हाइटेक तस्करीः न खाकी का डर- न सरकार का

हाइटेक तस्करीः न खाकी का डर- न सरकार का

मेरठ। देश का आम आदमी भले ही इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन व्यवस्था से अनभिज्ञ हो। लेकिन तस्करी के कारोबार में लिप्त हुए लोग ऑनलाइन कारोबार और कैशलेस सुविधाओं का जमकर लाभ उठा रहे हैं। यही कारण रहा कि नशीली दवाओं का कारोबार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से पंजाब तक बिना किसी रोक-टोक के ऑनलाइन चल रहा था। पुलिस ने दांतो तले उंगली दबा लेने वाले इस मामले से जुड़े 4 लोगों को गिरफ्तार कर नशे के बड़े कारोबार का खुलासा किया है।

दरअसल महानगर का खैरनगर बाजार दवाइयों के मार्केट के रूप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में विख्यात है। यहां के कारोबारियों को फोन के माध्यम से नशीली दवाइयों का ऑर्डर मिलता था। कारोबारी दवाइयों के पैकेट को कोरियर के माध्यम से ऑर्डर देने वाले को भेज देते थे। ईमानदारी के इस धंधे में भेजी गई नशीली दवाइयों का भुगतान भेजने वाले के खाते में आ जाता था। पुलिस ने लगभग आधा दर्जन बैंक खाते लुधियाना पुलिस की मदद से प्रतिबंधित करा दिए गए हैं। इस मामले में गिरफ्तार किए गए नौचंदी थानाक्षेत्र के भवानी नगर निवासी आरोपी सादिक उर्फ बबलू का महानगर के खैरनगर बाजार में मेडिकल स्टोर है। किसी तरह से उसने अपने तार पंजाब से जोड़ लिये थे। जिसके चलते फोन के माध्यम से पंजाब के कारोबारी उसे नशीली दवाइयों का ऑर्डर कर देते थे। परतापुर के ग्राम काशी में मेडिकल स्टोर संचालक छुटटन उर्फ सूर्य प्रकाश गोयल और खैरनगर बाजार में स्थित एक मेडिकल स्टोर पर काम करने वाला फरजान आर्डर की गई दवाइयों को उपलब्ध करा देते थे।


दवाइयां उपलब्ध होने के बाद खैरनगर में फूड सप्लीमेंट का कारोबार करने वाला जान सैफी इन नशीली दवाइयों के पैकेट बनाकर कोरियर के माध्यम से पंजाब भेज देता था। अमूमन कोरियर के 1 पैकेट में 30 से 50 हजार तक गोलियां आ जाती थी। जान सैफी के बैंक खाते में फिलहाल 93 लाख रुपए पुलिस को छानबीन में मिले हैं। जिसके चलते उसका खाता सीज करा दिया गया है। जान सैफी के एक दोस्त के खाते में भी रकम आना बताई गई है। मामले के खुलासे के बाद से वह फरार हो गया है। जिसकी तलाश की जा रही है। लुधियाना पुलिस के अनुसार अभी तक 6 बैंक खाते उसके द्वारा फ्रिज कराए गए हैं। अब इस मामले में जो आरोपी पकड़े गए हैं, उन सभी के खाते पुलिस द्वारा खंगाले जा रहे हैं।

पुलिस की सर्विलांस सेल के प्रभारी मनोज दीक्षित के अनुसार, नशीली दवाइयों के धंधे से जुड़े सभी गिरफ्तार आरोपी नकली प्रोटीन कारोबार से भी जुड़े हुए हैं। मेरठ में नकली प्रोटीन (फूड सप्लीमेंट) बनाकर इसकी सप्लाई पंजाब तक होती है। इसके चलते करीब दो साल पहले मेरठ के कुछ दवा व्यापारी पंजाब वाले लोगों के संपर्क में आए थे। इसके बाद इन्होंने आपस में नशीली प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई का धंधा शुरू कर दिया।




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