दारूल उलूम अशर्फियां देवबंद में हुए समारोह में छात्रों को किया सम्मानित

दारूल उलूम अशर्फियां देवबंद में हुए समारोह में छात्रों को किया सम्मानित

सहारनपुर। दारुल उलूम अशर्फियां देवबंद में दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें 125 छात्रों को पगड़ी पहनाई गई और पुरस्कृत किया गया। इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी करने वाले छात्रों को कारी व मुफ्ती की डिग्री सौंपी गई है। प्रोग्राम की अध्यक्षता दारुल उलूम देवबंद की कार्यकारिणी समिति के वरिष्ठ सदस्य मौलाना सैय्यद अंज़र मियां ने की।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि दारुल उलूम (वक़्फ़) के बड़े मुफ़्ती,मुफ़्ती इमरान उपस्थित रहे। बुखारी शरीफ किताब का आखिरी सबक हिंदुस्तान के मुफ़्ती, मुफ़्ती हबीबुर्रहमान साहब ने दिया। इस अवसर पर विशेष अतिथि सर्व सामाजिक संस्था के अध्यक्ष व प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता के रूप में शिया आलिम मौलाना आलम ज़ैदी, असद फारूकी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन मौलाना सालिम अशरफ कासमी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं ने देश में अमन-चैन कायम करने में हमेशा अपना योगदान दिया है। देश की आजादी की लड़ाई में भी मौलानाओं और आलिमों ने अपनी कुर्बानी दी। प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने अपनी भावनाओं को कुछ यूं पेश किया, जिसमें उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म से नफ़रत करो, ये कुरान नहीं कहता, हिंदुस्तान की मस्जिदों को तोड़ो, यह श्रीराम नहीं कहते, रोटी का कोई धर्म नहीं होता, पानी की कोई जात नहीं होती, जहां इंसानियत जिंदा है, वहां मजहब की बात नहीं होती, किसी को लगता है यहां हिंदू धर्म खतरे में है, किसी को लगता है यहां मुसलमान खतरे में है, धर्म का चश्मा उतार कर देखो मेरे यारों, पता चलेगा कि नेताओं के कारण, मेरा हिंदुस्तान खतरे में है। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज देवबंद की इस धरती पर इतना बड़ा आयोजन देखकर बहुत खुशी हुई है। यहां से आज अपनी पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले कारी व मुफ्ती देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर शांति का संदेश देकर समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारा कायम करने का काम करेंगे। कार्यक्रम में बोलते हुए मौलाना आलम जैदी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद के उलेमाओं ने हमेशा ही देश में अमन-चैन कायम करने में अपना सहयोग प्रदान किया है और देश की आजादी की लड़ाई में भी अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबला कर देश को आजाद कराने में अपना अमूल्य योगदान दिया। सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में हम सबको मिलकर काम करना होगा और समाज के हर तबके को साथ लेकर चलना होगा। कार्यक्रम में बोलते हुए फैजुर्रहमान शक्ति केन्द्र संयोजक ने कहा देवबंद की इस धरती से हमेशा ही शांति की आवाज उठी और देश को जब भी जरूरत महसूस हुई, तभी यहां के मौलानाओं ने आगे बढ़कर अपनी कुर्बानी दी है। हिंदू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए आपसी भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने में अपना सहयोग प्रदान किया गया है। कार्यक्रम में मौलाना सालिम अशरफ कासमी संस्थापक मदरसा, मुफ्ती शादाब, मुफ्ती एनुल हक, कारी कासिम, नसीबुर रहमान, अलीम सिद्दीकी, असद फारुकी, हम्माद आदि मौजूद रहे।

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