जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के चुनाव पर सरकार को झटका, चुनाव परिणाम....

नैनीताल, उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्षों के लिये चल रही चुनाव प्रक्रिया में शुक्रवार को नाटकीय मोड़ आ गया है। उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत अध्यक्षों के पदोें के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेन्दर की अगुवाई वाली खंडपीठ आरक्षण रोस्टर पर सोमवार 11 अगस्त को पुनः सुनवाई करेगी।
इस मामले को कांग्रेस नेता और चकराता के विधायक प्रीतम सिंह के सुपुत्र एवं देहरादून के नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य अभिषेक सिंह और रूद्रपुर के नव निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य जितेन्द्र शर्मा की ओर से अलग-अलग चुनौती दी गयी है।
अभिषेक सिंह की ओर से आज उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता देवदत्त कामत ने पैरवी करते हुए कहा कि सरकार की ओर से देहरादून के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये जो आरक्षण तय किया गया है, वह गलत है।
यह संविधान के अनुच्छेद 243 डी और 14 की भावना के खिलाफ है। इसे रद्द किया जाये। आगे कहा गया कि सत्ता के दबाव में इस पद को महिला (सामान्य) के लिये आरक्षित किया गया है।
वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गयी है। चुनावी अधिसूचना जारी हो गयी है। 11 अगस्त को नामांकन और 14 अगस्त को मतदान के साथ ही परिणाम घोषित होंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से भी चुनाव परिणाम घोषित करने पर रोक लगाये जाने का विरोध किया गया। खंडपीठ ने दोनों की दलील को अस्वीकार करते हुए सरकार से जवाबी हलफनामा दायर करने और तब तक निर्वाचन आयोग को चुनाव परिणाम जारी नहीं करने के निर्देश दे दिये।
ऊधम सिंह नगर के नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य जितेन्द्र शर्मा की ओर से भी ऊधम सिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये आरक्षण को चुनौती दी गयी है।
दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार ने ऊधम सिंह नगर के जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिये निर्धारित कर दिया जो कि गलत है। ओबीसी की सबसे अधिक जनसंख्या हरिद्वार और इसके बाद उत्तरकाशी जिले में तैनात है।
सत्ता प्रतिष्ठान के दबाव में इसे ऊधम सिंह नगर जिले में थोप दिया गया है। अदालत दोनों मामलों में अब सोमवार को सुनवाई करेगी। अदालत के रूख से फिलहाल सरकार के लिए असहजता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।