पुलिसिंग में दृष्टांत अभिषेक, आज भी याद करती है मुजफ्फरनगर की पब्लिक-पुलिस

पीलीभीत। 2 जुलाई 2019 के दिन मुजफ्फरनगर जिले को नया पुलिस कप्तान मिला था, उस कप्तान का नाम है अभिषेक यादव हालांकि अभिषेक यादव अब पीलीभीत के पुलिस कप्तान हैं। 2019 से 2022 तक यानी तक सालों तक मुजफ्फरनगर जिले के पुलिस मुखिया रहे अभिषेक यादव के सामने कई पहाड़-सी चुनौतियां आई लेकिन उन्होंने अपनी कौशल बुद्धि से हिमालय-सी चुनौतियों को धरती में मिलाने का काम किया। मुजफ्फरनगर में कांवड़ को सकुशल सम्पन्न कराना बड़ी चुनौती से कम नहीं था लेकिन इसी बीच दूसरी बड़ी चुनौती रोहित सांडू का पुलिस पर हमला कर कस्टड़ी से फरार हो जाना पुलिस के सिरदर्द बन गया था। आईपीएस अभिषेक यादव ने लखटकिया रोहित सांडू को पुलिस मुठभेड़ में ढ़ेर कर दिया था। इस मुठभेड़ में मेरठ जोन के तत्कालीन एडीजी यानी अब यूपी पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार उस मुठभेड़ की मॉनिटरिंग कर रहे थे। ये चुनौती खत्म ही हुई थी कि देशभर में कोरोना संक्रमण ने ऐसे पैर पसारे कि लोगों की जान खतरे में आ गई थी। ऐसे में भी मुजफ्फरनगर के तत्कालीन पुलिस कमांडर अभिषेक यादव पीछे नहीं रहे बल्कि ऐसे काम किये कि उनके कार्यों की सराहना हुई थी।
आईपीएस अभिषेक यादव के आदेश के बाद लॉकडाउन में उल्लंघन करने वालों के घरों पर एफआईआर डिलीवर होने लगी थी। यह जनता की सुरक्षा के लिये भी अभिषेक यादव का बड़ा कदम था। ऐसे में अभिषेक यादव के मन में सवाल उठा कि जो अपनी जान हथेली पर रखकर जनता का ख्याल रख रहे हैं, इन्हें कैसे सुरक्षित रखा जाये। अभिषेक यादव ने अपने अधीनस्थों के लिये अभिभावक के रूप में ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि अधीनस्थ बड़े ही खुश नजर आये थे। अभिषेक यादव के कार्यकाल में बदमाशों पर पुलिस का कड़ा हंटर चला था कि बदमाश पुलिस अधिकारी के दफ्तर व थानों पर आकर तौबा करते हुए अपराध न करने की कसम खाने लगे थे। अभिषेक यादव ने बहुत सारे अभियान चलाये, जो भी अभियान चलाया, वह कारगर ही दिखाई दिया।
आईपीएस अभिषेक यादव के जीरो ड्रग्स अभियान ने भी नशा तस्करों को सुरूर उतारने का काम किया था। सीएए के विरोध में असीम भीड़ दिखाई थी लेकिन इस दौरान होशियारी दिखाते हुए आईपीएस अभिषेक यादव ने मुजफ्फरनगर जिले को हिंसा होने से बचा लिया था। अपने अधीनस्थों यानी पुलिस के लिये हैप्पी बर्थर्ड अभियान चलाया, जिसमें थानों पर हैप्पी बर्थडे टू यू गूंजने लगा था। पुलिस की नौकरी में टेंशन को देखते हुए मुजफ्फरनगर के पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ मिलने लगा था। इनके अलावा पुलिसकर्मियों के लिये सिखेड़ा थाना हो या महिला थाने वहां पर भी आदर्श बैरक बनवाने का काम किया था। आईपीएस अभिषेक यादव की सुपीरियर पुलिसिंग का यहीं पर दी एंड नहीं होता है। इनके अलावा आईपीएस अभिषेक यादव ने पुलिस के लिये ऐसा काम भी किया है, जो देश में पुलिस के लिये नजीर बना। आईपीएस अभिषेक यादव ने रिजर्व पुलिस लाईन मे पुलिस कैैफे, लाइब्रेरी, जिम, आदर्श बैरक, पार्क, किड्स जोन सहित व्यवस्थाएं दी थी।
मुजफ्फरनगर जिले में आईपीएस अभिषेक यादव की जब पोस्टिंग हुई थी तो एक और समस्या बड़ी थी, जो मुजफ्फरनगर का हर व्यक्ति चाहता था कि उसका समाधान होना चाहिए। यह समस्या थी शहर में जाम। होमवर्क करते हुए आईपीएस अभिषेक यादव ने मुजफ्फरनगर शहर में ऐसी यातयात व्यवस्था बनाई कि मुजफ्फरनगर की पब्लिक को जाम से मुक्ति मिल गई थी। वो भी आईपीएस अभिषेक यादव ही थे, जिन्होंने पूरे महिला थाने को लाईन हाजिर कर दिया था। आईपीएस अभिषेक यादव जनता के प्रति नरम और बदमाशों के प्रति सख्त रहते थे। कोई भी चुनाव रहा, शांतिपूर्वक मतदान और मतगणना कराई। आईपीएस अभिषेक यादव को काम की वजह से ही आज भी मुजफ्फरनगर की पुलिस और पब्लिक याद करती है। साल 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी व पीलीभीत के पुलिस कप्तान अभिषेक यादव के मुजफ्फरनगर पुलिस मुखिया के तौर पर किये गये कार्यों पर पेश है खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट...
