विरासत से जुड़ी इमारतों का का कार्य प्राथमिकता पर कराया जायेगा- जयवीर

विरासत से जुड़ी इमारतों का का कार्य प्राथमिकता पर कराया जायेगा- जयवीर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में स्थित प्राचीन इमारतों, भवनों, किला, बावली, कुंड, जलाशय आदि के संरक्षण एवं अभिलेखीकरण के लिए आज पर्यटन निदेशालय में उ0प्र0 राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) तथा इण्टैक कंजर्वेशन इन्स्टीट्यूट लखनऊ व ग्लोबल फाउन्डेशन लखनऊ के मध्य पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये।

इस अवसर पर जयवीर सिंह ने कहा कि उ0प्र0 मंे पर्यटन के क्षेत्र में अनन्त संभावनायें हैं। इनका अधिकतम दोहन एवं निवेश आकर्षित करने के लिए विरासत से जुडे़ भवनों, स्मारकों आदि को संरक्षित करना आवश्यक है। इन ऐतिहासिक स्थलों का शैक्षिक महत्व भी है। यह प्राचीन इमारतें अतीत के इतिहास को समेटे हुए स्थापत्य कला के अद्भुत नमूने हैं। जिन्हें भविष्य की पीढ़ी के लिए संरक्षित करना जरूरी है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए अपनी विरासत को संरक्षित एवं अभिलेखीकृत करने के लिए इस क्षेत्र मंे काम करने वाली जानीमानी संस्थाओं के साथ समझौता किया गया है।

पर्यटन मंत्री ने कहा कि इस समझौते से ग्लोबल फाउन्डेशन तथा इण्टैक कन्जर्वेशन की योग्यता एवं दक्षता का लाभ मिलेगा और प्राचीन धरोहरों को संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले में प्राचीन धरोहर मौजूद हैं। इनके बारे में लोगों को जानकारी मिल सके। इसलिए इनका अभिलेखीकरण भी कराया जा रहा है। इन संस्थाओं के कार्य में आईआईटी रूड़की का भी सहयोग प्राप्त होगा। दोनों संस्थाओं के सहयोग से कार्य करने में समझ बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि यह समझौता पॉच वर्ष के लिए किया गया है।

जयवीर सिंह ने दोनों सस्थाओं के अध्यक्षों तथा उनकी टीम के साथ उनके द्वारा किये गये अभिलेखीकरण तथा संरक्षण से संबंधित कार्यों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थायें अपने क्षेत्र में काफी अनुभवी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह समझौता गणेश चतुर्थी के पवित्र अवसर पर किया गया है। उन्होंने दोनों संस्थाओं के सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश के ऐतिहासिक, पौराणिक धरोहरों का संरक्षण एवं अभिलेखीकरण के साथ इनकी महत्ता को प्रदर्शित करते हुए जनता के लिए उपयोगी बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष मंे इस कार्य के लिए 05 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत की है। इस क्षेत्र मंे कार्य करने वाले संस्थाओं को जोड़कर संरक्षण के कार्य को गतिशील किया जायेगा। इसके अलावा इच्छुक अन्य संस्थाओं को भी संरक्षण कार्य से जोड़ा जायेगा। इस मौके पर इण्टैक के चेयरमैन मेजर जन0 एन0के0 गुप्ता ने कहा कि उनकी संस्था गंगा के किनारे 05-05 किमी0 तक दोनों ओर की विरासत का अभिलेखीकरण का कार्य किया है।

इण्टैक के चेयरमैन ने यह भी बताया कि उनके पास विश्वस्तरीय संसाधन तथा विशेषज्ञों की टीम है। जिन्हें संरक्षण तथा अभिलेखीकरण कार्य करने का लम्बा अनुभव है। गंगा की प्राकृतिक विरासत के संरक्षण का कार्य सफलतापूर्वक किया गया है। ग्लोबल फाउण्डेशन के चेयरमैन कर्नल रितेश कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनकी टीम गॉव-गॉव जाकर प्राचीन विरासतों का अभिलेखीकरण करेगी। उन्होंने बताया कि रायबरेली, बिठूर, बुन्देलखण्ड, श्रावस्ती, बरेली, अयोध्या के मंदिरों का वैज्ञानिक ढंग से संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें मौका मिला तो लखनऊ के हुसैनाबाद क्षेत्र तथा वाराणसी के घाटों का अभिलेखीकरण का कार्य किया जा सकता है।

इस अवसर पर निदेशक पुरातत्व रेनू द्विवेदी, पर्यटन सलाहकार जे0पी0 सिंह, धर्मेन्द्र मिश्रा, नीलाभ सिन्हा समेत संस्कृति विभाग एवं पुरातत्व निदेशालय के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे।

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