रेप के बाद हत्या के मामले में सजा कम करने पर SC ने फैसला रखा सुरक्षित

रेप के बाद हत्या के मामले में सजा कम करने पर SC ने फैसला रखा सुरक्षित

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2012 में दिल्ली के छावला में एक युवती के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के एक मामले में तीन दोषियों की मौत की सजा कम करने की अपील पर सुनवाई के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीनों दोषियों - रवि कुमार, विनोद और राहुल की सजा कम करने की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

पीठ के समक्ष दोषियों का पक्ष रख रहीं न्याय मित्र वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने दोषियों में सुधार की गुंजाइश का हवाला देते हुए उनकी सजा में कमी करने की गुहार लगाई।

अभियोजन पक्ष की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भट्ट ने दोषियों की ओर से पेश की गई की सजा कम करने की इस दलील का विरोध किया। उन्होंने दोषियों द्वारा अंजाम दी गई घटना को 'बर्बर' बताते हुए अदालत द्वारा मृत्युदंड के फैसले को बरकरार रखने की गुहार लगाई।


इस बीच, सुनवाई के दौरान पीड़िता के पिता भावुक हो गए। वह पीठ के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े हो गए। पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति ललित ने उन्हें बैठने के लिए कहा। न्यायमूर्ति ने कहा कि वह उनके दुख और पीड़ा को समझते हैं, लेकिन अदालत भावनाओं के आधार पर नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर फैसला करती है।

तीनों युवकों ने छावला में नौ फरवरी 2012 को एक युवती का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म के बाद हत्या कर शव हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोधई गांव के एक खेत में फेंक दिया। इस मामले में घटना के कुछ दिन बाद तीनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

इस मामले में द्वारका अदालत ने फरवरी 2014 में तीनों युवकों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अगस्त 2014 में निचली अदालत द्वारा मौत की सजा दिए जाने की पुष्टि की थी।

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