आईपीएस अफसर अभिषेक यादव का स्पष्ट मानना है कि अगर आराम से बैठकर नौकरी करनी होती तो पुलिस को छोड़कर आयकर विभाग सहित चयन के लिए तमाम विभाग हैं। आज मैं पुलिस में हूं और अपराधियों से लड़कर भयमुक्त समाज बनाने की जिम्मेदारी मुझे मिली है। अगर हम इन्हें नहीं रोकेंगे तो फिर कौन रोकने आएगा।
उत्तर प्रदेश के पडौसी राज्य हरियाणा के महेन्द्रगढ़ के निवासी अभिषेक यादव ने वर्ष 2008 में इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की परीक्षा पास की थी। फिल्में देखना, किताबें पढ़ना उनका मुख्य शौक है, वे लिटरेरी सोसाइटी के मुख्य समन्वयक भी रह चुके हैं। इनके पिता का नाम एमएस यादव है। आगरा के एसपी जीआरपी पद से स्थानान्तरित होकर जनपद मुजफ्फरनगर में एसएसपी का कार्यभार संभालने के लिए 2 जुलाई 2019 को आये थे। तीन साल की बेहतरीन पुलिसिंग करने के बाद अभिषेक यादव को मथुरा भेज दिया गया था लेकिन अब अभिषेक यादव पीलीभीत में पुलिस कप्तान के तौर पर गुड पुलिसिंग कर रहे हैं। अभिषेक यादव ने अग्रेंजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फरवरी 2009 से जून 2009 तक लगभग पांच माह एसोसिएट सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में एऑन हैवीट् कम्पनी में कार्य किया, इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद बैंक में बतौर प्रोबेशन अधिकारी जुलाई 2009 से जून 2010 तक लगभग एक वर्ष कार्य किया। अभिषेक यादव इंकहार्ट स्टूडियो के संस्थापक निदेशक भी रहे। आईपीएस अभिषेक यादव ने दिसम्बर 2012 से जून 2014 तक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय एकेडमी एडमिनिस्ट्रेशन से बतौर आईपीएस प्रोबेशनर प्रशिक्षण प्राप्त किया। इससे पूर्व के.के. पॉल के पैनल ने उनका साक्षात्कार लिया था, उनके 4 सदस्यीय साक्षात्कार पैनल में दो पुरूष व दो महिलाएं विषय विशेषज्ञ शामिल थी। उन्हें पहली नियुक्ति बतौर एएसपी बुलन्दशहर में प्राप्त हुई।
इसके बाद वे जनवरी 2016 से दिसम्बर 2016 तक नोएडा में एसपी देहात के पद पर तैनात रहे। ग्रेटर नोएडा में तैनाती के वक्त अभिषेक यादव काफी लोकप्रिय हुए थे। आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल की खनन माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई को बतौर प्रशिक्षु आईपीएस अभिषेक यादव ने आगे बढ़ाया था। इन्होंने अपने हौंसले से बड़ी कामयाबी हासिल की थी। ट्रेनी आईपीएस अफसर अभिषेक यादव डंपर में बैठकर माफियाओं के करीब पहुंच गए थे और तीन लोगों को दबोच भी लिया था। इस दौरान अवैध खनन करने वालों की तरफ से पुलिस पर फायिरग भी की गई थी। उन्होंने 10 डंपर और एक पोपलेन मशीन को जब्त किया था। थानों में खाने-खिलाने की संस्कृति अब नहीं चलेगी इसके बाद वे मुरादाबाद में दिसम्बर 2016 से मार्च 2017 तक एसपी सिटी रहे। उन्हें स्वतंत्र रूप में जनपद मऊ की कमान अप्रैल 2017 में सौंपी गयी, जहां वे लगभग ढ़ाई वर्ष तक एसपी के पद पर तैनात रहे। सूत्रों की मानें तो मऊ में बतौर एसपी का पद सम्भालते ही उन्होंने थानेदारों को बुलाकर साफ कर दिया कि थानों में खाने-खिलाने की संस्कृति अब नहीं चलेगी। कोई रिपोर्ट दर्ज करने के एवज में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की शिकायत मिली तो थानेदार व मुंशी