बोले पंकज अग्रवाल-RDF को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियां- पर्यावरण के ...
मुजफ्फरनगर। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फेडरेशन पेपर मिल एसोसिएशन तथा लघु उद्योग भारती ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि आरडीएफ को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही है। जबकि इस ईंधन का प्रयोग स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत किया जा रहा है और यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है।
सोमवार को शहर के मेरठ रोड स्थित फेडरेशन भवन में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, पेपर मिल एसोसिएशन एवं लघु उद्योग भारती के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्योगों द्वारा आरडीएफ के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण को लेकर चल रही चर्चाओं एवं उद्योगों से संबंधित तथ्यों को स्पष्ट किया गया।
प्रेस वार्ता आरंभ करते हुए पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि मुजफ्फरनगर में उद्योगों को प्रदूषण का मुख्य कारण बताकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, वह सब वास्तविक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि उद्योगों से निकलने वाला उत्सर्जन निर्धारित मानकों के अनुरूप होता है तथा उसका निस्तारण वैज्ञानिक और नियंत्रित तरीके से किया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उद्योगों में उपयोग होने वाले ईंधन एवं अपशिष्ट को जलाने की प्रक्रिया से किसी प्रकार का अतिरिक्त या हानिकारक प्रदूषण उत्पन्न नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हर उद्योग में ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगा है जिसका डेटा 24 घंटे यूपी पॉल्यूशन बोर्ड और सीपीसीबी पर जाता रहता है। जब फैक्टरियाँ बंद होती है तब भी एक्यूआई कम नहीं होता।उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर से ज़्यादा एक्यूआई मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम में रहता है। बिजनौर जहाँ आरडीएफ इस्तेमाल नहीं होता वहाँ भी एक्यूआई बढ़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि एक्यूआई सर्दियों में हवा हल्की चलने से बढ़ता है। सर्दियो में हवा भारी होती है और नीचे की हवा ऊपर नहीं जाती। उन्होंने बताया कि आरडीएफ का इस्तेमाल स्वच्छ भारत अभियान के तहत किया जा रहा है। दिल्ली में आरडीएफ आधारित कई बायलर है और 3 और लगने जा रहे है। सरकार इसे प्राथमिकता दे रही है। ये पर्यावरण अनुकूल है। उन्होंने बताया कि भारत में कोयले की कमी होने की वजह से करोड़ो टन कोयला इंपोर्ट किया जाता है जिससे बहुमूल्य USD खर्च होता है। आरडीएफ इस्तेमाल करने से कूड़े के ढेर भी समाप्त होते है।
उन्होंने बताया कि आरडीएफ विश्व में काफ़ी देशों में बिजली उत्पादन के लिए जलाया जाता है। अमेरिका, चाइना, जापान नीदरलैंड आदि इसका उपयोग करते हैं। सभी मिलो में अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रक उपकरण लगे है जिससे हवा की क्वालिटी निर्धारित मानको के अनुरूप होती है। उन्होंने बताया कि स्थानीय उद्योग पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरी तरह सजग हैं और प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित सभी नियमों एवं दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं। आईआईआई के नेशनल सेक्रेट्री कुश पुरी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योगों द्वारा आरडीएफ के सीपीसीबी, यूपीपीसीबी एवं सीएक्यूएम द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत लगाए गए हैं और आरडीएफ सिर्फ उद्योगों में ही नहीं वरन नगर निकाय द्वारा भी ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग किया जा रहे हैं और उद्योग नियमों का उल्लंघन न करें इसे सुनिश्चित करने के लिए यूपीपीसीबी के अंतर्गत केंद्रीय एजेंसीज भी निगरानी रखती है क्योंकि मुजफ्फरनगर एनसीआर का हिस्सा है।
प्रेस वार्ता में प्रभात कुमार ने बताया कि उन्होंने जनपद की सभी प्रमुख औद्योगिक इकाइयों से संबंधित उत्सर्जन एवं पर्यावरणीय डाटा का विस्तृत अध्ययन किया है। इस संकलित डाटा के आधार पर उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदूषण केवल उद्योगों की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने कहा कि बिना समग्र तथ्यों को देखे केवल उद्योगों को दोषी ठहराना उचित नहीं है और प्रदूषण के वास्तविक कारणों की पहचान के लिए सभी पक्षों पर समान रूप से विचार किया जाना चाहिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईआईए डिविजनल सेक्रेटरी पवन कुमार गोयल, स्किल डेवलपमेंट के अध्यक्ष अश्विनी खंडेलवाल, पूर्व अध्यक्ष, अशोक अग्रवाल, विपुल भटनागर, नवीन अग्रवाल, लघु उद्योग भारती के क्षेत्रीय अध्यक्ष राजेश जैन, फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष अंकित संगल, मनीष भाटिया, अमित गर्ग, श्रवण गर्ग, मयंक बिंदल, सचिन बिंदल, परशून अग्रवाल, अजय कपूर, अमित मित्तल,अंकुर गर्ग,साकार गुप्ता, शशांक जैन, करण स्वरूप, अजय पालीवाल, अनमोल अग्रवाल, मृदुल भाटिया, दीपक बंसल, आदि उपस्थित रहे।


