भगोड़े IPS मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू

भगोड़े IPS मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू

लखनऊ। क्रेशर कारोबारी की हत्या के मामले में पुलिस विभाग के भगोड़े आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त किए जाने की प्रक्रिया शासन की ओर से शुरू कर दी गई है। गृह विभाग की ओर से पूरे मामले की विभागीय जांच आईजी मेरठ प्रवीण कुमार के हाथों सुपुर्द की गई है। मिल रही जानकारी के मुताबिक आईजी प्रवीण कुमार भगोड़े आईपीएस मणिलाल पाटीदार को दोषी मानते हुए जल्द ही शासन के पास अपनी रिपोर्ट प्रेषित कर देंग।

शुक्रवार को गृह विभाग के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक शासन स्तर पर फिलहाल मणिलाल पाटीदार को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। भगोड़े आईपीएस की बर्खास्तगी को लेकर शासन से बाकायदा यूपीएससी को रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी। इसके बाद यूपीएससी की ओर से इस पूरे मामले की जांच करते हुए महामहिम राष्ट्रपति को भगोड़े मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी के संबंध में अपनी संस्तुति भेजी जायेगी। माना जा रहा है कि भगोड़े आईपीएस की बर्खास्तगी होने में अभी चल रही प्रक्रिया के तहत तीन से लेकर 6 महीने का समय लग सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल सितंबर में महोबा के खनन कारोबारी इंद्र कांत त्रिपाठी की मौत के मामले में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार के ऊपर रिश्वतखोरी का आरोप लगा था। उल्लेखनीय है कि महोबा के क्रेशर कारोबारी इंद्र कांत त्रिपाठी ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार के ऊपर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। क्रेशर कारोबारी ने पुलिस अधीक्षक और थाना अध्यक्ष तथा कई अन्य के खिलाफ रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए अपना एक वीडियो वायरल कर दिया था। सोशल मीडिया पर क्रेशर कारोबारी का वीडियो वायरल होने के कुछ दिनों बाद ही संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से क्रेशर कारोबारी इंद्र कांत त्रिपाठी की मौत हो गई थी। मीडिया में इस मामले के सुर्खियों में आने के बाद आईपीएस मणिलाल पाटीदार और थाना अध्यक्ष व कई अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद से गिरफ्तारी की लटकती तलवार से बचने को वह फरार हो गये थे और उस समय से ही मणिलाल पाटीदार लगातार फरार चल रहे हैं। जबकि इस मामले में नामजद किये गये बाकी बचे आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं। पुलिस उनके पैतृक गांव तक दौड़ लगाते हुए भगोड़े आईपीएस को तलाश चुकी है। लेकिन वह अभी तक भी अपराधियों को सात तालों के भीतर से खोजकर लाने का दावा करने वाली पुलिस के हाथ नहीं लग सके हैं।



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