गैंगस्टर विकास दुबे की संपत्ति की ED करेगा जांच

गैंगस्टर विकास दुबे की संपत्ति की ED करेगा जांच

लखनऊ। आठ पुलिसकर्मियों के कत्ल का कारण रहे गैंगस्टर विकास दुबे की एनकाउंटर में मौत के बाद अब जल्द ही उसके परिवार के लोगों, सहयोगियों, गैंग के सदस्य रहे लोगों और उसके साथ अपराधिक गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोगों की मुश्किल बढ़ती नजर आयेगी। गैंगस्टर विकास दुबे की 147 करोड़ रुपये की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। इसके लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है।

यूपी पुलिस के मोस्ट वांटेड रहे गैंगस्टर विकास दुबे की काली कमाई के किले को ढहाने के लिए अब यूपी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। बिकरू कांड के बाद से ही गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर और उसके साथी बदमाशों की धरपकड़ व मुठभेड़ में खात्मे के बाद अब विकास दुबे की चल अचल संपत्ति की जांच प्रारम्भ की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रिपोर्ट मिलने के बाद कार्यवाही को आगे बढ़ा दिया है। 147 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता इस जांच में चला है। इस संपत्ति में बिकरू से बैंकॉक तक की विकास दुबे की संपत्ति पर ईडी की नजर है। इसके साथ ही दुबई और थाईलैंड में उसकी संपत्ति है। वहीं लखनऊ और कानपुर नगर जनपद में चल अचल संपत्तियों की लिस्टिंग की जा चुकी है। इसके साथ ही विकास दुबे की काली कमाई के किले को ढहाने की तैयारी की जा रही है। इसमें उसके परिजनों पर भी कार्यवाही किया जाना निश्चित माना जा रहा है।

विकास दुबे कानपुर जनपद के बिकरू गांव का रहने वाला कुख्यात गैंगस्टर था, जिसने 2 जुलाई में देर रात अपने साथियों के साथ मिलकर 8 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी थी। घटना के बाद से विकास दुबे फरार हो गया था। यूपी पुलिस के 10 हजार जवान उसे हफ्ते भर तक ढूंढते रहे? लेकिन विकास नहीं मिला। आखिरकार मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के बाहर विकास दुबे की नाटकीय गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तारी के बाद यूपी एसटीफ की टीम उसे लेकर कानपुर आ रही थी, कि रास्ते में बारिश होने और मवेशियों का झुंड आ जाने की वजह से पुलिस की गाड़ी पलट गई। पुलिस के मुताबिक गाड़ी में सवार विकास दुबे ने पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनी और खिड़की तोड़कर फरार हो गया। रास्ता कच्चा होने की वजह से विकास ज्यादा दूर जा नहीं पाया और लगभग 2 किलोमीटर भागने के बाद पुलिस ने उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया। पुलिस की तीन गोली विकास दुबे के शरीर के आर पार हो गयी थी।

इस एनकाउंटर के बाद परिजन और अन्य लोग कोर्ट गये तो सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग के पुनर्गठन के आदेश दिए थे, क्योंकि यूपी सरकार पहले ही एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित कर चुकी थी. आयोग में कुल 3 सदस्य हैं। पूर्व जज जस्टिस बीएस चौहान कानपुर के हिस्ट्रीशीटर और खूंखार अपराधी विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच कमेटी के प्रमुख बनाए गए। इसके साथ ही यूपी सरकार ने बिकरू कांड की जांच के लिए राज्य के गन्ना एवं आबकारी विभागों के अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की थी। इस जांच दल ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इसमें विकास दुबे के साथ उसके परिजनों, सहयोगियों और आपराधिक गतिविधियों में उसके साथ संलिप्त रहने वाले और उसकी काली कमाई को ठिकाने लगाने में साथ देने वाले लोगों के नामों का भी खुलासा किया गया था।

इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी विकास दुबे की संपत्ति की निगरानी की थी। इसमें 147 करोड़ रुपये की चल अचल संपत्ति अब ईडी की जांच के दायरे में आयी है। इससे साफ समझा जा सकता है कि राज्य सरकार यूपी पुलिस के मोस्ट वांटेड और अभी तक के सबसे बड़ी इनामी गैंगस्टर रहे विकास दुबे के साम्राज्य को नेस्तानाबूद करने के अभियान में जुट चुकी है।

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