खाकी के लिये छोड़ी नौकरियां- बदमाशों पर आफत बनकर टूटे IPS रामसेवक

खाकी के लिये छोड़ी नौकरियां- बदमाशों पर आफत बनकर टूटे IPS रामसेवक

शामली। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं कि उनको जो पद मिला गया वो उस पद को हासिल करने के लिये संतुष्ट होते हैं तो कुछ ऐसे होते हैं, जो बचपन से ही किसी पद या चीज को पाने का जज्बा रखते हैं। भले ही उन्हें कोई और नौकरी मिल जाये लेकिन वो उससे संतुष्ट नहीं रह पाते। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के एक पुलिस कप्तान हैं, जिन्हें कई बार अलग-अलग नौकरियां मिली लेकिन वो वह नौकरी नहीं कर पाये क्योंकि उनका मकसद अपने बदन पर खाकी वर्दी धारण कर अपराधियों को सबक सिखाना और पीड़ितों का इंसाफ दिलाना था। पीपीएस अधिकारी बने और खाकी वर्दी पहनी तो वो नौकरी आज भी जारी है। पीपीएस अधिकारी के तौर पर भर्ती हुआ यह युवा आज आईपीएस अधिकारी बनकर उत्तर प्रदेश के एक जिले में पुलिस कप्तानी कर रहे हैं। नाम है रामसेवक गौतम। साल 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी के तौर पर यूपी पुलिस में रहकर पुलिसिंग करने वाले रामसेवक गौतम का साल 2013 में आईपीएस अधिकारी के पद पर प्रमोशन हो गया था और अब वह शामली जिले के पिछले एक साल से पुलिस मुखिया है। आईपीएस रामसेवक गौतम एक तरफ जहां बदमाशों की कमर तोड़ने का काम करते हैं वहीं पीड़ित को इंसाफ दिलाने में भी कोई कसर शेष नहंी छोड़ते हैं। अपने पूरे पुलिस कार्यकाल में एक दर्जन बदमाशों को मुठभेड़ में ढेर कर यमलोक भेज चुके हैं। शामली जिले के पुलिस कमांडर राम सेवक गौतम पर पेश है खोजी न्यूज की खास रपट..


उत्तर प्रदेश का जिला चित्रकुट, उस जिले में रामपुर मजरा का गांव बेलरी पड़ता है। बेलरी में निवासी किसान माता प्रसाद के परिवार में 6 अप्रैल 1968 को एक बच्चे की गिलकारियां गूंजी यानी जन्म हुआ। उस बच्चा का नाम रखा गया रामसेवक। रामसेवक की माता का नाम सावित्री देवी है। रामसेवक जैसे ही कुछ बड़े हुए और शिक्षा ग्रहण कराने के लिये स्कूल में दाखिले का समय आया तो उस दौरान गांव में कोई सरकारी स्कूल नहीं था। इसी वजह से उनके पिता ने उनका दाखिल गांव से करीब पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित बराक्षी प्राथमिक पाठशाला में उनका प्रवेश कराया। बैंच ने होने की वजह से बच्चों को जमीन पर ही बैठाकर पढ़ाया जाता था, ऐसे ही रामसेवक गौतम भी जमीन पर बैठकर ही पढ़ाई करते थे। प्राथमिक पाठशाला में पांचवी कक्षा पास करने के बाद रामसेवक का एडमिशन जूनियर हाईस्कूल रैपुरा में कराया, जहां पर आठवीं तक पढ़ाई पूरी की। इसी बीच रामसेवक गौतम अपने पिता की साथ खेत पर चले जाते थे और अपने पिता का हाथ बंटा देते थे।

