाद रूलर डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। 1950 से 1952 तक सुमत प्रसाद ने हस्तिनापुर सिटी बोर्ड के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली है। 1946 से 1952 तक सुमत प्रसाद उत्तर प्रदेश की विधान परिषद् के सदस्य थे तो 1952 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया था। 1962 के चुनाव में सुमत प्रसाद ने कांग्रेस के टिकट पर 74725 वोट पाकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के लताफत अली खान को 18721 वोटों से हराया था। लताफत अली खान को इस चुनाव में 57004 तो सीपीआई के मेजर जयपाल सिंह को 45193 वोट मिले थे।


कौन है पूर्व सांसद सोहनवीर सिंह

1991 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर नरेश बालियान ने चुनाव जीता था लेकिन 1996 में भाजपा ने उनका टिकट काटकर जानसठ के राजपुर कला के रहने वाले सोहनवीर सिंह को अपना प्रत्याशी बना दिया था । मुजफ्फरनगर शहर के डीएवी कॉलेज से वकालत की डिग्री हासिल करने वाले सोहनवीर सिंह मुजफ्फरनगर बार काउंसिल के सदस्य थे। 1969 में बीकेडी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सोहनवीर सिंह 1980 में लोक दल में शामिल हो गए थे। साल 1991 में सोहनवीर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी। 1996 में भाजपा की दिग्गज नेता रही मालती शर्मा की सिफारिश पर सोहनवीर सिंह को मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने अपने पहले ही चुनाव में 210705 वोट पाकर समाजवादी पार्टी के संजय चौहान को 34652 वोट से हरा दिया था। इस चुनाव में संजय सिंह चौहान को 176053,  बीएसपी के ताराचंद शास्त्री को 114413 तो कांग्रेस के सईदुज्जमा को 49843 वोट मिली थी। सोहनवीर सिंह को लगातार भाजपा ने दूसरी बार 1998 अपना प्रत्याशी बना दिया था। इस चुनाव में सोहनवीर सिंह ने 250466 वोट पाकर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी हरेंद्र मलिक को 22724 वोट से हराने का काम किया था। सपा के हरेंद्र मलिक को 227742 व बसपा के ताराचंद शास्त्री को 134718 तो कांग्रेस के टिकट पर लड़े शाहिद सिद्दीकी को 69788 वोट मिले थे। हालांकि 1999 में हुए तीसरे चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार सईदुज्जमा ने चुनाव जीत लिया था। 


तीसरी बार इस सीट पर दूसरी बार जीतने वाले संजीव बालियान

मुजफ्फरनगर जनपद के कुटबा - कुटबी  गांव के मूल रूप से रहने वाले डॉक्टर संजीव बालियान ने मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान हुए भारतीय जनता पार्टी के आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और उन्होंने अपने गांव में तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी की एक बड़ी मीटिंग करा कर अपने राजनीतिक जीवन का बड़ा आगाज करने का ऐलान कर दिया था। 2013 के दंगों के बाद मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर संजीव बालियान पर अपना दांव लगाया। अपने पहले ही चुनाव में डॉक्टर संजीव बालियान ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने तत्कालीन सांसद कादिर राणा को  401150 वोट से पराजित करने का काम किया था। इस चुनाव में डॉक्टर संजीव बालियान को 653391 तो बसपा के कादिर राणा को  252241 वोट मिले थे। सपा के वीरेंद्र गुर्जर 160810 तो कांग्रेस के पंकज अग्रवाल 12937 वोट पर सिमट कर रह गए थे। डॉक्टर संजीव बालियान की इस प्रचंड जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में बनी तो मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया था। अपने 5 साल के कार्यकाल में संजीव बालियान मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर लगातार सक्रिय रहे। यही वजह रही कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब डॉक्टर संजीव बालियान को प्रत्याशी बनाया गया तो संपूर्ण विपक्ष ने एक होकर उनके सामने कद्दावर किसान नेता कहे जाने वाले अजीत सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया था। इस चुनाव में पूरा विपक्ष संजीव बालियान के खिलाफ उनको हराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहा था मगर उसके बाद भी संजीव बालियान ने दिग्गज नेता चौधरी अजीत सिंह को 6526 वोटों से हरा दिया था । मोदी सरकार- 2 में संजीव बालियान को फिर से केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया है।


तो 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 2014 में लोकसभा के चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी के कमल के निशान पर संजीव बालियान ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी 2019 में मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर फिर से चुनाव होना था संजीव बालियान के खिलाफ जाटों के मसीहा माने जाने वाले अजीत सिंह ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा लेकिन संजीव बालियान पर भारी पड़े और वह और संजीव बालियान लगातार दूसरी बार मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर चुनाव जीतने वाले तीसरे सांसद बन गए

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