यूपी विधानसभा में नारी सशक्तिकरण

यूपी विधानसभा में नारी सशक्तिकरण

लखनऊ। शारदीय नवरात्र का प्रारंभ 26 सितम्बर से हुआ लेकिन उससे तीन दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने नारीशक्ति की व्यावहारिक पूजा की। मैं समझता हूं नवरात्र पर महिलाओं को जिस अनूठे ढंग से योगी की सरकार ने सम्मान दिया, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान सभा में सिर्फ महिला मुद्दों पर चर्चा हुई। यह चर्चा भी महिला विधायकों ने की। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 47 महिला विधायक हैं। इनमें से 38 महिलाओं ने बहस में हिस्सा लिया। ऐतिहासिक चर्चा के दौरान विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने तीन महिला सदस्यों को स्पीकर की कुर्सी पर बैठाया। पक्ष-विपक्ष की महिला विधायकों को ही वक्ता बनाया गया था। दर्शक दीर्धो में भी सिर्फ महिलाओं को ही बैठाने की व्यवस्था थी। कानपुर की छात्राएं व महिला डाक्टर दर्शक दीर्धा में बैठी थी। नवरात्रों में हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी को माँ दुर्गा का ही रूप माना जाता है। वह लक्ष्मी के रूप में भी घर को संवारती है और सरस्वती के रूप में बच्चों की प्रारंभिक पाठशाला बन जाती है।

उत्तर प्रदेश की विधान सभा में कुल 47 महिला विधायक हैं। इनमें सर्वाधिक अर्थात 29 विधायक भाजपा की है। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल एस से जुड़ी तीन महिला विधायक हैं। इस प्रकार सत्तापक्ष में 32 महिला विधायक हैं लेकिन मुख्य विपक्षी दल सपा की 14 महिला विधायकों और कांग्रेस की एक महिला विधायक को भी विधानसभा के इस आरक्षित सत्र में अपनी बात निडरता से रखने का पूरा अवसर दिया गया। विपक्ष को आमतौर पर शिकायत रहती है कि सत्ता पक्ष उसे बोलने नहीं देता। इसको लेकर नारेबाजी से लेकर सदन का बहिष्कार तक किया जाता है लेकिन 22 सितम्बर को महिला विधायकों को बोलने का अबाध अवसर दिया गया था। भाजपा की पूर्व मंत्री अनुपमा जायसवाल, भाजपा की ही डा. मंजू शिवाच और समाजवादी पार्टी की सैयदा खातून ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में महिला विधायकों को अपने विचार रखने का भरपूर अवसर दिया। इस अवसर पर विपक्ष की महिला विधायकों ने राजनीतिक मुद्दो के साथ महिला समाज के सामूहिक हित के बारे में मांग रखी। सत्तापक्ष की महिला विधायकों ने सरकार की उपलब्धियां गिनायीं।


यह अवसर था जब महिला विधायक महिलाओं के सशक्तिकरण स्वास्थ्य और शिक्षा पर चर्चा कर सकती थीं लेकिन महिला प्रतिनिधि सत्तापक्ष और विपक्ष में बंटी नजर आयीं। सत्तापक्ष की महिला विधायकों ने योगी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलायी जा रही योजनाओं का बखान किया। सत्तापक्ष की महिला विधायकों ने कहा कि महिलाओं, विशेष रूप से स्कूल-कालेज की छात्राओं को छेड़ने वालों को सबक सिखाने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया और स्कूल-कालेज के गेटों पर मजनुओं की इस तरह धड़-पकड़ हुई कि लड़के छेड़खानी करना भूल गये। इसी तरह मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला, कन्या विवाह अनुदान जैसी योजनाओं को दिशा और दशा बदलने वाला बताया। दूसरी तरफ विपक्ष की विधायकों ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार तक जमीनी हकीकत की सूचना पहुंचती ही नहीं है। महिलाओं की शिकायत तक अधिकारी नहीं सुनते। इस प्रकार महिलाओं के हित में चलायी जा रही योजनाओं का लाभ गरीब महिलाओं को तो मिल ही नहीं पाता है।

