खुली झूठ की पोल-अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद्द- अब प्रधानी पर संकट

खुली झूठ की पोल-अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद्द- अब प्रधानी पर संकट

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान प्रधान पद के लिए पर्चे के साथ दाखिल किये गये अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र के मामले को लेकर गठित की गई जिला जाति सत्यापन समिति द्वारा प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है। ग्राम प्रधान के झूठ की पोल खुल जाने पर अब उसकी प्रधानी पर भी संकट के बादल खड़े हो गए हैं।

सोमवार को पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव को लेकर ग्राम प्रधान के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए धर्मेंद्र का जिला जाति सत्यापन समिति द्वारा अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है। ग्राम प्रधान पद के चुनाव में केवल 2 मतों से हारी प्रत्याशी डॉक्टर मोनिका सिंह की ओर से निर्वाचित हुए ग्राम प्रधान धर्मेंद्र के विरुद्ध याचिका दाखिल कर उनके नामांकन और निर्वाचन को चुनौती दी गई थी, कि धर्मेंद्र जो कोरी जाति का नही है और इस वजह से धर्मेंद्र की ओर से दाखिल किया गया अनुसूचित जाति का प्रणामपत्र रदद किया जावे और इस आधार पर धर्मेंद्र को प्रधान पद से हटाया जावे।

वर्ष 2021 की 22 मई को दाखिल की गई याचिका पर जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह की अध्यक्षता में गठित ज़िला जाति सत्यापन समिति ने आठ अप्रैल 2022 को सुनाये अपने निर्णय में परगना मजिस्ट्रेट सदर की आख्या के आधार पर दिनांक 14 अक्टूबर 2013 को जारी किया गया कोरी जाति का प्रणामपत्र रदद कर दिया है। इस निर्णय से धर्मेंद्र का ग्राम प्रधान पचैण्डा कलां का पद खतरे में पड़ गया है

उल्लेखनीय है कि धर्मेंद्र ने अपने को हिन्दू जुलाहा कोरी जाति का दर्शाकर प्रणाम पत्र हासिल कर चुनाव में नामांकन के साथ दाखि़ल कर दिया था। इस आधार पर उसे पचैंडा कलां का ग्राम प्रधान निर्वाचित घोषित कर दिया गया था।

अब ज़िला जाति सत्यापन समिति ने यह निर्णय दिया है कि ग्राम प्रधान धर्मेंद्र अनुसूचित जाति(कोरी) जाति का लाभ अनुमन्य किया जाना न्यायोचित नही है और धर्मेंद्र के पक्ष में जारी किया गया अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र निरस्त किया जाता है।

ज़िला अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला जाति सत्यापन समिति में अपर जिला अधिकारी प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह, उप परगना मजिस्ट्रेट सदर परमानंद झा, ज़िला समाज कल्याण अधिकारी विनीत कुमार मालिक ने यह निर्नय दिया है। ग्राम प्रधान धर्मेंद्र का अनुसूचित जाति का प्रमाण प़त्र रदद होने के बाद अब यह देखना बाकी रह गया है कि ज़िला प्रशासन ग्राम प्रधान के पद को खाली घोषित करता है और प्रधान के खिलाफ क्या कार्यवाही करता है?

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