PM रामगुलाम का वाराणसी में करेंगे स्वागत- वहां से जाएंगे उत्तराखंड

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार पूर्वाह्न वाराणसी में मारीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम की मेज़बानी करेंगे और इसके बाद वहां से उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण के लिए देहरादून जाएंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार मोदी कल लगभग 11:30 बजे प्रधानमंत्री श्री रामगुलाम का वाराणसी में स्वागत करेंगे। वह 9 से 16 सितंबर तक भारत की राजकीय यात्रा पर हैं।
मोदी वहां से देहरादून जाएँगे और लगभग 4:15 बजे, उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। प्रधानमंत्री लगभग पांच बजे अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि ऐतिहासिक शहर वाराणसी में दोनों नेताओं के बीच यह बैठक स्थायी सभ्यतागत जुड़ाव, आध्यात्मिक बंधन और लोगों के बीच गहरे संबंधों को रेखांकित करती है। इसी सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव ने भारत और मॉरीशस के बीच विशेष और अनूठे संबंधों को विशेष आकार दिया है।
दोनों नेता इस मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की समीक्षा करेंगे, जिसमें विकास साझेदारी और क्षमता निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वे स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और नीली अर्थव्यवस्था जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर भी चर्चा करेंगे।
मोदी इसी वर्ष मार्च में मॉरीशस की राजकीय यात्रा पर गये थे और इससे दोनों देशों के बीच संबंधों को गति मिली थी। बयान में कहा गया है कि रामगुलाम की इस यात्रा से उस गति को और बल मिलेगा। मोदी की पिछली मारीशस यात्रा में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को 'उन्नत रणनीतिक साझेदारी' का स्तर दिया था।
हिंद महासागर क्षेत्र में एक मूल्यवान साझेदार और घनिष्ठ समुद्री पड़ोसी के रूप में, मॉरीशस भारत के महासागर (क्षेत्र भर में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) विजन और 'पड़ोसी पहले' नीति के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच गहराता सहयोग न केवल उनके लोगों की समृद्धि के लिए, बल्कि दक्षिणी क्षेत्र के विकासशील देशों की सामूहिक आकांक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत को विश्वास है कि वाराणसी शिखर बैठक भारत और मॉरीशस की पारस्परिक समृद्धि, सतत विकास और एक सुरक्षित एवं समावेशी भविष्य की दिशा में साझा यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।