विधानसभा के इस सत्र में लगभग पांच घंटे तक कार्यवाही चली थी। इस दौरान सिर्फ महिलाओं के मुद्दे पर ही चर्चा हुई। चर्चा में हिस्सा लेने वालों में भाजपा की अनुपमा जायसवाल, अंजुला सिंह माहौर, गुलाब देवी, डा. मंजू शिवाच, मनीषा, मुक्ता संजीव, मीनाक्षी सिंह, रानी पक्षालिका सिंह, कृष्णा पासवान, सरिता भदौरिया, अलका सिंह, अदिति सिंह, एन. कटियार, जय देवी, केतकी सिंह, ओम मणि वर्मा, रजनी तिवारी, मंजू त्यागी, पूनम शंखवार, आशा मौर्या, सलोना कुशवाहा, राज बाला सिंह और प्रतिभा शुक्ला शामिल थीं। मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी की तरफ से डा. रागिनी सोनकर, पूजा, सैयदा खातून, ऊषा मौर्या, पूजा पाल, महारानी प्रजापति, गीता शास्त्री, इन्द्राणी देवी, विजया यादव व रेखा वर्मा ने अपने विचार रखे। सत्ता पक्ष से ही अपना दल (एस) की महिला विधायक, डा. सुरभि, डा. रश्मि आर्या व सरोज कुरील ने तथा कांग्रेस की तरफ से एक मात्र विधायक आराधना मिश्र ने चर्चा में हिस्सा लिया। यह चर्चा पहले से तय थी लेकिन सपा की चार और भाजपा की पांच विधायक सदन में नहीं पहुंचीं।

महिलाएं अपनी बात खुलकर कहें, इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माहौल को हलका-फुलका बनाने का प्रयास किया था। मुख्यमंत्री ने कहा 'सत्र महिलाओं के लिए है। ऐसे में पुरूष विधायक भी सदन में मौजूद रहें। यहां से सीख लेकर जाएं और यदि कभी पत्नी को परेशान किया है तो उनसे कान पकड़कर माफी मांगे। यह सुनकर सदन में मुस्कराहट फैल गयी। इस पर चुटकी लेते हुए नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बाकी सब तो ठीक है लेकिन यह सब आपको कैसे पता है। अखिलेश ने कहा कि आप के पास बैठे हुए संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना भी नहीं बता सकते हैं। ध्यान रहे कि सुरेश खन्ना अविवाहित हैं। अखिलेश यादव के इस प्रतिप्रश्न से सदन में एकबार फिर ठहाका लगा।

सपा विधायक डा. रागिनी सोनकर ने कहा कि जब तक महिलाओं का विकास नहीं होगा, तब तक देश का विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा 403 सदस्यीय इस विधान सभा में सिर्फ 47 महिला विधायक हैं। उन्होंने सरकार से हरक्षेत्र में महिलाओं के लिए आरक्षण मांगा। इसका जवाब संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने यह कहकर दिया कि महिलाएं जन प्रतिनिधि तो चुनी जाती हैं लेकिन ज्यादातर महिला विधायकों के स्थान पर उनके पति, भाई और पुत्र काम करते हैं। संसदीय कार्य मंत्री ने कहाकि इस परम्परा को खत्म करने के लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश की आजादी से लेकर आज तक के विकास में नारी शक्ति के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार बेटी के जन्म से लेकर विवाह तक के लिए कई योजनाए चला रही है। कन्या सुमंगला योजना का लाभ 13.67 लाख बेटियों को मिला है। इसी तरह 31.50 लाख महिलाओं को निराश्रित महिला पेंशन मिल रही है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की मदद से 181686 जोड़ों को सरकार ने सहयोग प्रदान किया है। पीएम स्वनिधि के तहत 2 लाख महिलाओं को लाभ मिला है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में 10417 नई महिला पुलिस बीट बनायी गयी है। पुलिस थानों में महिला हेल्प डेस्क बनी है। राज्य आजीविका मिशन से 66 लाख महिलाओं को जोड़ा गया है। योगी ने कहा पूरा देश महिला विधायकों की आवाज सुनेगा। यहां पर चर्चा के दौरान जो मामले सामने आए हैं, सरकार उन पर कदम उठाएगी। (हिफी)

epmty
epmty
Top