हाई कोर्ट ने वकील की मौत के लिए चिकित्सकीय लापरवाही को ठहराया जिम्मेदार

अगरतला। त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मार्च, 2020 में राज्य में एक युवा अधिवक्ता की अप्राकृतिक मौत के संबंध में अदालत में गलत हलफनामा दाखिल करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की उप सचिव अनिमा देबबर्मा के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अगरतला सरकारी मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में ऑन-ड्यूटी डॉक्टर के द्वारा चिकित्सा में हुई लापरवाही की बात से इंकार कर गलत बयान देने और अदालत को गुमराह करने के लिए अधिकारी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।
उप सचिव देबबर्मा ने अदालत में कहा था कि भास्कर देबरॉय को 7 मार्च, 2020 की देर रात दमकल कर्मियों द्वारा अस्पताल में लाया गया था। 12.59 बजे डॉ देबाशीष पॉल ने मरीज को देखकर पाया कि वह होश में है। इस दौरान, मरीज ने शराब का सेवन नहीं करने से लेकर अपने साथ किसी भी प्रकार की मारपीट न होने के बारे जानकारी दी थी।
हालांकि, मजिस्ट्रियल रिपोर्ट का इस पर कुछ और ही कहना है। रिपोर्ट में कहा गया, "डॉ देबाशीष पॉल ने चिकित्सा में बहुत लापरवाही की थी, उन्होंने जानबूझकर मरीज की सही देखभाल नहीं की थी और इसी वजह से उनकी मौत हुई।''
बाद में, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शंकर देबरॉय के नेतृत्व वाली टीम की डेथ ऑडिट रिपोर्ट में भी इलाज में कई खामियां और लापरवाही पाई गईं। बताया गया कि ट्रॉमा सेंटर में मरीज के पहुंचने के बाद से ही इलाज शुरू करने में देरी हुई।
वार्ता