के खिलाफ सीधी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दो टूक कहा था कि अस्सी प्रतिशत लोग अपनी शिकायत लेकर थानों में पहुंचते हैं। जनता को इंसाफ थाने की दहलीज पर ही मिलना चाहिए। इसमें कोई कोताही क्षम्य नहीं होगी। उन्होंने कहा था कि उन्हें पता है सिम कार्ड खोने व पासपोर्ट बनाने में पुलिस पैसे मांगती है। अभिषेक यादव ने थानेदारों को इसे बंद करने का सीधा हुक्म दिया गया था। उन्होंने कहा था कि वे निर्देश कम देते हैं और अनुपालन पर ज्यादा ध्यान देते हैं। मऊ में एसपी रहते हुए थानेदारों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी लेने का फरमान जारी किया था, जिसको मुजफ्फरनगर में लागू कराया था। बतौर पुलिस अधिकारी उनके व्यवहार में केवल सख्ती ही नहीं दिखती, वरन उनके व्यक्तित्व में मानवीयता भी झलकती है।
कोरोना संकट काल में अधीनस्थों के अभिभावक के तौर पर किया था काम
मुजफ्फरनगर में बतौर एसएसपी रहते हुए अभिषेक यादव के कार्यकाल के दौरान आये कोरोना संकट काल की बात करते हैं। इस संकट काल में उन्होंने जनता की सुरक्षा के साथ-साथ अधीनस्थों को भी ख्याल रखा था। इस दौरान अभिषेक यादव ने पुलिस लाईन में सेनिटाइज टनल, ऑटोमेटिक धुलाई केन्द्र बनावाया था और लाइन में रहने वाले पुलिसकर्मियों को कपड़ों की वॉशिंग के लिये उन्हें ऑटोमेटिक वॉशिंग मशीन वितरण की थी। पुलिस को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये उन्हें फेस शील्ड मुहैया कराई थी। प्रत्येक थाने को रेफ्रीजरेटर एवं वाटर डिस्पेंसर बांटे। इसके अलावा थानों पर अल्ट्रावायलैट बॉक्स भेजा गया था।
मुजफ्फरनगर की रिजर्व पुलिस लाईन को बनाई स्मार्ट सिटी
2 जुलाई 2019 को जब मुजफ्फरनगर में एसएसपी के रूप में अभिषेक यादव ने कार्यभार संभाला था तो मुजफ्फरनगर की पुलिस लाइन भी अन्य जनपदों की तरह ही थी। नई सोच के नौजवान आईपीएस अफसर अभिषेक यादव के मन में सबसे पहले पुलिस के वेलफेयर का ख्याल तब आया, जब मार्च 2020 में कोविड-19 पूरी दुनिया को जकड़े हुआ था। रिजर्व पुलिस लाईन को स्मार्ट सिटी में तब्दील करते हुए आईपीएस अभिषेक यादव ने जब पुलिस कर्मियों के छोटे छोटे बच्चों के लिए किड्स जोन बनाकर उन महिला पुलिस कर्मियों की समस्या का समाधान करने की कोशिश की है जो अपने छोटे बच्चों को लेकर डयूटी करते समय टेंशन में रहती थी। खाना खाने के लिये इंडिया का पहला पुलिस कैफे, व्यायाम के लिये प्राइवेट जैसा जिम, दुनिया का ज्ञान हासिल करने के लिये लाइब्रेरी, आराम करने के लिये लग्जरी बैरक, पुलिस परिवार के घूमने के लिये पार्क बनवाया। एसएसपी ने पुलिस लाइन को स्मार्ट सिटी में तब्दील कर पुलिसकर्मियों को सौगात देने का काम किया।
मुजफ्फरनगर में पहली बार पुलिस को मिला वीकली ऑफ
आईपीएस अभिषेक यादव ने मुजफ्फरनगर में पुलिस कप्तान से ज्यादा खुद को पुलिसकर्मियों के एक अभिभावक के रूप में पेश किया था, उन्होंने पुलिस कर्मियों के हितों की चिंता की और उनके लिए काम भी करके दिखाया था। इसी कड़ी में उनका वीकली ऑफ अभियान भी शामिल रहा था। पहली बार मुजफ्फरनगर में पुलिस फोर्स को साप्ताहिक अवकाश मंजूर किया गया था। इसके लिए पूरी कार्ययोजना तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने तैयार की और लागू कराया