कमलनाथ का बैराग्य नहीं 'बेराग'

कमलनाथ का बैराग्य नहीं बेराग

भोपाल। कहते हैं का बरषा जब कृषि सुखाने... मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि मैंने काफी कुछ हासिल किया है, अब मैं आराम करना चाहता हूं। कमलनाथ ने निश्चित रूप से बहुत कुछ हासिल किया है लेकिन कांग्रेस का जितना बड़ा नुकसान उन्होंने किया है, उसकी भरपाई कौन करेगा? मध्य प्रदेश में बड़ी मुश्किल से कांग्रेस को सत्ता मिली थी। यह सरकार कमलनाथ की महत्वाकांक्षा के चलते चली गयी। मध्य प्रदेश में सिर्फ सरकार ही नहीं गयी, वहां पार्टी बिखर गयी है। पार्टी के सबसे मजबूत स्तम्भ और होनहार नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़नी पड़ी है। कमलनाथ और उनके साथी दिग्विजय सिंह ने मिलकर कांग्रेस को कहीं का नहीं रखा है। दिग्विजय सिंह के समर्थक तो अब भी यही कह रहे कि उपचुनावों में दिग्विजय सिंह को बाहर न रखा जाता तो कांग्रेस को इतनी कम सीटें न मिलती।

ध्यान रहे कि मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव हुआ था और कांग्रेस को सिर्फ 8 सीटें मिल पायी हैं जबकि ये सभी सीटें कांग्रेस की ही थीं। अब कमलनाथ के खिलाफ भी कांग्रेस में लगातार आवाजें उठ रही हैं, तभी उन्होंने वैराग्य दिखाया और कहा कि आराम करना चाहता हूं। इस भावना को विधानसभा चुनाव के बाद ही दिखाते और ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री बन जाने देते तो आज मध्य प्रदेश की राजनीति कुछ और ही होती।

बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहने वाले श्योपुर के कांग्रेस विधायक बाबू लाल जंडेल ने अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह को साइड लाइन करने की वजह से कांग्रेस उप चुनाव हारी। जंडेल ने ये बात कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में कही।

श्योपुर से कांग्रेस विधायक बाबू लाल जंडेल फिर चर्चा में हैं। उन्होंने फिर नया बयान दे दिया है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस नेताओं पर चुनाव में दिग्विजय सिंह को आउट करने का आरोप लगाया। जंडेल ने कहा दिग्विजय सिंह को तवज्जो न मिलने की वजह से कांग्रेस की हार हुई। श्योपुर में एनएसयू आई कार्यकर्ताओं की बैठक थी।उसमें कांग्रेस विधायक बाबूलाल जंडेल से लेकर पार्टी जिला अध्यक्ष और अन्य कांग्रेसी नेता तक शामिल हुए थे। उस दौरान विधायक जंड़ेल ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया वैसे ही वह अपनी पार्टी के प्रदेश कांग्रेस नेताओं पर बरस पड़े। उन्होंने कहा कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पार्टी के लिए त्याग किया है। कमलनाथ का नाम लिए बगैर आगे कहा कि, आज दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश की कांग्रेस ने आउट कर दिया। चुनाव के दौरान कई नेताओं ने कहा कि, दिग्विजय सिंह प्रचार में जाएंगे तो कांग्रेस हार जाएगी। अब कांग्रेस किसने हराई दिग्विजय सिंह तो गए नहीं थे। फिर पार्टी क्यों हारी। बाबू जंडेल ने कहा सब टिकट की महिमा थी।

जंडेल यहीं नहीं रुके।उसके बाद वो जिले के कांग्रेस नेताओं पर बरस पड़े। उन्होंने कहा मेरे खिलाफ कोई सबूत हो भ्रष्टाचार का तो साबित करें। मैं तो कार्यकर्ताओं की आवाज उठाऊंगा। उन्होंने उस बैठक पर सवाल उठाते हुए कहा, यह कोई बैठक नहीं है। माल मसाले की बैठक है। कांग्रेस विधायक के आरोप के बाद प्रदेश कांग्रेस नेताओं की फूट एक बार फिर से सड़कों पर आ गई है। जो शहर भर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

