यूपी के मुखिया ने दिया सर्वाधिक रोजगार

यूपी के मुखिया ने दिया सर्वाधिक रोजगार
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचारक ही नहीं स्टार सेवायोजक भी हैं। केन्द्र सरकार ने कोरोना काल में अवसर की बात कहते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही थी। इसी के तहत उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर नयी उपलब्धियां अर्जित की हैं। प्रदेश ने सू़क्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सेक्टर के जरिए गुजरात जैसे राज्य को भी पीछे छोड़ दिया है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की तरफ से कही गयी है। आरबीआई ने उद्योगों के माध्यम से राज्यों की रैंकिंग की है। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के साथ ही गन्ना किसानों को भी रहत प्रदान की है। गन्ना किसानों को अपनी फसल के लिए अब चिंतित होने की जरूरत नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 42 चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई शुरू कर दी है। इसी प्रकार आलू-प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मंडी समिति, हाफेड और पराग के माध्यम से नो प्राफिट, नो लास के आधार पर आलू-प्याज और सब्जियां बेची जा रही हैं। राज्य कर्मचारी कल्याण निगम के आउटलेट पर भी आलू-प्याज की बिक्री की जा रही है।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रोजगार और आर्थिक मोर्चे पर लगातार नई उपलब्धियां अपने नाम कर रही है। उत्तर प्रदेश अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर के जरिये सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला देश का पांचवा सबसे सफल राज्य बन गया है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा तैयार की गई रैंकिंग में कई राज्यों को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश ने टॉप 5 में जगह बनाई है। रिजर्व बैंक की रैंकिंग में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश है। आरबीआई ने देश के सभी राज्यों का आंकलन कर एमएसएमई सेक्टर में रोजगार की रिपोर्ट तैयार की है।

खास बात ये है कि यूपी ने इस रैंकिंग में राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। दरअसल आरबीआई ने कोरोना के संकटकाल में योगी सरकार द्वारा रोजगार सृजन के आंकड़ों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे 40 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का बड़ा फैसला सरकार ने लिया और उन्हें यूपी में ही रोजगार देने के लिए योजनाएं लागू की। इस दौरान यूपी सरकार ने 20 लाख से ज्यादा मजदूरों की स्किल मैपिंग कराने का बड़ा काम किया, जो सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के जरिये अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार से जुड़े। यही नहीं, यूपी सरकार ने फिक्की और आईआईए के साथ 6 लाख मजदूरों को रोजगार से जोड़ने का एमओयू साइन किया। वहीं नार्डको और लघु उद्योग भारती जैसे संस्थानों के साथ 5 लाख रोजगार सृजन का एमओयू कर कुल 11 लाख लोगों को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का काम किया।

बता दें उत्तर प्रदेश में एमएसएमई की 90 लाख इकाइयां हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। कोरोना और लॉकडाउन के बीच योगी सरकार की एक जनपद एक उत्पाद योजना रोजगार के मामले में गेम चेंजर साबित हुई। एमएसएमई के अंतर्गत इस योजना के जरिए राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के साथ ही व्यापार से भी जोड़ा। ओडीओपी के तहत हर जिले के एक उत्पाद को ब्रांड बना कर राज्य सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग की। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के साथ सरकार के ऑनलाइन व्यापार के एमओयू ने योजना को गति दे दी। बड़े जिलों के साथ जौनपुर, एटा, पीलीभीत, मिर्जापुर और प्रतापगढ़ जैसे छोटे जिले भी ओडीओपी योजना के साथ रोजगार के केंद्र बन गए।

42 चीनी मिलों में गन्ना पेराई का शुभारम्भ

देश में सर्वाधिक चीनी का उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिये एक अच्छी खबर है। यूपी में गन्ने के नये पेराई सत्र 2020-21 का शुभारंभ हो गया है। एक ओर जहां यूपी की 119 चीनी मिलों में से पश्चिमी यूपी की 42 चीनी मिलें शुरू हो गई हैं, वहीं दूसरी ओर पश्चिमी यूपी के साथ पूर्वाचल तक यूपी की सभी चीनी मिलो को आगामी 15 नवंबर तक शुरू करने के लिये युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश में गन्ने का सर्वाधिक उत्पादन होने के चलते ही यूपी में देश की सर्वाधिक चीनी का उत्पादन किया जाता है। यूपी की 119 चीनी मिलों में प्रदेश के 70 लाख गन्ना किसान रजिस्टर्ड है जिनमें से 48 लाख गन्ना किसान हर वर्ष प्रदेश की 195 गन्ना समितियांे के जरिये अपने क्षेत्र में स्थित चीनी मिल में गन्ने की सप्लाई करते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीति खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की एक अहम भागीदारी को देखते हुए सत्ता में आते ही योगी सरकार गन्ना किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

प्रदेश अपर मुख्य सचिव, गन्ना एवं चीनी विभाग संजय आर. भूसरेड्डी के अनुसार गन्ना किसानो की समय पर गन्ने की सप्लाई कराकर उन्हें दूसरी फसलों का लाभ दिलाने के लिए सरकार ने बीते 1 सप्ताह के अंदर ही प्रदेश की 42 चीनी मिलें शुरू कर दी हैं। वहीं बाकी पर भी तेजी से तैयारी चल रही है, इन्हें भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।

प्याज की कीमत पर लगाया अंकुश

सब्जियों की आसमान छूती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने रणनीति बनाकर एक्शन शुरू कर दिया है। एक तरफ सरकार प्याज की स्टॉक लिमिट तय करने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ आम जनता को सीधे राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने फैसला किया है कि वह नो प्रॉफिट, नो लॉस पर आलू, प्याज और टमाटर की बिक्री करेगी। प्रदेश के सभी जिलों में इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी है। सरकारी की तरफ से इस संबंध में जरूरी व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। इन सब्जियों को मंडी समिति, हाफेड, पराग डेयरी और राज्य कर्मचारी कल्याण निगम की आउटलेट पर बेचा जाएगा।

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में प्याज की उपलब्धता और जमाखोरी पर सख्ती के लिए प्याज की स्टॉक लिमिट तय करने के निर्देश दिए थे। प्रदेश सरकार जल्द ही इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी। इस आदेश के तहत खुदरा व्यापारी 2 मीट्रिक टन तक प्याज भंडारण कर सकते हैं, जबकि थोक व्यापारी अधिकतम 25 मीट्रिक टन तक प्याज रख सकते हैं। यह सीमा दिसंबर अंत तक लागू रहेगी।

ध्यान रहे 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की थी। प्रदेश सरकार की योजना है कि स्टॉक लिमिट लागू करने से पहले व्यापारियों को 3 दिन का समय दिया जाएगा। व्यापारियों को छंटाई और पैकिंग का काम तीन दिन में पूरा कर लेना होगा। उसके बाद स्टॉक की सीमा लागू होगी। प्रदेश के कुछ जनपदों में प्याज की कीमतों में अचानक आई उछाल को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। (हिफी)

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