कौन बन रहा जाम का सबब?- लोगों को हो रही बड़ी तकलीफ- कब मिलेगी राहत?

कौन बन रहा जाम का सबब?- लोगों को हो रही बड़ी तकलीफ- कब मिलेगी राहत?

मुजफ्फरनगर। ई-रिक्शा व टैम्पों तथा अतिक्रमण और सड़कों पर कहीं भी वाहन खड़ा कर देना शहर में जाम का मुख्य कारण बना हुआ है। लोगों द्वारा की गई इन गलतियों को सामना अन्य सभी मुसाफिरों को करना पड़ता है और बहुत बार मरीज को इलाज के लिये ले जा रही एम्बुलेंस भी इस लापरवाही से लगे जाम में फंस जाती है, जिसको रास्ता देना जरूरी होता है। शहर में लग रहे जाम की समस्या से लोगों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में लग रहे जाम के बीच लोगों के बीच एक सवाल उठ रहा है कि आखिरकार लोगों को कब तक जाम की समस्या का सामना करना पडे़गा और उन्हें कब इस जाम से राहत मिलेगी?

गौरतलब है कि शहर के मुख्य बाजारों व प्रमुख चौराहों पर अधिकतम वक्त तक जाम लगा रहता है। शहर में फिलहाल जाम का आलम इस मुकाम तक पहुंच गया है कि कभी-कभी एम्बुलेंस को भी रास्ता नहीं दिया जाता है। एम्बुलेंस को रास्ता देना अनिवार्य होता है क्योंकि उसमें कोई शख्स अपनी मौत और जिदंगी की जंग लड़ रहा होता है। उसे बचाने के लिये एम्बुलेंस चालक गाड़ी की रफ्तार तेज रखता है, जिससे की उसे वक्त पर हॉस्पिटल पहुंचाकर व्यक्ति को समय पर उपचार मिले सके और उसकी जान बच सके। लेकिन शहर में जाम इस कदर विकराल रूप धारण कर चुका है कि काफी समय तक एम्बुलेंस का सायरन बजता रहता है लेकिन कोई रास्ता देने के लिये तैयार नहीं होता। काफी मशक्कत करने के बाद एम्बुलेंस बाहर निकलती है।


जाम लगने की वजह यह है कि शहर की तकरीबन सभी सड़कें और चौराहें अतिक्रमण की चपेट में आये हुए हैं। मुख्य बाजारों व मुख्य चौराहों से दोपहियों का भी निकलना दुष्वार हो जाता है। मुजफ्फरनगर शहर के मीनाक्षी चौक, शिव चौक, झांसी की रानी, मालवीय चौक, हनुमान चौक, भगत सिंह रोड़, दाल मंडी, लोहिया बाजार, नावल्टी चौराहा, अस्पताल चौराहा, कोर्ट रोड़ जैसे स्थानों पर जाम की समस्या देर रात तक हर समय रहती है।

आमतौर पर देखा गया है कि शहर में अतिक्रमण के साथ ई-रिक्शा भी जाम के झाम को बढ़ावा देने में सहायक बन रही है। वह इसलिये कि ई-रिक्शाओं की संख्या शहर की जनसंख्या के सापेक्ष अधिक संख्या में पहुंच गई है, जिसके चलते शहर में अन्य वाहनों ज्यादा संख्या ई-रिक्शाओं की दिखाई देती है। शायद ही शहर की कोई ऐसी गली दिखाई दे जहां पर ई-रिक्शा को देखा नहीं जाता है। भले ही रास्ता कितना ही छोटा क्यों ना हो। इनके अलावा भी कई वजह ऐसी हैं, जो जाम का सबब बन रही हैं।

आममौर पर बहुत सारे स्थानों पर देखा जाता है कि कोई भी व्यक्ति अपने वाहन को रोड़ पर ही खड़ा करके अपने किसी काम से निकल जाता है। ऐसे ही सड़क पर खड़े वाहन को देखकर अन्य लोग भी अपने वाहनों को सड़क पर ही खड़ा करना शुरू कर देते हैं और फिर रास्ता छोटा हो जाता है, जिसकी वजह से जाम लग जाता है। अगर मीनाक्षी चौक की बात की जाये तो आमतौर पर देखा जाता है कि चालक अपना टैम्पा एवं ई-रिक्शा चौराहे पर ही रोक देते हैं और सवारी को बैठाना शुरू कर देते हैं। चौराहों के नजदीक ई-रिक्शा और टैम्पों को सड़क पर ही खड़ा करके सवारियों को इंतेजार करने वाले चालक भी जाम का सबब बन रहे हैं। हालांकि मीनाक्षी चौक से कुछ दूरी पर ही टैम्पों स्टैंड बनाया गया है लेकिन वहां ना खड़ा करके काफी देर तक टैम्पों चालक और ई-रिक्शा चालक मीनाक्षी चौक से सवारियां बैठाते हैं।


आमतौर पर देखा जाता है कि पुलिस-प्रशासन द्वारा बड़े जोरो- शोरों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है, अतिक्रमण हटने, सड़क पर वाहन ना खड़े होने से और ई-रिक्शाओं का रूट तय होने से जाम की समस्या का निराकरण हो जाता है लेकिन पुलिस-प्रशासन के नजर फेरने से थोड़ी-सी ढ़ील मिलते ही लोगों द्वारा फिर से अतिक्रमण कर लिया जाता है और सभी अपने स्थानों पर लौटकर सड़क को घेरकर खड़े हो जाते हैं और नो पार्किंग में वाहन खड़े होने शुरू हो जाते हैं।

जबकि मुजफ्फरनगर की पब्लिक को चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपने वाहन को सड़क पर ना खड़ा करें, कोई भी व्यक्ति अतिक्रमण ना करें, टैम्पों चालक व ई-रिक्शा चालक सही जगह पर टैम्पों या रिक्शा को खड़ा करके सवारियां बैठाएं तो जाम की समस्या समाप्त हो सकती है, जिसके बाद किसी भी व्यक्ति को जाम की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

मुजफ्फरनगर में लग रहे इस जाम की ओर पुलिस-प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है वरना ऐसे ही लोगों को जाम की समस्या का निरंतर सामना करना पड़ेगा और लोगों के बीच यही सवाल उठता रहेगा आखिर कब मुजफ्फरनगर शहर से जाम की समस्या का दी एंड होगा और कब उनकी क्लेश कटेगी?



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