जब अंधेरा होता है तो कुछ लोग बाजार में निकलते और चलाते नकली नोट

जब अंधेरा होता है तो कुछ लोग बाजार में निकलते और चलाते नकली नोट

मेरठ। महानगर के बाजारों में जब अंधेरा होने को होता है तो नकली नोट खपाने के गैंग के सदस्य सड़कों पर निकलते हैं और भीड़भाड़ वाली दुकानों पर पहुंचकर आराम के साथ नकली नोट चलाकर अपने ठिकाने पर पहुंच जाते हैं। पुलिस ने इस गैंग के तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर महानगर में चल रहे नकली नोट बनाने और उसे खपाने के गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है।

लालकुर्ती थाने में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसपी सिटी विनीत भटनागर ने बताया है कि मिलिट्री इंटेलीजेंस की गोपनीय सूचना के आधार पर लालकुर्ती पुलिस ने महानगर के बेगम पुल के पास से जनपद के थाना सरधना क्षेत्र के गांव भमोरी निवासी प्रथम सोम को 16 हजार 100 रूपये के नकली नोटों की खेप के साथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के कब्जे से 100-100 रूपये के नकली नोट बरामद हुए हैं। पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में प्रथम सोम ने बताया कि महानगर के सुभाष नगर में किराए के मकान में वह कंप्यूटर और प्रिंटर की मदद से असली नोटों को स्कैन कर नकली नोट बना रहे थे।

पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर छापामार कार्यवाही करते हुए बताए गए मकान के भीतर से प्रथम सोम के साथी निखिल शर्मा एवं प्रियांशु सिंह निवासी नरपत बिराल थाना बुढ़ाना मुजफ्फरनगर हाल निवासी सुभाष नगर सिविल लाइन को दबोच लिया। उन्होंने बताया कि जनपद मुजफ्फरनगर के बुढाना थाना क्षेत्र के गांव नरपत बिराल निवासी प्रियांशु सिंह एवं निखिल शर्मा ने महानगर में किराए का मकान लेकर कलर प्रिंटर से नकली नोट बनाने शुरू किए थे। उसके बाद सागर गिरी एवं विकास सिंह को भी उन्होंने इस गोरखधंधे में अपने साथ शामिल कर लिया। बाद में सरधना के गांव भमोरी निवासी प्रथम सोम भी इनके साथ इस धंधे में जुड़ गया। सभी आरोपी महानगर में शाम 6.00 बजे के बाद दिन के उजाले में बनाए गए नकली नोटों को खपाने के लिए बाजार में उतरते थे। भीड़ भाड़ वाली दुकानों पर पहुंचकर सामान की खरीदारी की जाती थी।

सब्जी विक्रेताओं के अलावा पेट्रोल पंप पर भी नकली नोट खपाने का काम किया जाता था। पकड़े गए आरोपियों ने बताया है कि इस धंधे से उनके अलावा कोई और नहीं जुड़ा है। लेकिन पुलिस का मानना है कि आरोपी 30 रूपये में 100 रूपये का नकली नोट संबंधित को देते थे। लालच में आकर गांव देहात के युवक पकड़े गए लोगों के साथ जुड़ रहे थे। उन्होंने बताया कि पहली नजर में वैसे तो नकली नोट पकड़ में आ सकते हैं। लेकिन रात के समय रंगों में भेद करना थोड़ा मुश्किल हो जाता था, इसीलिए आरोपी रात के अंधेरे में नोट चलाने को महानगर के बाजारों में उतरते थे।

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