हालात देख होंगी परीक्षाएं- डाॅ. दिनेश शर्मा

हालात देख होंगी परीक्षाएं- डाॅ. दिनेश शर्मा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सीबीएसई बोर्ड के बाद अब यूपी बोर्ड प्रयागराज की परीक्षाएं भी आगे बढ़ा दी गयी हैं। ये परीक्षाएं अब 20 मई के बाद आयोजित करायी जाएंगी। प्रशिक्षण संस्थानों को भी 15 मई तक बंद कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की परीक्षाएं भी 15 मई तक स्थगित कर दी गयी हैं। देश में बढ़ते कोरोना मामलों को देखते हुए 18 अप्रैल को प्रस्तावित नीट पीजी परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से परामर्श के बाद ये सभी फैसले लिये गये हैं। शिक्षा और परीक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने भरपूर प्रयास किया था लेकिन कोरोना महामारी ने सारे समीकरण बिगाड़ दिये हैं। इसी साल फरवरी में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने एक उच्च स्तरीय बैठक में बताया था कि हर साल शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती का कैलेंडर जारी किया जाएगा। उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा विभाग की रिक्तियों की भर्ती करेगा।

हाल ही में उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि जून 2021 से वर्ष 2025 तक होने वाली रिक्तियों का आकलन कर लिया जाए। जल्द ही आयोग का गठन करके रिक्तियों के मुताबिक भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी। रिक्त पदों की गणना के लिए तकनीक आधारित व्यवस्था लागू की जाएगी।उच्च स्तर पर यह तय किया गया है कि रिक्तियों के सापेक्ष हर साल भर्ती की जाए, ताकि शिक्षकों और कर्मचारियों के पद खाली न रहें। अब तक ज्यादा संख्या में रिक्तियां होने की सूरत में एक साथ भर्ती का नोटिफिकेशन उ.प्र. लोक सेवा आयोग को भेजा जाता था जिसके बाद उनकी भर्ती की लंबी प्रक्रिया होती थी। इस वजह से एक लंबे समय तक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी रहती थी। इस दिक्कत को दूर करने के लिए सरकार ने शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन का फैसला किया था।

सरकार नई शिक्षा नीति भी लागू करने की तैयारी में थी। ऐसे में बदली पठन-पाठन की व्यवस्था के मुताबिक शिक्षकों की भूमिका में भी काफी बदलाव आएंगे। नई शिक्षा नीति के मुताबिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को पहले की अपेक्षा ज्यादा मजबूत बनाया जाएगा। लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के साथ उनमें शिक्षण के कौशल का भी आकलन किया जाएगा। इन सभी योजनाओं को मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल ढालना पड रहा है।

ऐसे में 14 अप्रैल 2021 को देश के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में भारत सरकार ने स्थिति के सभी पक्षों का विवेचन कर सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर जो संवेदनशील निर्णय लिया है, वही वर्तमान परिस्थिति में एकमात्र व्यवहारिक विकल्प था।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक की बैठक हुई ।इस बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि कक्षा दस की सीबीएसई की परीक्षा इस वर्ष नहीं होगी, इसमें 21,60,761 बच्चे बैठने वाले थे। सीबीएसई को कक्षा बारह में 14,30,243 बच्चों की परीक्षा लेनी थी, जिसे स्थगित कर दिया गया है। चूँकि कक्षा बारह की परीक्षा के बाद बच्चे अनेक व्यावसायिक प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेते हैं, अतः उस पर निर्णय पहली जून के बाद लिया जाएगा। सीबीएसई के सन्दर्भ में लिए गए इस निर्णय से सारे देश में सम्बंधित लोगों और बच्चों न राहत की सांस ली है। राष्ट्रीय स्तर पर लिये गए निर्णय से राज्यों के स्कूल बोर्ड भी आसानी से अपने फैसले कर सकेंगें। कई ने तो सीबीएसई जैसे निर्णय लेना प्रारम्भ भी कर दिया है। कुल मिलाकर देश में परीक्षा और पढ़ाई तथा बच्चों के भविष्य को लेकर लगातार बढ़ रहे तनाव को यथासंभव सीमा तक कम कर दिया गया है।

डाॅ. दिनेश शर्मा ने बताया कि जहां तक उत्तर प्रदेश का मामला है तो देश का सबसे बड़ा शिक्षा बोर्ड माध्यमिक शिक्षा बोर्ड प्रयागराज है। इसमें 56 से 57 लाख छात्र छात्राओं की परीक्षा होती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श के बाद परीक्षाएं 24 अप्रैल से निर्धारित की गयी थीं । इस बीच कोरोना का संक्रमण तेजी से बढा है। डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा, जो माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व भी संभाले हुए हैं, ने बताया कि हमारे शिक्षा विभाग के 19 अधिकारियों में से 17 प्रमुख अधिकारी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। अपर मुख्य सचिव और डिप्टी निदेशक भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गये हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की परीक्षाएं 8 मई से कराना तय किया गया था लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कोरोना पाजिटिव हो गये।

हालांकि उनकी सक्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया गया और छात्र-छात्राओं के व्यापक हित को देखते हुए निर्णय लिया गया कियूपी बोर्ड की परीक्षाएं 20 मई के बाद होंगी। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती जा रही है और इस समय देश की प्राथमिकता उससे हर बच्चे और नागरिक को बचाने की ही होनी चाहिए। अन्य समस्याओं का समाधान तो स्थिति सुधरने पर मिल-बैठकर निकाल ही लिया जाएगा। इसीलिए शिक्षण संस्थानों को भी 15 मई तक बंद कर दिया गया है। डाॅ. दिनेश शर्मा ने बताया कि विश्व विद्यालयों और महाविद्यालयों की परीक्षाएं भी 15 मई तक स्थगित कर दी गयी हैं। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी एमएलसी, शिक्षक लखनऊ उमेश द्विवेदी ने उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने सीबीएसई की तरह ही यूपी बोर्ड की हाईस्कूल परीक्षा को रद्द करने और इंटरमीडिएट परीक्षा को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। इसके अलावा उमेश द्विवेदी ने वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों की आर्थिक स्थिति पर भी चिंता जताते हुए उन्हें राहत पैकेज देने की मांग की है। एमएलसी उमेश द्विवेदी ने लिखा है कि प्रदेश सरकार के नियम विरुद्ध शत-प्रतिशत शिक्षकों को स्कूल बुलाया जा रहा है जबकि 50 प्रतिशत की ही अनुमति है। इस पर कार्यवाही हो।

उन्होंने मांग की है कि शिक्षकों को कोरोना से बचाने के लिए घर से ऑनलाइन शिक्षण व अन्य कार्य देखने का आदेश पारित किया जाए। इससे पहले पीएसपी लोहिया प्रमुख शिवपाल यादव ने भी बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सरकार से मांग की थी। शिवपाल यादव ने कहा था कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए 8 मई से शुरू होने वाली 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। शिवपाल यादव ने ट्वीट किया था- उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इन सभी के सुझाव भी ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने परामर्श दिया कि यूपी बोर्ड प्रयागराज की परीक्षाएं 20 मई के बाद करायी जाएं। (हिफी)




















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