यौनशोषण के मामले में अदालत ने दोषी को सुनाई 20 साल की सजा

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चित्रकूट। उत्तर प्रदेश में चित्रकूट की एक अदालत ने अनुसूचित जाति की बालिका के यौन शोषण मामले में आरोपी को 20 वर्ष कारावास और एक लाख रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।

अभियोजन पक्ष और पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते घटना के 42वें दिन पीड़िता को न्याय मिल गया है वहीं आरोप पत्र दाखिल होने के मात्र 27 दिन बाद विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में फैसला सुनाया है।

अभियोजन अधिकारी सिद्धार्थ आनंद और विशेष लोक अभियोजक तेज प्रताप सिंह ने बताया कि बीती 10 अप्रैल को पहाड़ी थाने में अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति ने नांदी गांव के निवासी मुन्ना के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी। वादी के अनुसार घटना के दिन मुन्ना उसके खेत में भूसा व गेहूं का भाड़ा लेने गया था। खेत से चलते समय आरोपी ने वादी की पुत्री को टैक्टर में बैठा लिया और उन्हें सड़क से बैठाने की बात कहकर भाग आया। इसके बाद आरोपी ने लड़की के साथ अश्लील हरकते की और 500 रुपये का लालच देते हुए हरकतों के बारे में किसी से न बताने की बात कही। इसके बाद लड़की ने घर पहुंचकर परिजनों को आपबीती बताई।

पुत्री के शोषण और जातिगत उत्पीड़न का उलाहना देने के लिए वह लोग आरोपी के घर गए तो वहां भी उन्हें जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अपमानित किया गया और प्रार्थना पत्र देने पर धमकी दी गई।

पुलिस ने मामले की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पीड़िता का चिकित्सीय परीक्षण कराया और तत्काल आरोपी को गिरफ्तार कर मात्र 15 दिन में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। आरोप पत्र दाखिल होने के मात्र 27 दिन बाद बचाव और अभियोजन पक्ष की दलीले सुनकर विशेष न्यायाधीश विनीत नारायण पाण्डेय ने इस मामले में सोमवार को निर्णय सुनाया। जिसमें धारा 5(ड)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत दोषसिद्ध होने पर आरोपी मुन्ना को 20 वर्ष कारावास और एक लाख रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। इस प्रकार घटना के 42वें दिन पीड़िता को विशेष न्यायाधीश के द्वारा न्याय प्रदान किया गया।

वार्ता

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