मोदी की लाल किले से आरएसएस को खुश करने की कोशिश- कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए कहा है कि राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लेना धर्मनिरपेक्ष राज्य की भावना का उल्लंघन और संघ को खुश करने की कोशिश है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने शुक्रवार को यहां कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर मोदी के भाषण का सबसे चिंताजनक पहलू लाल किले की प्राचीर से आरएसएस का नाम लेना रहा और यह एक संवैधानिक, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का खुला उल्लंघन है। उन्होंने इसे आरएसएस को खुश करने की नरेन्द्र मोदी की कोशिश करार दिया और कहा कि अगले महीने 75वें जन्मदिन से पहले संगठन को खुश करने की श्री मोदी की यह एक हताश कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। उनका कहना था कि पिछले वर्ष चार जून के बाद से निर्णायक रूप से कमजोर पड़ चुके प्रधानमंत्री अब पूरी तरह मोहन भागवत की कृपा पर निर्भर हैं, ताकि सितंबर के बाद उनका कार्यकाल का विस्तार हो सके। स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय अवसर का व्यक्तिगत और संगठनात्मक लाभ के लिए राजनीतिकरण हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए बेहद हानिकारक है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि लाल किले से श्री मोदी ने विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और सबका साथ-सबका विकास जैसे वही नारे दोहराये हैं जिनको सालों से सुना रहे हैं। उनके नारों का कोई नतीजा अब तक नहीं निकला है। ‘मेड-इन-इंडिया’ सेमीकंडक्टर चिप का वादा बार बार बड़े झूठ के साथ किया गया है और इस तरह की बातें करना नरेन्द्र मोदी की पहचान बन गया है। उनका कहना था कि भारत का पहला सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स 1980 के दशक की शुरुआत में ही चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था।

किसानों की रक्षा की बात को खोखली करार देते हुए उन्होंने कहा कि तीन काले कृषि कानून उनकी ही सरकार ने थोपने की कोशिश की थी लेकिन आज वह एमएसपी की कानूनी गारंटी, लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ एमएसपी तय करने या कर्ज़ माफी का कोई ठोस ऐलान नहीं कर पा रहे हैं। रोजगार सृजन पर सिर्फ दिखावटी बातें की जा रही हैं।एकता, समावेशन और लोकतंत्र पर नरेन्द्र मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी स्वयं चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं के पतन के जिम्मेदार और योजनाकार रहे हैं।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर उठाए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के जरिए लाखों मतदाताओं को वंचित किया जा रहा है। उन्होंने इसे संघीय ढांचे को कमजोर करने का प्रयास बताया और कहा कि श्री मोदी बार बार इस तरह के कदम उठा रहे हैं। उनका कहना था कि स्वतंत्रता दिवस दूरदर्शिता, स्पष्टवादिता और प्रेरणा का क्षण होना चाहिए। लेकिन आज का संबोधन आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों का नीरस मिश्रण था - जिसमें देश की गहरी आर्थिक तंगी, बेरोजगारी संकट और तेजी से बढ़ती आर्थिक असमानता का कोई ईमानदार ज़िक्र नहीं था।