राजस्थान में राजाओ के बीच आज भी रहता है घमासान

राजस्थान में राजाओ के बीच आज भी रहता है घमासान

जयपुर। राजपूताने की धरती गौरव से भरी है। राणासांगा और महाराणा प्रताप की वीरता के किस्से आज भी सुने-सुनाए जाते हैं। इसी के साथ एक दुर्भाग्यशाली परम्परा भी रही है। यह परम्परा है आपस में ही लड़ने की। महाराणा प्रताप और मानसिंह अगर एक साथ मिलकर लड़ते तो मेवाड़ पर अकबर का कब्जा नहीं हो पाता। राजस्थान की इसी परम्परा का निर्वहन राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और युवा नेता सचिन पायलट भी कर रहे हैं।

देश पर लगभग 45 वर्ष तक शासन करने वाली कांग्रेस आज जिस दुर्दशा में पहुंची है, उसके पीछे एक बड़ा कारण यही है। मुख्यमंत्री की मनमर्जी से तंग आकर तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुट ने बगावत कर दी थी। सचिन पायलट के साथ तमाम कांग्रेसियों के साथ 19 विधायक भी थे। इनकी बगावत के बाद पार्टी के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने 13 जुलाई 2020 को विधानसभा अध्यक्ष डा। सीपी जोशी के समक्ष एक याचिका दायर कर सभी विधायकों पर पार्टी ह्विप के उल्लंघन का आरोप लगाया। स्पीकर ने 16 जुलाई को सभी विधायकों को नोटिस दी और जवाब मांगा। पायलट गुट ने स्पीकर के समक्ष पेश न होकर नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। बहरहाल, मामला ज्यादा नहीं बढ़ पाया और पायलट और गहलोत के बीच ऊपरी तौर पर सुलह हो गयी थी। अंदरखाने से तनातनी चल रही है। मुख्यमंत्री और उनके समर्थक सचिन पायलट के समर्थकों का कथित उत्पीड़न कर रहे हैं। पायलट समर्थक एक कांग्रेसी ने इस मामले में चिट्ठी लिखी तो हड़कम्प मचा है।

राजस्थान कांग्रेस में चल रही खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। आरोप-प्रत्यारोप के दौर में हाड़ौती अंचल के एक युवा कांग्रेसी नेता ने अपनी ही गहलोत सरकार के एक मंत्री पर उसे जबरन मामलों में फंसाकर उसकी हिस्ट्रीशीट खुलवाने की साजिश रचने के प्रयास का आरोप लगाया है। इस युवा नेता ने इसकी शिकायत कांग्रेस के ही हाड़ौती के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक भरत सिंह कुंदनपुर को की है। उसने सिंह को पत्र लिखकर मदद की गुहार की है। सिंह ने भी इस युवा नेता की गुहार सुनकर कोटा रेंज के आईजी को पत्र लिखकर उसकी बात सुने जाने का आग्रह किया है।

हाड़ौती कांग्रेस में चल रहे इस लेटरबाजी से एक बार फिर से वहां सियासत गरमा गई है। दरअसल पूरा मामला हाड़ौती संभाग के बारां जिले के युवा नेता नरेश मीणा से जुड़ा हुआ है। मीणा पायलट समर्थक माने जाते हैं और वर्तमान में यहां अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। मीणा ने अपने ही जिले एवं संभाग के दिग्गज नेता गहलोत सरकार के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और छबड़ा से बीजेपी विधायक प्रताप सिंह सिंघवी पर गंभीर आरोप लगाये हैं। मीणा का आरोप है कि उनके द्वारा जबरन उसकी हिस्ट्रीशीट खुलवाने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि उसके खिलाफ दर्ज किये गये मुकदमे जनहित के कार्य करने के दौरान के हैं। मीणा ने अपने पत्र में सिंह से इस मामले में मदद की गुहार की है। भरत सिंह ने भी मीणा के पत्र को अपने पत्र के साथ अटैच कर उसे कोटा आईजी रविदत्त गौड़ को भेजा है।

सिंह ने अपने पत्र में मीणा की पैरवी करते हुये लिखा है कि हालांकि वे मीणा को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानते हैं, लेकिन राजनीतिक कोर्ट केस के आधार पर किसी को हिस्ट्रीशीटर घोषित किया जाना उचित नहीं है। इसके साथ ही सिंह ने अपने पत्र में मीणा की और से उल्लिखित किये गये अन्य नेताओं का नाम लिये बिना उन पर भी निशाना साधा है। लेटर बम के इस पूरे घटनाक्रम में दिलचस्प पहलू यह है कि सिंह अपने तेज तर्राट और साफगोई स्वभाव के लिये जाने जाते हैं। वे पहले भी मंत्री रहते हुये कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ कई मामलों में खुलकर बोल चुके हैं। ऐसे में अब इस लेटर बम से एक फिर सियासत गरमा गयी है। क्योंकि भाया गहलोत कैम्प के सिपाही माने जाते हैं और मीणा पायलट कैम्प के। इनके बीच सिंह की ओर से मीणा की पैरवी किया जाना एक नया भूचाल आने की आहट का संकेत दे रहा है।

इस बीच उपचुनाव लड़ना है। विधानसभा उपचुनाव में एकजुट होकर बीजेपी का सामना करने मैदान में उतरी राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में चल रही अंदरूनी टसर रह-रहकर सामने आ रही है। ऐसा ही वाकया चुरू में चुनाव प्रचार की रणभेरी बजाने के दौरान देखने को मिला। चूरू के सुजानगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी की नामांकन चुनावी सभा में मंच पर लगे बैनर में पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट का फोटो नदारद था।

मंच पर लगाये गये इस बैनर में सीएम अशोक गहलोत, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के ही फोटो थे। इसको लेकर शुरू हुई कानाफूसी के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का फोटो बैनर पर चिपकाया गया। लेकिन इस वाकये ने गहलोत और पायलट गुट के बीच खिंची हुई जख्म की लाइन को एक बार फिर से उकेर दिया।

दरअसल विधानसभा उपचनाव के लिये नामांकन करने का अंतिम दिन था। कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी अपना-अपना नामांकन दाखिल कर रहे थे। विपक्षी पार्टी बीजेपी से मुकाबले की शुरुआत करते हुये कांग्रेस ने सुजानगढ़ समेत सहाड़ा और राजसमंद में चुनावी सभाओं का आयोजन किया था। इन तीनों सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इन सभाओं में सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट पहुंच रहे हैं। कांग्रेस के तय कार्यक्रम के अनुसार पहली सभा सुजानगढ़ में रखी गई थी। उसके बाद भीलवाड़ा के सहाड़ा में चुनावी सभा रखी गई है। वहीं दोपहर बाद 3 बजे राजसमंद चुनावी सभा होनी थी। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत का जयपुर लौटने का कार्यक्रम था। गत वर्ष प्रदेश में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट के बीच हुये सियासी खींचतान के बाद से पार्टी आलाकमान दोनों में सामंजस्य बनाने का भरपूर प्रयास कर रहा है। लेकिन हर बार किसी न किसी कारण से बात बनने की बजाय बिगड़ जाती है। पिछले दिनों राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के दौरान भी इस तरह के वाकये सामने आये थे। बहरहाल, पोस्टर में सचिन का फोटो नहीं लगाने के पीछे सीएम गहलोत की रणनीति बतायी जा रही है। (हिफी)





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