रिक्शा चालक और श्रमिक परिवारों के बेटों ने NEET में रच दिया इतिहास

मुज़फ्फरनगर। की धरती एक बार फिर गौरवांवित हुई, जब यहां के दो साधारण परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बेटों ने अपनी मेहनत, समर्पण और संघर्ष से NEET-UG 2025 जैसी प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा में सफलता का परचम लहराया। इन दोनों होनहार युवाओं की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि यह समाज के उस हर युवा के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जो सीमित संसाधनों में भी असीम सपने देखता है।

किदवई नगर स्थित दरोगा की कोठी निवासी मोहम्मद सुहैल, जो एक रिक्शा चालक इजरार के पुत्र हैं, ने चौथे प्रयास में नीट परीक्षा पास कर पूरे देश में 11214वीं रैंक प्राप्त की है। सुहैल की यह यात्रा आसान नहीं थी। सीमित आर्थिक संसाधनों, पारिवारिक जिम्मेदारियों और बार-बार की असफलताओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अंततः पूरे जनपद का नाम रोशन कर दिखाया। उनके पिता इजरार ने दिन-रात मेहनत-मजदूरी कर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाया, जबकि उनकी माता शबाना प्रवीन ने हर मुश्किल घड़ी में बेटे का मनोबल बनाए रखा। आज जब सुहैल की मेहनत रंग लाई, तो उनके मोहल्ले में जश्न का माहौल है और पूरा क्षेत्र इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है।

दूसरी ओर, सरवट की मदीना कॉलोनी निवासी मोहम्मद उज्जैर, जो सोफिया स्कूल के छात्र रहे हैं, ने पहले ही प्रयास में NEET परीक्षा पास कर अपने माता-पिता और पूरे समाज को गौरवान्वित किया है। उज्जैर ने यह सिद्ध किया है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और मन में समर्पण हो, तो पहली ही कोशिश में सफलता हासिल की जा सकती है। उनके पिता शहजाद और पूरा परिवार आज क्षेत्रवासियों से बधाइयाँ प्राप्त कर रहा है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने इन दोनों विद्यार्थियों की सफलता को विशेष सराहना प्रदान करते हुए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल को निर्देशित किया कि वे व्यक्तिगत रूप से दोनों परिवारों के घर जाकर उन्हें सम्मानित करें। इसी क्रम में शुक्रवार को मंत्री अग्रवाल ने ईदगाह रोड स्थित मोहम्मद सुहैल के आवास और मदीना चौक, सरवट स्थित मोहम्मद उज्जैर के घर पहुंचकर मिठाई खिलाई, पुष्प माला पहनाई और परिवार के साथ इस सफलता का उत्सव साझा किया।
मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि मोहम्मद सुहैल और मोहम्मद उज्जैर की यह सफलता इस बात का जीवंत प्रमाण है कि कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और पारिवारिक सहयोग से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे मेधावी विद्यार्थियों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तत्पर है और आगे की मेडिकल शिक्षा में यदि किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता हुई तो राज्य सरकार उनका पूरा सहयोग करेगी।
सुहैल की कहानी विशेष रूप से युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी है। चार बार की असफलता के बावजूद उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा और अब उनकी सफलता यह संदेश दे रही है कि निरंतरता और दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। वहीं उज्जैर की सफलता यह दर्शाती है कि यदि शुरू से ही लक्ष्य के प्रति एकाग्रता और मेहनत हो, तो सफलता पहली ही बार में संभव है।
दोनों युवाओं ने यह भी सिद्ध कर दिया कि सपनों की कोई जात, मजहब या आर्थिक सीमा नहीं होती। यह सफलता समाज को एक नई दिशा देने वाली है, जो बताती है कि शिक्षा ही सच्चा साधन है सामाजिक परिवर्तन का। मुजफ्फरनगर आज गर्व से कह सकता है कि यहां के युवा भविष्य के डॉक्टर बनने की राह पर अग्रसर हैं।