गत वर्ष की तुलना 7 गुना बढ़ा अचल संपत्ति पंजीकरण- मिनिस्टर रवींद्र

गत वर्ष की तुलना 7 गुना बढ़ा अचल संपत्ति पंजीकरण- मिनिस्टर रवींद्र

लखनऊ। मात्र 5 हजार रुपयों के स्टांप शुल्क से रक्त संबंधियों को संपत्ति हस्तांतरण करने की योजना का प्रदेश की जनता ने भरपूर लाभ उठाया है। मात्र 3 महीनों में 1,30,596 दानपत्र पंजीकृत हुए हैं, इससे विभाग को 449 करोड़ की आय प्राप्त हुई। यह जानकारी प्रदेश के स्टांप तथा पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने आज एक प्रेस वार्ता में दी।

विधान भवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि परिवारों में अधिकांश विवाद अचल संपत्तियों में बंटवारे को लेकर होता था, जिसके कारण न्यायालय में मुकदमों की संख्या भी बहुतायत में होती थी। इन सबके समाधान के लिए निबन्धन विभाग ने माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में पारिवारिक सदस्यों के मध्य अचल संपत्तियों के हस्तानांतरण पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी को 6-7 प्रतिशत से घटाते हुए मात्र रु 5000 अधिकतम करने का एक बड़ा निर्णय लिया। विभाग के इस निर्णय के बाद जहाँ परिवारों में सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ वहीं 18 जून, 2022 से 27 सितम्बर, 2022 की अवधि में 1,30,596 दानपत्र पंजीकृत हुए तथा विभाग को 449 करोड़ की आय प्राप्त हुई। गत वर्ष 18 जून, 2021 से 27 सितम्बर, 2021 की अवधि में मात्र 20,867 दानपत्र पंजीकृत हुए तथा इससे 230 करोड़ की आय विभाग को हुई थी। पिछले 3 माह में वसीयतों के पंजीकरण में भी काफी कमी आयी है। इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में दान विलेखों को पंजीकृत करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिससे राज्य सरकार के इस निर्णय की महत्ता और जनसामान्य हेतु इसकी उपयोगिता स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

स्टांप तथा पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि भारत में यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपेक्षाओं पर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास हेतु समृद्ध समाज, सुविकसित संस्कृति एवं घर घर सौहार्दपूर्ण वातावरण के संकल्पों को पूरा करने के लिए निबंधन विभाग ने अपनी महत्ती भूमिका का निर्वहन किया है। अचल संपत्तियों के हस्तानांतरण पर पूर्व में इतनी बढ़ी धनराशि लगने के कारण पारिवारिक सदस्यों के मध्य अचल संपत्तियों को हस्तानांतरित करने में परिवार के मुखिया संकोच कर वसीयतों का सहारा लेते थे वसीयत मृत्युपरांत प्रभावी होती थी और तब तक परिवार में तनाव एवं विवाद की स्थिति बनी रहती थी।

मंत्री रविंद्र जायसवाल ने कहा कि दान विलेखों के माध्यम से जहाँ एक ओर परिवारों में सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित हुआ वही दूसरी ओर निष्प्रयोज्य पड़ी संपत्तियां पुनः जीवित हुई और इसके माध्यम से व्यवसाय तथा रोजगार तो बढ़ा ही साथ ही साथ विभाग का यह निर्णय उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे रहा है।

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