पंचायत चुनाव को लेकर पशोपेश जारी, चुनाव आयोग पहुंचा हाईकोर्ट

नैनीताल, उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर उच्च न्यायालय के हाल ही के आदेश से राज्य निर्वाचन आयोग विभ्रम की स्थिति में है। ऐसे में आयोग ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और स्थगनादेश को खारिज करने की मांग की है। चुनाव आयोग के प्रार्थना पत्र पर कल सोमवार को सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने रुद्रप्रयाग निवासी शक्ति सिंह बड़थ्वाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विगत 11 जुलाई को अंतरिम आदेश जारी कर चुनाव आयोग के विगत छह जुलाई के उस स्पष्टीकरण आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें एक से अधिक मतदाता सूची में नाम होने के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश या राय नहीं दी गई थी। अदालत ने इसे पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (6) और (7) के विरुद्ध माना था।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र में जनहित याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि ऐसे दावे केवल चुनाव समाप्ति के बाद ही चुनाव याचिका के माध्यम से किए जा सकते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-0 के तहत चुनाव समाप्ति से पहले ऐसे दावों पर विचार करने पर प्रतिबंध है।
यह भी कहा गया है कि 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की कि अदालत पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगा रहा है लेकिन इस टिप्पणी का अंतरिम आदेश में उल्लेख नहीं किया जा सका है जिसके कारण राज्य चुनाव आयोग आगे कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं है।
आगे कहा है कि अदालत ने आदेश पारित करते हुए माना कि विवादित स्पष्टीकरण उत्तराखंड अधिनियम की धारा 9 की उपधारा (6) और (7) के विरुद्ध है। इसलिए उस पर कार्रवाई नहीं की जाए।
यह भी कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-ओ और पंचायती राज अधिनियम,2016 की धारा 131एच में प्रावधान है कि संवीक्षा के निर्णय पर कोई भी आपत्ति चुनाव समाप्त होने के बाद ही चुनाव याचिका के माध्यम से की जा सकती है। साथ ही धारा 9 की उपधारा 8 और 13 के संयुक्त वाचन से स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत के किसी भी चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि के बाद और उस चुनाव के पूरा होने से पहले कोई भी सुधार, विलोपन या परिवर्धन नहीं किया जा सकता है। नामांकन की अंतिम तिथि 05 जुलाई जबकि चुनाव पूरा होने की तिथि 31 जुलाई है, इसलिए इस अवधि के बीच मतदाता सूची में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इस बीच किसी भी विसंगति को केवल चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दी जा सकती है।
चुनाव आयोग ने आगे कहा है कि नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है और दो चरणों वाले चुनाव में 14 और 18 जुलाई को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाने प्रस्तावित हैं जबकि पहले और दूसरे चरण के लिए मतदान 24 और 28 जुलाई को होना तय है।
आगे कहा गया है कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के 20,000 से अधिक उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं और उनकी औपचारिक घोषणा की जानी शेष है। इसके अतिरिक्त हजारों सरकारी कर्मचारियों को चुनाव संबंधी कार्यों के लिए तैनात किया गया है और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। पूरी प्रक्रिया में भारी धनराशि खर्च हो चुकी है।
आयोग ने अंत में 11 जुलाई के स्थगनादेश को रद्द करने या उसमें संशोधन करने का अनुरोध किया है।