गया। इससे फोर्स को प्रोत्साहन मिला था। मुजफ्फरनगर में पहली बार पुलिस को मिला वीकली ऑफ आईपीएस अभिषेक यादव ने पुलिस कप्तान से ज्यादा खुद को पुलिसकर्मियों के एक अभिभावक के रूप में पेश किया था, उन्होंने पुलिस कर्मियों के हितों की चिंता की और उनके लिए काम भी करके दिखाया था। इसी कड़ी में उनका वीकली ऑफ अभियान भी शामिल रहा था। पहली बार मुजफ्फरनगर में पुलिस फोर्स को साप्ताहिक अवकाश मंजूर किया गया था। इसके लिए पूरी कार्ययोजना तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने तैयार की और लागू कराया गया। इससे फोर्स को प्रोत्साहन मिला था।
अभिषेक के जीरो ड्रग्स अभियान ने उतारा था नशा तस्करों का सुरूर

मुजफ्फरनगर के तत्कालीन पुलिस कप्तान अभिषेक यादव ने हरियाणा का पडौसी जनपद होने के कारण मुजफ्फरनगर में अवैध नशा कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए जीरो ड्रग्स अभियान चलाया था, जिसमें इसमें भांग तस्करी गैंग पकड़ा गया तो वहीं जनपद में एक करोड़ की नकली शराब का जखीरा पकड़कर तत्कालीन पुलिस कप्तान अभिषेक यादव ने शराब तस्करों के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया था। जीरो ड्रग्स अभियान के अंतर्गत मुज़फ्फरनगर पुलिस की स्वाट टीम के साथ साथ थाना सिविल लाइन पुलिस ने लगभग डेढ़ करोड़ रुपए की कीमत के नकली सप्लीमेंट बरामद कर तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
मुजफ्फरनगर के बदमाशों में दिखाई दिया था खाकी का खौफ- पुलिस के सामने करने लगे थे तौबा
कांवड यात्रा शुरू होने के दौरान ही पुलिस अभिरक्षा से दरोगा की हत्या कर फरार कुख्यात और एक लाख का ईनामी बदमाश रोहित सांडू तत्कालीन एसएसपी अभिषेक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा था, लेकिन जनता में विश्वास बहाली के लिए इस चुनौती को उन्होंने न केवल स्वीकार किया, बल्कि जब रोहित सांडू की फरारी के 14 दिनों के बाद रिजल्ट दिया तो वह बदमाशों के बीच ही खौफ पैदा करने वाला साबित हुआ। पुलिस ने रोहित सांडू को एनकाउंटर में उसके ईनामी साथी राकेश यादव के साथ ढेर कर दिया था। आईपीएस अभिषेक यादव की अगुवाई में कई बड़े अपराधियों को पुलिस बड़ेघर की तरफ रवाना कर चुकी है। बदमाशों में पुलिस का इतना भय पैदा हो गया था कि वह पुलिस के डर से अपराध से तौबा करने लगे थे। आईपीएस अभिषेेक यादव अपने दफ्तर में जनसमस्याएं सुन रहे थे। इसी दौरान रोहित सांडू को पुलिस कस्टडी से फरार कराने में शामिल 50 हजार के इनामी बदमाश विक्की राठी ने आईपीएस अभिषेक यादव के सामने सरेंडर कर दिया था। इसके अलावा आईपीएस अभिषेक के खौफ से बदमाशों ने थानों में पहुंचकर सरेंडर करना प्रारंभ कर दिया था।

अभिषेक ने मुजफ्फरनगर को बनाया था जाम मुक्त- पब्लिक में हुई थी प्रशंसा
जाम से मुक्ति को नगर में तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने अनोखा प्रयास करते हुए लक्ष्मण रेखा खींच दी थी। सड़कों पर व्हाइट लाइन अभियान चलाया था। इसके अन्तर्गत शहर की सड़कों पर बेतरतीब और मनमर्जी पार्किंग करने वाले वाहनों के मालिकों को तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव फाइन के सहारे लाइन में रहने का पाठ पढाया था। इससे पूर्व शहर में जाम और भयंकर हादसों का कारण बन रही बसों