SD कॉलेज ऑफ़ लॉ: हिंदी समर्थन में स्टूडेंट्स- टीचर ने रखे विचार

मुजफ्फरनगर। एस. डी. कॉलेज ऑफ़ लॉ, मुजफ्फरनगर में हिंदी दिवस पर छात्र-छात्राओं द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे हिंदी के समर्थन में सभी ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। सर्वप्रथम कॉलेज की प्राचार्या डॉ रेनू गर्ग ने हिन्दी की स्वीकार्यता को इस संदर्भ में परिभाषित किया कि हिन्दी भाषा के पास एक विशाल कोश हैं जो हमारी भाषा के व्याकरणिक ज्ञान को बताता हैं l कॉलेज निदेशक मंजू मल्होत्रा ने हिन्दी दिवस की शुभकामनाए देते हुए हिन्दी भाषा को अधिक से अधिक अपनाने का आग्रह किया l कार्यक्रम का संचालन करते हुए छात्र यश ने कहा कि हिंदी भाषा विश्व के प्रत्येक देश में बोली जा रही है और यह हमारे देश की एक ऐसी सांस्कृतिक विरासत है जो एक भारतीय को भाषा का सम्मान करना सिखाती है । छात्र अनमोल का मानना था कि हिंदी को केवल एक राज्य विशेष की भाषा ना मानकर उसे संपूर्ण देश की भाषा के रूप में हमें स्वीकार करना चाहिए । छात्र मोहित का कहना था कि हिंदी प्रत्येक भारतीय की एक ऐसी अभिलाषा है जिसे वह बोलना तो चाहती है परंतु अंग्रेजी के आगे हिंदी असहाय नजर आती है । छात्रा ओजस्वी ने छात्र मोहित की बात का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदी ही ऐसी भाषा है जो हमारे भाव को व्यक्त करती है । हिंदी दिवस पर छात्र देवराज ने रस्किन बॉन्ड की एक लघु कथा का हिंदी रूपांतरण सुनाकर यह संदेश दिया कि कोई अंग्रेजी साहित्य का लेखक हमारे लिए कथा लिख सकता है तो वह कथा हिंदी में क्यों नहीं लिखी जा सकती। छात्र दीप बेनीवाल का कहना था कि दक्षिण एशिया में सर्वाधिक रूप से बोले जाने वाली हमारी हिंदी भाषा आज इसलिए तिरस्कृत हैं क्योंकि इसे हमने रोजगार से जोड़ दिया है और शायद यही वजह है कि आज हमारी हिंदी अराजकता का शिकार हो रही है । छात्र रितिक और दिवेश ने भी छात्र मोहित की बात का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदी की आधारशिला पर हमने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली परंतु हम हिंदी को वह स्थान नहीं दिला सके जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय हिंदी को दिया गया था महात्मा गांधी स्वंय गुजराती होने के बाद भी हिंदी को भारत की सशक्त भाषा मानते थे और हम संविधान में केवल हिंदी को राजभाषा का ही स्थान दे सके हैं । छात्रा मनु तथा अनु का कहना था कि हिंदी दिवस कोई एक रस्मदायगी नहीं होनी चाहिए और ना ही हिंदी एक मजाक का विषय है कि उसे वर्ष में एक बार याद कर लिया जाए हिंदी अपनाने के लिए हमें अपनी दैनिक दिनचर्या में अधिकतम बार हिंदी का उपयोग करना चाहिए तभी हम एक सच्चे भारतीय के रूप में अपने को पाएंगे । छात्रा साक्षी ने “हम हिंदी से घबराते क्यों हैं” नामक अपनी कविता से कहां कि हिंदी के लिए स्वयं को स्वाभिमानी बनना होगा और हम सभी को हिंदी के प्रति गर्व करना होगा । छात्रा महक और खुशी ने अपनी कविता के माध्यम से हिंदी को शक्ति का प्रतीक बताकर कहा कि हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो एक मजबूत धागे की तरह हमें एक सूत्र में पिरो कर रखती है । छात्रा स्वाती ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा मात्र नहीं है वह हमारी मातृभाषा है । कार्यक्रम का संचालन छात्र यश और अनमोल ने संयुक्त रूप से किया । छात्रा राधिका ने हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने तथा हिंदी को व्यवहार में अपनाने पर बल दियाl प्रवक्ता डॉ मुकुल गुप्त ने हिन्दी भाषा की सार्थकता पर बाल देते हुए कहां की हिन्दी को विश्व व्यापी भाषा बनाने के लिए हम सभी को स्वयं हिन्दी के लिए तैयार होना होगा हमें यह नहीं भूलना चाहिए की विश्व में आज हम सर्वाधिक जनसंख्या वाले हिन्दी भाषी नागरिक हैं और विश्व बाजार में हर एक देश को अपना उत्पाद को बेचने के लिए हिन्दी भाषा की ही आवश्यकता होगी तो हमे हिन्दी के प्रति स्वाभिमान का भाव रखना चाहिए l प्रवक्ता अमित त्यागी और छवि जैन ने हिंदी भाषा के संवैधानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की उक्त अवसर पर कविराज, बिलाल, तनु, हिमांशी, काजल, तन्वी, आसिफ, आदित्य, महक, अलविया आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कॉलेज स्टाफ से डॉ. अमित चौहान, डॉ. प्रीति चौहान, पूनम शर्मा, बीता गर्ग, डॉ. अभिनव गोयल, अनिता सिंह, प्रदीप सिंघल, संतोष शर्मा, वैभव कश्यप, अमित भारद्वाज, प्रीती दीक्षित, विपुल कुमार, डॉ. दीपक मलिक, ऐश्वर्या, उमेशचंद त्रिपाठी, शुभम सिंघल एवं मोहम्मद आमिर आदि उपस्थित रहे