जयशंकर के मुंह से बोला 56 इंची सीना- कई देशों की बोलती बंद

जयशंकर के मुंह से बोला 56 इंची सीना- कई देशों की बोलती बंद

संयुक्त राष्ट्र महासभा का 77वां सत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इस सत्र को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से आतंकवाद से लेकर वैश्विक सुधारों पर दुनिया को घेरा है, उसने कई देशों की बोलती बंद कर दी है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर जवाब दे रहे थे। उस समय उनकी जुबान पर 56 इंची सीना वाले नरेन्द्र मोदी ही साक्षात आ गये और विदेश मंत्री ने अमेरिका समेत अन्य आलोचक राष्ट्रों को खूब खरी-खोटी सुनायी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को निष्प्रभावी करने का औचित्य प्रभावी ढंग से रखा। आतंकवाद के प्रति भारत के रुख को मजबूती से रखते हुए कहा आतंकवाद हटाने के नाम पर अमेरिका ने पाकिस्तान को 45 करोड़ का पैकेज दिया जिसका कोई फायदा नहीं हुआ।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद हो रही राजनीति की आलोचना की। उन्होंने बताया कि तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया और एक विशेष कथानक बनाने की कोशिश की गई। एस. जयशंकर वॉशिंगटन डीसी में मोदी एट द रेट आफ/20 नाम की किताब के अंशों को पढ़ने के लिए रखे गए आयोजन के दौरान बोल रहे थे। अमेरिकी सांसदों की जम्मू-कश्मीर के मसले पर मौजूदा समझ को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, इंटरनेट काटे जाने को लेकर बड़ा बवाल हो रहा है। अगर हम ऐसे हालात में पहुंच जाएं जहां हम कहें कि इंटरनेट काटना इंसानी जान के नुकसान से अधिक खतरनाक है तो मैं क्या कह सकता हूं? भारत में 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा वापस लेने की घोषणा की थी और इस क्षेत्र को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। वॉशिंगटन डीसी में एक बातचीत के दौरान एस जयशंकर ने कहा कि आर्टिकल 370 जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था, वह भारतीय संविधान का एक अस्थाई प्रावधान था जिसे खत्म कर दिया गया।

उन्होंने पूछा, अगर आप आर्टिकल 370 के मुद्दे को देखते हैं, जो भारतीय संविधान का एक अस्थाई प्रावधान था उसे आखिरकार खत्म कर दिया गया। यह बहुसंख्यवादियों का कार्य माना गया लेकिन आप मुझे बताइए कि क्या जो जम्मू-कश्मीर में हो रहा था वो बहुसंख्यवाद नहीं था? एस. जयशंकर ने दावा किया कि आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने को लेकर तथ्यों को मरोड़ा गया और इसके साथ खिलवाड़ हुआ। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि तथ्यों को घुमाया गया और इसके साथ मजाक हुआ। क्या सही है, क्या गलत है- इसे लेकर भ्रम पैदा किया गया। असल में राजनीति ऐसे ही काम करती है।

विदेशी मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के संबंध में 'पूर्वाग्रही' खबरों पर 'द वाशिंगटन पोस्ट' सहित कई अमेरिकी मीडिया घरानों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, मीडिया में आने वाली खबरें मैं देखता हूं। कुछ अखबार हैं, जिनके बारे में आपको अच्छी तरह पता होता है कि वे क्या लिखने वाले हैं और ऐसा ही एक समाचार पत्र यहां भी है। जयशंकर ने भारत विरोधी ताकतों के मजबूत होने से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, मैं मानता हूं कि कुछ लोग पूर्वाग्रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समूहों की भारत में जीत नहीं हो रही, ये समूह देश के बाहर जीतने की कोशिश करते हैं और बाहर से भारत की राय व धारणाएं बनाने की कोशिश करते हैं।

इन दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा का 77वां सत्र चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इस सत्र को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से आतंकवाद से लेकर वैश्विक सुधारों पर दुनिया को घेरा है, उसने कई देशों की बोलती बंद कर दी है। आलम यह है कि कई विकसित और विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र में भारत के रुख, उसकी आर्थिक और विदेश नीति की तारीफ करने से नहीं थक रहे हैं। यहां तक कि यूएन प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने भी भारत की अहम भूमिका को स्वीकार किया है। दरअसल, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में आतंकवाद, चीन-पाक से लेकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुधारों तक के मुद्दे पर अपने बयानों से दुनिया को आइना दिखा दिया है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा 45 करोड़ डॉलर के पैकेज की मंजूरी के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, अमेरिका-पाक संबंधों को लेकर दोनों में से किसी देश को 'कोई फायदा नहीं' हुआ है। उन्होंने पाकिस्तान को पैकेज देने पर अमेरिका द्वारा दी गई सफाई को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि आप ऐसी बातों से किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते। जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों के साथ एक संवाद के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ईमानदारी से कहूं, तो इस संबंध से न तो पाक को कोई लाभ हुआ है और न ही इससे अमेरिकी हितों को पूरा करने में मदद मिली है। इसलिए अब अमेरिका को यह सोचना चाहिए कि इस संबंध का फायदा क्या है और इससे उन्हें क्या मिल रहा है। अमेरिका ने पाक को पैकेज पर तर्क दिया था कि आतंक से मुकाबले के लिए एफ-16 के रख-रखाव के वास्ते पैकेज को मंजूरी दी गई है। जयशंकर ने इस अमेरिकी तर्क का जिक्र करते हुए कहा कि हर कोई जानता है कि एफ-16 का कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा, आप इस प्रकार की बातें कहकर किसी को मूर्ख नहीं बना सकते।

एस. जयशंकर ने चीन व पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा, जो लोग सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का राजनीतिकरण कर आतंकवादियों को बचा रहे, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे। जयशंकर ने कहा, न वे अपने हित आगे बढ़ा रहे हैं, न छवि बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों व उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। चीन ने हाल ही में 26/11 हमले में शामिल आतंकी पर अमेरिकी प्रस्ताव को पिछले दिनों रोक दिया था। विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, भारत सीमा पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। हम आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद के प्रायोजक देशों और उन्हें बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की। उन्होंने कहा कि भारत बड़ी जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर चर्चा को प्रक्रियात्मक रणनीति से अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए और ऐसा करने वाले इस प्रक्रिया को हमेशा के लिए बंधक नहीं बना सकते हैं।

विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जलवायु को लेकर कार्रवाई और जलवायु संबंधी न्याय विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, एक सूरज एक दुनिया एक ग्रिड पहल और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के टकराव पर अपने सहयोगियों के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा और वैश्विक कल्याण के लिए किसी भी सामूहिक और न्यायसंगत प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। (हिफी)

epmty
epmty
Top