गन्ने की नई प्रजातियों से गन्ना किसानों और मिलों को हुआ फायदा

गन्ने की नई प्रजातियों से गन्ना किसानों और मिलों को हुआ फायदा

सहारनपुर। चीनी का कटोरा माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक उपज और ज्यादा मिठास वाले गन्ने की नई प्रजातियों के प्रति किसानों के रूझान ने चीनी मिलों को गन्ना मूल्य भुगतान कराने की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के चीनी मिल प्रबंधक और वर्तमान में त्रिवेणी चीनी मिल ग्रुप की देवबंद इकाई के उपाध्यक्ष दीनानाथ मिश्र ने शनिवार को कहा कि गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में नित नई प्रजातियों के आने से चीनी मिल और गन्ना किसानों दोनों को लाभ हुआ है। नई प्रजाति कम लागत में बेहतर उत्पादन और ज्यादा मिठास का गन्ना देती है।

उन्होंने बताया कि त्रिवेणी चीनी मिल ने बीते पेराई सत्र में एक करोड़ 60 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करके 16 लाख 80 हजार 68 बोरी चीनी बनाई है और खास बात यह रही कि एथोनोल बनाने में इस्तेमाल होने वाला गाढ़ा सीरा पिछले सत्र की तुलना में बहुत ज्यादा बना है जिसे उन्होंने त्रिवेणी ग्रुप की एथोनाल बनाने वाली मुजफ्फरनगर जिले के जानी में लगी एथोनोल इकाई को दिया है।

मिश्र ने बताया कि पहली बार देवबंद चीनी मिल ने रिकार्ड 13 फीसद तक चीनी का परता हासिल किया। इसी वजह से वह 94 फीसद गन्ना मूल्य का भुगतान कर चुके हैं। 14 दिन का गन्ना मूल्य भुगतान बकाया है। देवबंद चीनी मिल उत्तर प्रदेश की पहली तीन सर्वश्रेष्ठ चीनी मिलों बलराम और धामपुर के साथ शामिल हैं। देवबंद चीनी मिल पिछले पेराई सत्र में एक करोड़ 60 लाख क्विंटल गन्ना पेरा था और चीनी की रिकवरी साढ़े बारह फीसद तक रही थी और 18 लाख 38 हजार 700 बोरी चीनी तैयार की थी।

दीनानाथ मिश्र जो वर्ष 2013 के आसपास अफ्रीकन देश युगांडा में शुगर कारपोरेशन में सीईओ रहे हैं जहां उन्होंने प्रतिकूल जलवायु और बहुत अच्छा गन्ना प्रजाति ना होने के बावजूद चीनी का परता सात से बढ़ाकर 9 से 10 तक करने में सफलता पाई। वह उत्तर प्रदेश की अन्य चीनी मिलों में भी महाप्रबंधक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि कोयम्बटूर गन्ना प्रजनन संस्थान और हरियाणा के करनाल ने जो नई गन्ना प्रजाति 15023 विकसित की है इससे चीनी क्षेत्र में नई क्रांति आ जाएगी। इस प्रजाति का बीज देवबंद क्षेत्र में भी तैयार किया जा रहा है। इस प्रजाति की खास बात यह है कि यह अक्टूबर से मई तक चलने वाले पूरे पेराई सत्र में एक समान 14 फीसद चीनी परता देगी। इस प्रजाति के गन्ने की लंबाई मोटाई और वजन किसी भी प्रजाति की तुलना में काफी बेहतर हैं। गन्ने का रंग हरा है और नरम एवं मुलायम होने के कारण गन्ने की बंधाई जरूरी है। इस गन्ने में जबरदस्त मिठास है। तीन साल के भीतर गन्ने की यह प्रजाति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रचलन में आ जाएगी।

इस प्रजाति को डा. रविंद्र कुमार और उनकी टीम ने विकसित कर दिया है और खेती के लिए उसका बीज भी जारी कर दिया है। इसमें पांच फीसद चीनी परता औरों से ज्यादा है। देवबंद क्षेत्र में भी इस प्रजाति की गन्ने की पैदावार के प्रयास शुरू हो गए हैं।

वार्ता

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