फ्री की उम्मीद कर रहे लोगों को बिजली कभी भी दे सकती है जोर का झटका

फ्री की उम्मीद कर रहे लोगों को बिजली कभी भी दे सकती है जोर का झटका

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के मुफ्त बिजली के मनभावन वादों के क्रियान्वित होने की उम्मीद कर रहे लोगों को बिजली अब महंगाई का झटका देने की तैयारी में जुट गई है। मतदान खत्म होते ही बिजली कंपनियों की ओर से अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरों के निर्धारण संबंधी प्रक्रिया शुरू किए जाने से लोगों को बिजली के दाम महंगे होने का अंदेशा खड़ा हो गया है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में 18 विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव के मतदान खत्म होते ही बिजली कंपनियों की ओर से अगले वित्तीय वर्ष के लिए बिजली की दरों के निर्धारण संबंधी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बिजली कंपनियों की ओर से विद्युत नियामक आयोग में 85500 करोड रुपए एआरआर यानी वार्षिक राजस्व आवश्यकता का प्रस्ताव दाखिल किया गया है। कंपनियों की ओर से दाखिल किये गये एआरआर में 6700 करोड रुपए के दिखाए गए गेप की भरपाई के लिए अब बिजली की मौजूदा दरों में इजाफा किया जा सकता है। हालांकि कंपनियों की ओर से एआरआर के साथ आयोग में संबंधित टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि नई सरकार का रुख देखकर ही बिजली कंपनियां दरों के संबंध में अपना आगामी कदम उठाएंगी।

उधर चुनाव से पहले प्रदेश के ऊर्जा मंत्री की ओर से बिजली के आधे दामों के ऐलान पर अभी तक भी बिजली विभाग की ओर से अमल नहीं किया गया है। आधे दाम के बिल भेजने के बजाय विभाग की ओर से अभी भी पहले की तरह पूरे दामों के बिल भेजे जा रहे हैं। उधर पूछे जाने पर अधिकारी ऑर्डर नहीं आने की बात कहकर जनता को मिलने वाली छूट पूरी तरह से नकार रहे हैं।

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