UP के टॉप 10 जिलाधिकारी की सूची में DM उमेश मिश्रा ने बनाया स्थान

मुजफ्फरनगर। अपने काम के प्रति सचेत रहकर जनसुनवाई, कानून व्यवस्था और जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, राजस्व सुधार और समग्र विकास कार्यों के आधार पर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के टॉप 10 जिलाधिकारियों की सूची में अपना स्थान बनाया है। जिससे जनपदवासियों में खुशी का माहौल है और उन्होंने जिलाधिकारी से अपेक्षा की है कि वह जिले की रैंकिंग में अधिकारियों के माध्यम से और अधिक सुधार करने में सफल होंगे।
मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के टॉप 10 जिलाधिकारियों की लिस्ट जारी कर दी गई है। इस सूची में मुजफ्फरनगर के जिला अधिकारी आईएएस उमेश मिश्रा को भी स्थान मिला है।
सरकार की ओर से जारी की गई टॉप 10 जिलाधिकारियों की सूची में महाराजगंज के जिलाधिकारी आईएएस संतोष कुमार शर्मा पहले स्थान पर रहे हैं।
जालौन के जिला अधिकारी आईएएस राजेश कुमार पांडे ने दूसरा और लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने तृतीय स्थान हासिल किया है।
बरेली के जिलाधिकारी आईएएस अविनाश सिंह टॉप 10 जिलाधिकारियों की सूची में चौथे और शाहजहांपुर के जिलाधिकारी आईएएस धर्मेंद्र प्रताप सिंह पांचवें नंबर पर रहे हैं।
लिस्ट में छठे स्थान पर श्रावस्ती के जिलाधिकारी आईएएस अजय कुमार द्विवेदी और सातवें स्थान पर कुशीनगर के जिलाधिकारी आईएएस महेंद्र सिंह तोमर रहे हैं।
ललितपुर के जिलाधिकारी आईएएस अक्षय त्रिपाठी को आठवां स्थान मिला है और हरदोई के जिलाधिकारी आईएएस अनुनय झा नवम स्थान पर रहे हैं।
मुजफ्फरनगर एक जिलाधिकारी।आईएएस उमेश मिश्रा ने टॉप 10 जिलाधिकारियों की सूची में दशम स्थान प्राप्त किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जिलाधिकारियों की टॉप 10 सूची में शामिल यह सभी आईएएस अधिकारी राज्य के अन्य जनपदों के अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
मुख्यमंत्री दफ्तर की ओर से सभी जिलाधिकारियों की कार्यशैली की सराहना करते हुए इनसे आगे भी ऐसे ही प्रदर्शन अपेक्षा की गई है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राज्य के सभी 75 जनपदों के जिलाधिकारियों के कामकाज की हर महीने समीक्षा की जाती है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री डैश बोर्ड पर जिलाधिकारियों की रैंकिंग जारी की जाती है।
जिलाधिकारियों की यह रैंकिंग जनसुनवाई, कानून व्यवस्था, जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, राजस्व सुधार और समग्र विकास कार्यों के आधार पर निर्धारित की जाती है।