किसानों के बाद अब साधु-संतों ने बढ़ाई सरकार की टेंशन- आंदोलन का ऐलान

नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन से अभी सरकार का पूरी तरह से पीछा नहीं छूट पाया है

Update: 2021-11-23 09:10 GMT

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन से अभी सरकार का पूरी तरह से पीछा नहीं छूट पाया है। अब आंदोलन के चलते कृषि कानूनों की वापसी के फैसले से प्रेरित होकर साधु संतों ने भी मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है।

मंगलवार को देश के अलग-अलग हिस्सों से आए साधु संतों ने राजधानी दिल्ली के कालकाजी मंदिर में मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन की शुरुआत की है। साधु संतों का यह आंदोलन मंदिरों एवं मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने के लिए कानून की मांग को लेकर शुरू किया गया है। साधु-संतों की ओर से यह साफ किया गया है कि अगर किसान आंदोलन के माध्यम से सरकार को झुका सकते हैं तो हम क्यों नहीं? यदि जरूरत पड़ती है तो साधु संत राजधानी दिल्ली में सडकों के ऊपर अपना डेरा डालेंगे। अखिल भारतीय संत समिति के तत्वाधान में आयोजित किए गए कार्यक्रम में साधु-संतों की ओर से मंच से कहा गया है कि जब किसान दिल्ली के रास्तों को रोककर सरकार से अपनी मांगे मनवा सकते हैं तो हम साधु संत ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं। ज्यादातर संतों ने कहा है कि अगर सरकार हमारी मान नहीं मानती है तो हम भी राजधानी दिल्ली के भीतर सडकों के ऊपर अपना डेरा डालेंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का जिक्र करते हुए मठ मंदिरों पर अवैध रूप से कब्जे को लेकर अपनी गहरी नाराजगी जताई है।



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