रामसेवक के पिता माता प्रसाद ने हाईस्कूल की शिक्षा हासिल करने के लिये उन्हें झांसी में भेज दिया और कहा कि खेती यहीं रहेगी, अगर पढ़ाई कर लोगे तो बड़े बन सकते हो। अपने पिता की इस बात पर रामसेवक के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वर्ष 1982 की बात है कि जब उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का रिजल्ट आया तो रामसेवक गौतम ने 76 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरा बुंदेलखंड मंडल टॉप किया। इस खुश आसपास के गांव के लोग भी रामसेवक घर आये और उन्हें मिठाई खिलाकर बधाई दी थी। वर्ष 1984 में राजकीय इंटर कॉलेज झांसी में प्रथम श्रेणी में इंटर पास किया। इसके पश्चात रामसेवक गौतम आगे की पढ़ाई पढ़ने के लिये प्रयागराज चले गये, जहां पर उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से वर्ष 1986 में बी.ए. और वर्ष 1988 में दर्शनशास्त्र से एम.ए. किया, जिसमें उन्होंने प्रथम पोजिशन हासिल की।

बचपन से खाकी पहनने का सपना संजोय रामसेवक गौतम ने मास्टर डिग्री हासिल करने के उपरांत नेट जेआरएफ क्वालीफाई किया, जिसके बाद उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पर तैनात किया गया। डिग्री कॉलेज में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो उन्हें पढ़ाने में आनंद नहीं आया क्योंकि मन में तो कुछ और ही फिट था वो था खाकी वर्दी पहना का जज्बा। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी आरंभ कर दी। रामसेवक गौतम का पहली बार यूपी पीसीएस की परीक्षा पास कर बिक्री कर अधिकारी के पर पर चयन हुआ। रामसेवक गौतम ने फिर तैयारी शुरू कर दी और फिर तीसरे प्रयास में उन्होंने उत्तर प्रदेश की पीसीएस परीक्षा को क्रेक कर साल 1992 बैच के पीपीएस अधिकारी बन गये।


पीपीएस अधिकारी के पद चयन होने के बाद रामसेवक गौतम गाजियाबाद, नोएडा, रामपुर, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी में सीओ के रूप में पुलिसिंग करते रहे। इसके पश्चात एडिशनल एसपी के पद पर प्रमोशन मिला तो मुरादाबाद में एसपी देहात, फैजाबाद में एसपी सिटी, प्रयागराज में एसपी यातायात, उन्नाव में एडिशनल एसपी, बाराबंकी और गोरखपुर के बाद मुख्यमंत्री की सिक्योरिटी में भी पोस्टिड रहे। इनके अलावा रामसेवक गौतम कानुपर और वाराणसी में डीसीपी के पर पर तैनात रहकर पुलिसिंग कर चुके हैं।ण्

आईपीएस अधिकारी की पत्नी हिमाली मिश्रा सूबे की राजधानी लखनऊ में सोशल ऑडिट में मुख्य विकास अधिकारी के पर पर कार्यरत है। उनका बड़ा पुत्र पीयूष यूपीएससी की तैयारी कर रहा है तो छोटा बेटा अर्यन्त आईआईटी से केमिकल इंजिनियरिंग की फाइनल ईयर की पढ़ाई ग्रहण कर रहा है।

पीपीएस अधिकारी के पद से प्रमोशन मिलने के बाद रामसेवक गौतम साल 2013 बैच के आईपीएस अधिकारी बन गये थे। आईपीएस अधिकारी बनने के बाद कई जिलों में पुलिसिंग करने के बाद शासन ने आईपीएस अधिकारी रामसेवक गौतम को शामली जिले का पुलिस कप्तान बनाया। आईपीएस अधिकारी को शामली जिले में पुलिस कप्तानी करते हुए एक साल पूर्ण हो चुका है। आईपीएस अधिकारी रामसेवक गौतम को उनकी गुड पुलिसिंग के चलते उन्हें समय-समय पर उनका ईनाम भी मिला। आईपीएस रामसेवक गौतम को राष्ट्रपति मेडल, राष्ट्रपति पुलिस पदक, गृह मंत्रालय का उत्कर्ष सेवा पदक, डीजीपी के गोल्ड और सिल्वर मेडल सम्मान के तौर पर मिल चुके हैं।

Next Story
epmty
epmty
Top