की नो एंट्री की योजना को तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने सख्ती से लागू कराने का काम किया था और दिन के उजाले में शहरी क्षेत्र को बसों की भागदौड़ से मुक्त करने का काम किया था। इसमें रोडवेज बसें भी शामिल रहीं थी, वहलना चौक और अस्पताल पर रोडवेज बसों का अस्थाई स्टोप बनवाया था। आईपीएस अभिषेक यादव ने मुजफ्फरनगर में ऐसी व्यवस्था बना दी थी कि शहर जाम से मुक्त हो गया था, जिसके बाद मुजफ्फरनगर की पब्लिक ने जाम से राहत पाते हुए अभिषेक यादव की प्रशंस की थी।
थानों में पुलिसकर्मियों के जन्मदिन पर गूंजा था हैप्पी बर्थ-डे

आईपीएस अभिषेक यादव को जब उस वक्त के डीजीपी का बर्थडे पर विशिंग ग्रीटिंग मिला, तो उनके मन में अपनी फोर्स की भागदौड़ भरी सर्विस का ख्याल आया था। यहां से उन्होंने जनपद में एक अनूठा और सराहनीय अभियान चलाया था। इसके बाद जनपद के थानों व पुलिस कार्यालयों में उत्साह और जोश के साथ हैप्पी बर्थ-डे गंूजने लगा था। पुलिसकर्मी केक काटकर जश्न मनाते नजर आये थे। उनके इस अभियान ने पुलिस कर्मियों में नया जोश और कार्य के प्रति एक उत्साह पैदा किया था। इस अभियान में कई ऐसे भी पुलिसकर्मी सामने आये, जो नौकरी में काम के दबाव के कारण अपना जन्मदिन ही भूल चुके थे, किसी ने पुलिस सर्विस में पहली बार अपना जन्मदिन मनाया था। पुलिस के बीच इस अभियान ने एक पारिवारिक और भावनात्मक रिश्ता पैदा किया था।

सीएए पर हिंसा, दो घंटे में उपद्रव किया था कंट्रोल
20 दिसम्बर 2019 को जब मुस्लिम जुमे की नमाज के बाद सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने मुजफ्फरनगर शहर की सड़कों पर उतरे तो इससे पहले ही तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव और तत्कालीन डीएम सेल्वा कुमारी और फोर्स के साथ मुस्तैद थे, लेकिन भीड़ बेकाबू हो गयी और शहर में व्यापक हिंसा होने लगी, लेकिन 20 दिसम्बर को 20 हजार लोगों की भीड़ में घिरने और हिंसा होने के बाद भी आईपीएस अभिषेक यादव ने गजब की नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन करते हुए फोर्स का मनोबल बढ़ाया, गुस्साये लोगों को समझाया और दो घंटे में ही शहर की स्थिति को कंट्रोल करने में सफल रहे थे। इसमें उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि सड़कों पर कई जगह दोनों समुदायों के लोगों के आमने-सामने हो जाने के बाद भी साम्प्रदायिक हिंसा नहीं हुई थी।
भ्रष्टाचार होने पर कर दिया था पूरा महिला थाना लाइन हाजिर

पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर आईपीएस अभिषेक यादव सख्त रहे। जब महिला थाने की दारोगा सीमा यादव ने जहरीला पदार्थ खाया तो पुलिस पर सवाल उठे, ऐसे में तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने महिला थाने के पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया था। महिला थाने में अनियमितता व दूसरे प्रकार की शिकायतें मिल रही थी। जिस पर उन्होंने उस वक्त के सीओ सिटी से जांच कराई थी। जांच में प्रथम दृष्टया प्रभारी निरीक्षक सहित कई पुलिसकर्मियों के दोषी पाए जाने पर तत्कालीन एसएसपी अभिषेक यादव ने पूरा थाना ही लाइन हाजिर कर दिया था, जिसमें एक इंस्पेक्टर, 8 सब इंस्पेक्टर, दो हेड कांस्टेबल, 38 कांस्टेबिल शामिल रहे थे।