वकीलों का बंद-कचहरी में पसरा सन्नाटा-नहीं खुले चैंबर-बाजारों में भी बंद का असर

वकीलों का बंद-कचहरी में पसरा सन्नाटा-नहीं खुले चैंबर-बाजारों में भी बंद का असर
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मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना को लेकर 22 जनपदों में वकीलों की ओर से आहूत किए गए बंद को अपना पूरा समर्थन देते हुए वकीलों ने अपने चेंबर पूरी तरह से बंद रखे हैं जिसके चलते कचहरी में सन्नाटा पसरा हुआ है। शहर के मुख्य बाजार भी वकीलों के बंद को लेकर बंद पड़े हुए हैं।

बुधवार को जिला मुख्यालय पर स्थित कचहरी में वकीलों के बंद की वजह से सन्नाटा पसरा हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना की मांग को लेकर 22 जनपदों में बंद का आह्वान करने वाले वकीलों ने आंदोलन के अंतर्गत अपने चेंबर बंद रखे हैं और उन पर ताले लटक रहे हैं।

वकीलों के चेंबर बंद रहने से कचहरी में दिखाई देने वाले रोजाना की चहल-पहल आज पूरी तरह से गायब है। जिला बार संघ और जिला बार एसोसिएशन को विभिन्न व्यापार मंडलों का भी पूरा समर्थन मिला है। जिसके चलते शहर के मुख्य बाजार अभी तक बंद पड़े हुए हैं।

हाई कोर्ट की बेंच की मांग को लेकर आंदोलन के अंतर्गत सड़क पर उतरे वकीलों ने शहर के हृदय स्थल शिव चौक पर मानव श्रृंखला बनाते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच की मांग को जोरदार तरीके से उठाया है।

मुजफ्फरनगर बार संघ के महासचिव चंद्रवीर सिंह निर्वाल ने बताया है कि सभी व्यापार मंडल के नेताओं ने एक बैठक आयोजित कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट बेंच संघर्ष समिति को अपना पूरा समर्थन दिया है।

उन्होंने कहा है कि आज का यह बंद केवल मुजफ्फरनगर तक ही सीमित नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट बेंच स्थापना संघर्ष समिति के आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी 22 जनपदों में आज आंदोलन का रूप ले चुका है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की बेंच की मांग के पीछे वकीलों का मुख्य तर्क यह है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश से काफी दूर पड़ता है। इससे आम लोगों को बार-बार आने-जाने में समय और धन दोनों खर्च होते हैं। हाई कोर्ट बेंच की स्थापना से लोगों को न्याय तक पहुंच आसान होगी।

संघर्ष समिति का कहना है कि पिछली सभी सरकारों ने हाई कोर्ट बेंच की स्थापना का स्वागत करने का आश्वासन दिया है, लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इसे स्थापित नहीं किया है।

उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया, जहां पांच हाई कोर्ट बेंच हैं।

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