विजय दिवस परेड में शामिल हुए पुतिन, शाहबाज. ‘ट्रम्प ने कसा तंज’

विजय दिवस परेड में शामिल हुए पुतिन, शाहबाज. ‘ट्रम्प ने कसा तंज’

बीजिंग, चीन ने दूसरे विश्व युद्ध में अपनी विजय की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बुधवार को यहां एक विशाल सैन्य परेड का आयोजन किया जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग उन सहित 20 से अधिक विदेशी नेताओं ने शिरकत की।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव एवं केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस भारी-भरकम परेड का निरीक्षण किया और सैनिकों से सलामी ली। इस परेड में रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और कनाडा जैसे देशों से चीन की द्वितीय विश्व युद्ध में सहायता करने वाले लोगों के प्रतिनिधियों या उनके परिवार के सदस्यों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था।

साल 2015 के बाद से यह दूसरा अवसर था, जब चीन ने जापानी आक्रमण के विरुद्ध चीनी जन प्रतिरोध युद्ध और विश्व फासीवाद-विरोधी युद्ध में मिली मिली जीत के उपलक्ष्य में सैन्य परेड का आयोजन किया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस मौक़े पर चीन को बधाई दी और साथ ही तंज़ कसते हुए अमेरिका के ख़िलाफ़ 'साज़िश' रचने का आरोप लगाया। उन्होंने एक पोस्ट किया, "बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग उस भारी समर्थन और 'रक्त' का ज़िक्र करेंगे जो अमेरिका ने चीन को विदेशी आक्रमणकारी से आज़ादी हासिल करने में मदद करने के लिए दिया था।”

श्री ट्रम्प ने सर्वश्री पुतिन और किम की अमेरिका के खिलाफ़ कथित तौर पर साज़िश रचने के लिए भी आलोचना की। उन्होंने कहा, “व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं, क्योंकि आप अमेरिका के खिलाफ़ साज़िश रच रहे हैं।”

परेड से पहले श्री जिनपिंग ने अपने संबोधन में 80 साल पहले हुई इस जीत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, कहा कि यह आधुनिक समय में विदेशी आक्रमण के विरुद्ध चीन की पहली पूर्ण विजय है। चीन के लोगों ने युद्ध में अपार बलिदान देकर मानव सभ्यता के उद्धार और विश्व शांति की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रों से ‘युद्ध के मूल कारण को समाप्त करने और ऐतिहासिक त्रासदियों की पुनरावृत्ति को रोकने’ का आह्वान किया। उन्होंने शांतिपूर्ण विकास के प्रति चीन की प्रतिबद्धता भी दोहराई। उल्लेखनीय है कि दूसरे विश्व युद्ध में जापान ने दो सितंबर, 1945 को आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद चीन ने तीन सितंबर को विजय दिवस घोषित किया।

तियानआनमेन चौक के ऊपर हेलीकॉप्टरों ने ‘न्याय की जीत है’, ‘शांति की जीत है’ और ‘जनता की जीत है’, लिखे बैनर लेकर उड़ान भरी। सेना ने नये टैंकों, तोपों और अन्य साजो सामान का इस परेड में मुजाहिरा भी किया। सेना के दमखम वाले इस अनोखे प्रदर्शन में 10,000 से ज़्यादा सैन्य कर्मियों, 100 से ज़्यादा विमानों और सैकड़ों ज़मीनी हथियारों के साथ, युद्धकालीन कमान प्रणाली जैसी टुकड़ियों में तैनात किये गये थे। इस प्रदर्शन में मानवरहित खुफिया और मानवरहित-विरोधी उपकरण, हाइपरसोनिक मिसाइलें, निर्देशित-ऊर्जा हथियार, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम और वैश्विक हमले करने में सक्षम रणनीतिक हथियार शामिल थे।

परेड में शामिल नेताओं में म्यांमार के सैन्य प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, मंगोलियाई राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना, उज्बेक राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव और बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको शामिल थे।

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