हमें भारत में ही बनाने होंगे, चिप हो या शिप- मोदी

हमें भारत में ही बनाने होंगे, चिप हो या शिप- मोदी

भावनगर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को यहां कहा कि ‘चिप हो या शिप’,इन्हें भारत में ही बनाना होगा।

मोदी ने कहा कि इसी सोच के साथ आज भारत का मेरीटाइम सेक्टर भी ‘नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स’ करने जा रहा है।

मोदी ने गुजरात के भावनगर में कहा कि आज से देश के हर मेजर पोर्ट को भांति-भांति के डॉक्युमेंट से, अलग-अलग प्रोसेसेज़ से मुक्ति मिलेगी। वन नेशन, वन डॉक्युमेंट, और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस, अब व्यापार-कारोबार को और सरल करने वाली है।

उन्होंने कहा, “ हाल में ही, जैसे हमारे मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया, मॉनसून सेशन के दौरान, संसद में हमने ऐसे अनेक पुराने कानूनों को बदला है, जो अंग्रेज़ों के जमाने से चले आ रहे थे। हमने मेरीटाइम सेक्टर में अनेक रिफॉर्म करने का सिलसिला शुरू किया है। हमारी सरकार ने पांच मेरीटाइम कानूनों को नये अवतार में देश के सामने रखा है। इन कानूनों से और इन कानूनों के आने से शिपिंग सेक्टर में, पोर्ट गवर्नेंस में एक बहुत बड़ा बदलाव आयेगा। ”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत को अगर 2047, जब देश की आजादी के 100 साल होंगे, 2047 तक विकसित होना है, तो भारत को आत्मनिर्भर होना ही होगा। आत्मनिर्भर होने के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। 140 करोड़ देशवासियों का एक ही संकल्प होना चाहिए, चिप हो या शिप, हमें भारत में ही बनाने होंगे। भारत सदियों से बड़े-बड़े जहाज बनाने में एक्सपर्ट रहा है। नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स देश के इस भूले हुए गौरव को फिर वापस लाने में मदद करेंगे। बीते दशक में हमने 40 से अधिक शिप्स और पनडुब्बियां, नेवी में इंडक्ट की हैं। इनमें से एक-दो को छोड़ दें, तो ये सब हमने भारत में ही बनायी हैं। ”

उन्होंने कहा, “ आपने आइएनएस विक्रांत के विषय में सुना होगा, इतना विशाल आईएनएस- विक्रांत भी भारत में ही बना है, इसे बनाने के लिए जो हाई क्वालिटी स्टील लगी, वह भी भारत में बनी थी। यानी हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास कौशल की कोई कमी नहीं है। बड़े शिप बनाने के लिए जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, उसका भरोसा मैं आज देशवासियों को दे रहा हूं।”

उन्होंने कहा कि देश के मैरीटाइम सेक्टर को मजबूती देने के लिए कल भी एक बहुत ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। देश की पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव किया है। अब सरकार ने बड़े जहाजों को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता दी है। जब किसी सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता मिलती है, तो उसे बहुत फायदा होता है। अब बड़े शिप बनाने वाली कंपनियों को बैंकों से ऋण मिलने में आसानी होगी, उन्हें ब्याज दर में भी छूट मिलेगी, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग के जितने भी और लाभ होते हैं, वह सारे के सारे इन जहाज बनाने वाली कंपनियों को भी मिलेंगे। सरकार के इस निर्णय से, भारतीय शिपिंग कंपनियों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा, उन्हें ग्लोबल कंप्टीशन में आगे आने में मदद मिलेगी। ”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया की एक बड़ी समुद्री शक्ति बनाने के लिए, तीन और बड़ी स्कीम पर भारत सरकार काम कर रही है। इन तीन योजनाओं से शिप बिल्डिंग सेक्टर को आर्थिक मदद मिलने में आसानी होगी, हमारे शिप यार्ड को मार्डन टेक्नोलॉजी अपनाने में मदद होगी और डिजाइन और क्वालिटी सुधारने में भी बहुत मदद मिलने वाली है। इन पर आने वाले वर्षों में सत्तर हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किये जायेंगे।

श्री मोदी ने कहा,“ मुझे याद है, साल 2007 में जब मैं यहां मुख्यमंत्री के रूप में आपकी सेवा कर रहा था, तब शिप-बिल्डिंग के अवसरों को लेकर एक बहुत बड़ा सेमिनार गुजरात ने आयोजित किया था। उसी दौरान ही गुजरात में हमने, शिप-बिल्डिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट दिया था। अब हम देशभर में शिप-बिल्डिंग के लिए व्यापक कदम उठा रहे हैं। यहां मौजूद एक्सपर्ट्स जानते हैं कि शिप बिल्डिंग कोई साधारण इंडस्ट्री नहीं है। शिप बिल्डिंग ईडस्ट्री को पूरी दुनिया में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज, उद्योगों की जननी कहा जाता है। क्योंकि इसमें सिर्फ एक जहाज़ ही नहीं बनता, उसके साथ जो उद्योग जुड़े होते हैं, उनका विस्तार होता है। स्टील, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, पेंट्स, आईटी सिस्टम, ऐसे अनेक- अनेक उद्योगों को शिपिंग इंडस्ट्री से सपोर्ट मिलता है।”

उन्होंने कहा कि इससे छोटे और लघु उद्योगों को, एमएसएमईएस को फायदा होता है। रिसर्च बताती है कि शिप बिलडिंग में होने वाले हर एक रुपए के निवेश से इकॉनॉमी में लगभग दोगुना निवेश बढ़ता है और शिपयार्ड में पैदा होने वाली हर एक जॉब, हर एक रोजगार सप्लाई चेन में छह से सात नयी नौकरियां बनाती है। मतलब अगर शिप-बिल्डिंग इंडस्ट्री में सौ नौकरियां बनती हैं, तो इससे जुड़े दूसरे सेक्टर्स में 600 से अधिक जॉब्स क्रिएट होती हैं। इतना बड़ा मल्टी-प्लायर इफेक्ट शिप-बिल्डिंग का होता है।

उन्होंने कहा, “ हम शिप बिल्डिंग के जरूरी स्किल सेट्स पर भी फोकस कर रहे हैं। इसमें हमारे आईटीआई काम आएंगी, मेरीटाइम यूनिवर्सिटी का रोल बढ़ेगा। बीते वर्षों में हमने कोस्टल एरिया में नेवी और एनसीसी के तालमेल से नई व्यवस्थाएं बनाई हैं। इन एनसीसी कैडेट्स को नेवी के साथ-साथ कमर्शियल सेक्टर की भूमिकाओं के लिए भी तैयार किया जाएगा। आज का भारत, एक अलग मिजाज से आगे बढ़ रहा है। हम जो लक्ष्य तय करते हैं, उसे अब समय से पहले पूरा करके भी दिखाते हैं।”

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