भूल-चूक, लेनी-देनी तो चलता है...

भूल-चूक, लेनी-देनी तो चलता है...

लखनऊ। कारोबार के कुछ अपने नियम भी होते हैं। बनिया की दुकान से उधार सामान लेने वालों का एक रजिस्टर रहता है। महीने भर बाद हिसाब-किताब हो जाता है। भूल-चूक भी होती है और इसको दोनों पक्षों में से कोई भी अनुचित नहीं मानता। देश की वित्तमंत्री ने 31 मार्च को बचत योजनाओं में ब्याज की कटौती करने की घोषणा कर दी। इससे हड़कम्प मच गया। सबसे ज्यादा परेशानी सत्तारूढ़ भाजपा को ही हो रही थी क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू हो चुके हैं। इसलिए फौरन ही इस भूल-चूक को सुधारा गया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चौबीस घंटे के अंदर सफाई देते हुए कहा कि यह आदेश गलती से जारी हो गया था।

हालांकि तीर छूट चुका था और विपक्षी दलों ने इसका राजनीतिक फायदा उठाने का भी प्रयास किया। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि अगली तिमाही के लिए बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का ऐलान एक नियमित प्रक्रिया है। इसलिए सरकार के 31 मार्च की घोषणा में कुछ भी गफलत में नहीं हुआ है। भाजपा सरकार ने बचत योजनाओं के ब्याज में कटौती करके मध्यम वर्ग को चोट पहुंचाई, जिनके हितैषी होने का वह दावा करती है।

उन्होंने कहा कि जब महंगाई 6 फीसदी के करीब है और इसके बढ़ने की आशंका है, तब सरकार 6 फीसदी से कम ब्याज दर की पेशकश कर मध्यम वर्ग पर प्रहार कर रही है। सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज 4 से घटाकर 3.5 फीसद कर दिया था।

केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती करने का फैसला 24 घंटे में ही वापस ले लिया। इस मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सफाई देते कहा कि यह आदेश गलती से जारी हो गया था। सरकार के इस बयान से विपक्ष की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। दरअसल, 31 मार्च की रात ही खबर आई थी कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 की पहली तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटा दी गई है, लेकिन अब ये फैसला वापस ले लिया गया है।

वित्त मंत्री ने ट्वीट में कहा, भारत सरकार की छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें वहीं रहेंगी जो वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में थीं। गलती से जारी हुआ आदेश वापस ले लिया गया है। वित्त मंत्री के इसी गलती या गफलत शब्द पर विपक्ष को हमला करने का मौका मिल गया है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगली तिमाही के लिए बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का ऐलान एक नियमित चलन है। सरकार के 31 मार्च के रिलीज में कुछ भी गफलत में नहीं हुआ है। बीजेपी सरकार ने मध्यम वर्ग के ब्याज में कटौती कर एक और चोट पहुंचाने का निर्णय लिया था। पकड़े जाने पर वित्त मंत्री इसे चूक बता रही हैं। उन्होंने कहा कि जब मुद्रास्फीति लगभग 6 प्रतिशत है और बढ़ने की उम्मीद है, तो भाजपा सरकार बचतकर्ताओं और मध्यम वर्ग को 6 प्रतिशत से कम ब्याज दर दे रही है, जो पूरी तरह अनुचित है। (हिफी)

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