बाबूलाल जंडेल का बयान सामने आने के बाद बीजेपी को भी कांग्रेस नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाने का मौका मिल गया। बीजेपी जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाट ने कांग्रेस नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कांग्रेस की फूट कभी खत्म नहीं हो सकती। सत्ता में रहते हुए भी 15 महिने के कार्यकाल में कांग्रेस नेताओं ने जमकर भ्रष्टाचार किया।

संभवतः इन्हीं सब बातों के चलते मध्य प्रदेश में पहले सरकार गंवाने और अब हाल ही में उपचुनावों में करारी हार झेलने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़ा बयान दिया है। छिंदवाड़ा में समर्थकों को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने राजनीति छोड़ने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि अब मैं आराम करना चाहता हूं, मैंने काफी कुछ हासिल किया है। कांग्रेस में लगातार कमलनाथ के खिलाफ उठ रही आवाजों के बीच उनके इस बयान के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। कमलनाथ सिर्फ कोई पद छोड़ने की बात कर रहे हैं या फिर राजनीति से विदाई लेने की बात कर रहे हैं, इस पर कयास लग रहे हैं। कमलनाथ इन दिनों अपने बेटे के साथ छिंदवाड़ा के दौरे पर थे, जो उनका गढ़ माना जाता है। आपको बता दें कि अभी कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में हाल ही में जब उपचुनावों में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी तो लगातार कई नेताओं, विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलना शुरू कर दिया। राज्य में नेता लगातार कह रहे हैं कि अब किसी युवा नेतृत्व की जरूरत है और हार का ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ रहे हैं। राज्य में कमलनाथ पर गलत टिकट बंटवारे, कमजोर उम्मीदवारों और गलत रणनीति का आरोप लगा।

पहले जब राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब भी मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ और ज्योतारादित्य सिंधिया में भिड़ंत हुई थी। तब कमलनाथ तो सीएम बन गए थे, लेकिन कुछ वक्त बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। इसी का खामियाजा कांग्रेस अबतक उठा रही है, पहले सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ की सरकार गिर गई और उसके बाद अब उपचुनावों में अधिकतर विधायकों ने बीजेपी के टिकट से जीत हासिल कर ली। केंद्रीय राजनीति में अपना दबदबा बनाने के बाद चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ राज्य की राजनीति में एक्टिव हुए थे, उन्हें सीएम पद भी मिल गया था। लेकिन लगातार हार, सिंधिया के पार्टी छोड़ने और उससे पैदा हुए असर से कमलनाथ लगातार बैकफुट पर आते गए।

उधर, मध्यप्रदेश में कैबिनेट बैठक में शिवराज सरकार ने पूर्व की कमलनाथ सरकार का वो फैसला पलट दिया है, जिसमें मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होना तय किया गया था। कैबिनेट बैठक में तय किया गया है कि अब मध्यप्रदेश में मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे यानी अब जनता सीधे मेयर चुन सकेगी। इसके लिए अध्यादेश आ चुका है, अब विधानसभा में बिल प्रस्तुत किया जाएगा। वार्डों का निर्धारण भी अब पूर्व के अनुसार होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि इससे अब मतदाता अध्यक्ष और महापौर के लिए सीधे वोट डाल सकेंगे।

मालूम हो कि बीते साल कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने मेयर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया था। सितंबर 2019 में कैबिनेट बैठक के दौरान कमलनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव को मंजूरी दी थी। एक्ट में बदलाव के बाद राज्य में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से नहीं बल्कि पार्षद ही अपने बीच से मेयर और नगर निगम के अध्यक्ष का चुनाव कर सकते थे। इसके तहत मेयर और नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के मतों पर होता यानी जिस राजनीतिक दल के पार्षद ज्यादा होंगे उनका ही मेयर चुना जाएगा।

कांग्रेस के अंदरूनी विवाद ने उसमें इतनी भी क्षमता नहीं रखी कि वो अपने फैसले बदलने का विरोध कर सकें। (हिफी)

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