विधानसभा में हंगामे के बीच भाजपा विधायक निलंबित

विधानसभा में हंगामे के बीच भाजपा विधायक निलंबित

कोलकाता, पश्चिम बंगाल विधानसभा में गुरुवार को अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला जब मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष शंकर घोष समेत पांच विधायकों को विशेष सत्र की कार्यवाही में कथित रूप से बाधा डालने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

घोष के अलावा, निलंबित विधायकों में अग्निमित्र पॉल, मिहिर गोस्वामी, बंकिम घोष और अशोक डिंडा शामिल हैं।

नाटकीय घटनाक्रम में सर्वश्री घोष और मिहिर गोस्वामी को मार्शलों द्वारा सदन से बाहर ले जाना पड़ा क्योंकि अध्यक्ष के बार-बार निर्देश के बावजूद उन्होंने बाहर जाने से इनकार कर दिया।

विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए भाजपा विधायक अशोक डिंडा ने कहा,“अगर वे सभी को निलंबित करना चाहते हैंतो उन्हें ऐसा करने दें लेकिन हम नहीं रुकेंगे। उन्हें जवाब देना होगा कि हमारे विपक्ष के नेता को क्यों निलंबित किया गया। पीसी (मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी) व भाईपो (अभिषेक बनर्जी) चोर हैं और उन्हें अपनी कुर्सियां छोड़नी होंगी।"

हंगामा तब शुरू हुआ जब सुश्री ममता बनर्जी अन्य राज्यों में ‘बंगाली भाषी’ लोगों पर हमलों की निंदा करने वाले प्रस्ताव को संबोधित करने के लिए उठीं। भाजपा विधायकों ने तुरंत उनके भाषण को बाधित कर दिया और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का निलंबन वापस लेने की मांग की।

उन्होंने सत्ता पक्ष की ओर ‘चोर! चोर!’ के नारे लगाए, जिससे मुख्यमंत्री को अपना भाषण रोकना पड़ा।

जवाब में तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने ‘जय बांग्ला’ के नारे लगाए, जिससे हंगामा और बढ़ गया। हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने शांति की अपील की लेकिन व्यवधान के कारण अध्यक्ष को सत्र को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा।

स्थिति तब और बिगड़ गई जब भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने जानना चाहा कि अधिकारी को निलंबित क्यों किया गया है। अध्यक्ष की बार-बार चेतावनी के बावजूद उन्होंने अपना भाषण जारी रखा, जिसके कारण उन्हें भी निलंबित कर दिया गया।

इससे पहले श्री शंकर घोष को लगातार कार्यवाही बाधित करने के कारण निलंबित कर दिया गया था।

अध्यक्ष बनर्जी ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “सदन का अपमान करना हमेशा से उनका (भाजपा का) काम रहा है।”

बार-बार चेतावनी के बाद भी श्री घोष ने विरोध जारी रखा जिससे मार्शलों को उन्हें बाहर निकालना पड़ा। भाजपा विधायकों ने मार्शलों को रोकने की कोशिश की घोष को घेर लिया और नारे लगाए लेकिन अंततः उन्हें हटा दिया गया।

इस नए निलंबन ने विधानसभा के अंदर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच गतिरोध को और गहरा कर दिया है। इस सप्ताह की शुरुआत में शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की सेना पर की गई टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने के लिए श्री शुभेंदु अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था।

अधिकारी ने बसु पर सेना का ‘राजनीतिकरण’ करने और उसकी कार्रवाई की तुलना 1971 के बंगलादेश तख्तापलट से करने का आरोप लगाया था जब सेना की एक टीम ने एस्प्लेनेड में स्थापित तृणमूल कांग्रेस के मंच को तोड़ दिया था।

इस हंगामे पर प्रतिक्रिया देते हुए सुश्री ममता बनर्जी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया,“मैं बंगालियों पर हो रहे अत्याचार के लिए भाजपा की निंदा करती हूँ। जल्द ही एक समय आएगा जब बंगाल में एक भी भाजपा विधायक नहीं बचेगा। जनता खुद यह सुनिश्चित करेगी। भाजपा को अवश्यंभावी हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि बंगालियों के खिलाफ भाषाई आतंक फैलाने वाली कोई भी पार्टी बंगाल कभी नहीं जीत सकती।"

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