प्रदेश का हर तीन साल में सर्वे कराये सरकार: अदालत

प्रदेश का हर तीन साल में सर्वे कराये सरकार: अदालत

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय देहरादून के नदी तथा खालों पर अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बुधवार को प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह हर तीन साल में सर्वे आफ इंडिया से प्रदेश का एक विस्तृत सर्वे कराये और विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करें।

मुख्य न्यायाधीश आर.एस. चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने देहरादून के समाज सेवी अजय नारायण शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को ये निर्देश जारी किये। पीठ ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि सर्वे के माध्यम से प्रदेश की पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ साथ वनों तथा जलीय इकाइयों जैसे नदी-नालों और खालों की वस्तुस्थिति का अध्ययन किया जा सके और अतिक्रमण की स्थिति में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जा सके।

पीठ ने प्रदेश के मुख्य सचिव को भी निर्देश दिये कि वह यह भी सुनिश्चित करें कि देहरादून तथा नैनीताल के अलावा सभी शहरों का प्रत्येक दो साल में सर्वे कराये जाये और वहां की जमीनी हकीकत पर नजर रखी जाये। इससे जहां इन शहरों का पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा, वहीं अनियंत्रित अतिक्रमण पर रोक लग सकेगी।

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि 1960 के बाद कोई सर्वे नहीं हुआ है। अदालत ने सरकार से यह भी पूछा कि अतिक्रमण को रोकने और अनियंत्रित विकास पर रोक लगाने के लिये शहरों का मास्टर प्लान क्यों नहीं तैयार किया जा रहा है? सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं था। कुछ अधिवक्ताओं ने हालांकि मांग की कि अदालत इस मामले में आदेश पारित कर सरकार को निर्देश जारी करे।

सुनवाई के दौरान राजस्व सचिव बी.बी. पुरुषोत्तम, देहरादून के जिलाधिकारी आर राजेश कुमार, मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ब्रजेश कुमार संत तथा नगर आयुक्त देहरादून अभिषेक रोहिला अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।

अदालत ने देहरादून के डीएम राजेश कुमार को भी निर्देश दिये कि वह 14 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करके बताये कि एक साल के अंदर दर्ज शिकायतों के सापेक्ष उन्होंने कितने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।

सुनवाई के दौरान अदालत ने दून घाटी में नदी तथा नालों के किनारे हो रहे अतिक्रमण को बेहद गंभीरता से लिया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने के मामले में सख्त रूख अख्तियार किया।


वार्ता

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