53 साल बाद मिला हक- बोली कोर्ट मुसलमानों का नहीं हिंदुओं का है लाक्षागृह

Update: 2024-02-06 05:57 GMT

बागपत। आधा शताब्दी से भी अधिक के समय के इंतजार के बाद हिंदुओं के पक्ष में आए फैसले के अंतर्गत बरनावा स्थित लाक्षागृह हिंदुओं का करार दिया गया है। सिविल डिवीजन प्रथम कोर्ट के जज के इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष ने इस पर अपनी संतुष्टि जाहिर की है।

जनपद बागपत के बरनावा स्थित पांडवकालीन लाक्षागृह का फैसला 53 साल के लंबे इंतजार के बाद हिंदुओं के पक्ष में आया है। वर्ष 1970 में शुरू हुए लाक्षागृह के मामले को लेकर सिविल डिवीजन प्रथम कोर्ट के जज शिवम द्विवेदी द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद हिंदू पक्ष की ओर से इस पर संतुष्टि जाहिर की गई है।

हिंदू पक्ष का कहना है कि वाराणसी स्थित ज्ञानवापी के बाद अब पांडव कालीन लाक्षागृह को लेकर हमारी जीत हुई है। उधर मुस्लिम पक्ष ने अदालत की ओर से दिए गए इस फैसले को लेकर अभी विचार करने की बात कही है। बरनावा स्थित लाक्षागृह को लेकर हिंदुओं के पक्ष में सुनाए गए फैसले में अदालत ने कहा है कि पुरातत्व विभाग को लाक्षागृह की तकरीबन 100 बीघा जमीन पर महाभारत के समय के ही सबूत हाथ लगे हैं, जिस पर वह लोग अध्ययन कर रहे हैं।

पुरातत्व विभाग की ओर से की गई जांच में लाक्षागृह में बने टीलों में घंटा टांगने के लिए कुंडा भी बना हुआ मिला है जो इस बात को उजागर करता है कि लाक्षागृह में मंदिर हुआ करता था। इसके अलावा और भी कई अहम सबूत हिंदू पक्ष की ओर से अदालत में पेश किए गए हैं, जो लाक्षागृह के हिंदुओं का होने के साक्ष्य पेश करते हैं। जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से अदालत के सामने कोई भी ऐसा ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है कि यहां पर कब्रिस्तान अथवा दरगाह होने का भी कोई सबूत नहीं मिल सका है।

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