चिराग को याद आया दायित्त्व

चिराग को याद आया दायित्त्व

लखनऊ। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को कोरोना से बचाने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जमुई में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मांग की है। इसके साथ ही लोजपा सांसद ने सदर अस्पताल में लाए गए चार वेंटीलेटर के लिए ऑपरेटर और तकनीशियन को बहाल करने की भी मांग की है। चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र सरकार की घोषणा के मुताबिक पूरे देश में 551 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। बिहार में 15 जिलों में भी नए ऑक्सीजन के प्लांट लगाए जाएंगे। जमुई में भी ऑक्सीजन की कमी की शिकायत आ रही है जिस कारण वहां भी एक ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित किया जाए। इसप्रकार चिराग पासवान ने सांसद होने के नाते संसदीय क्षेत्र की जनता के प्रति अपने दायित्त्व को निभाने का प्रयास किया है। रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में लोजपा के समीकरण ही बिखर गये हैं। केन्द्र से लेकर राज्य तक दबदबा रखने वाली यह पार्टी बिहार में शून्य हो गयी है। इसके एकमात्र विधायक राजकुमार को नीतीश कुमार ने जदयू में शामिल कर लिया। चिराग को इससे बड़ा झटका लगा है, फिर भी उन्हे अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को कोरोना से बचाने की फिक्र है, इसे शुभ संकेत माना जाना चाहिए।

देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी कोरोना से त्राहि त्राहि मची है। दवाईयों से लेकर आक्सीजन तक की किल्लत बतायी जा रही है। राजधानी पटना में ही शवों की संख्या बढ़ने से श्मशान घाटों पर व्यवस्था चरमरा गई है। अस्पताल की अव्यवस्थाएं झेलने के बाद लोगों को 20 से 24 घंटे तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। पटना के बांसघाट पर आने वाले शवों की संख्या को देखें तो पिछले साल की तुलना में इस बार कोरोना से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। बांसघाट पर हर रोज 65 से 70 शव आ रहे हैं। पिछले वर्ष जब कोरोना संक्रमण चरम पर था, तब बांसघाट पर औसतन 20 से 25 शव जलाए जाते थे। इस बार यह आंकड़ा ढाई से तीन गुना अधिक हो गया है। पिछले तीन सप्ताह में बांसघाट पर 900 से अधिक संक्रमित शवों को जलाया जा चुका है। आलम यह है कि श्मशान घाटों के कर्मी भी कोविड संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। पटना में अधिकतर अस्पतालों के सैकड़ों डॉक्टर्स व अन्य कर्मी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में वहां इलाज की व्यवस्था चरमराती जा रही है। कई जगहों पर कोरोना के मरीजों को दवाइयां और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। वहीं बिहार में ऑक्सीजन की कालाबाजारी की खबरें भी आती रहती हैं। कई अस्पतालों के सफाईकर्मियों के संक्रमित होने के कारण गंदगी भी रहती है। ऐसे में डॉक्टर नहीं बल्कि वार्ड ब्वॉय अस्पताल चला रहे हैं। पप्पू यादव जैसे नेता तो इस कुव्यवस्था को देख पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था सेना के हवाले करने की मांग कर रहे हैं।

इसलिए चिराग पासवान ने अपने संसदीय क्षेत्र जमुई को दवाइयों और आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह किया है । चिराग पासवान ने पीएम से अनुरोध किया कि ऐसी व्यवस्था हो जाए जिससे जमुई के लोगों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु न हो । इस महामारी के समय उनके संसदीय क्षेत्र में भी ऑक्सीजन का प्लांट स्थापित किया जाए। वहीं, दूसरी तरफ जमुई सांसद चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र जमुई जिला के सदर अस्पताल में मिले पीएम केअर्स फंड के द्वारा चार वेंटिलेटर की सुविधा लोगों को नहीं मिलने से क्षोभ व्यक्त किया है। चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि जमुई को मिले चार वेंटिलेटर को ऑपरेट करने के लिए तकनीशियन की कमी को दूर किया जाए। चिराग पासवान ने जमुई के जिला अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिलने के बारे में पत्र में यह भी जिक्र किया है कि स्थानीय विधायक श्रेयसी सिंह ने प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

बता दें कि जमुई जिले में हर दिन कोरोना के दर्जनों नए मरीज मिल रहे हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या 11 सौ के पार हो चुकी थी। हाल के दिनों में कोरोना के कारण कई लोगो की मौत भी हो चुकी है। कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए पिछले साल ही पीएम केयर्स फंड से जिले को 4 वेंटिलेटर मिले थे, लेकिन वेंटिलेटर इंस्टॉल होने के बाद भी तकनीशियन के अभाव में इसकी सुविधा लोगों को नहीं मिल रही है।

इसी साल 25 फरवरी को बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा कर खानापूर्ति के खुलासे के बाद जमुई में एंटीजन किट में हेरफेर कर लैब टेक्नीशियन के फरार होने का मामला सामने आया था। जमुई के चकाई रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने अपने ही अस्पताल के एक लैब टेक्नीशियन शरद कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया कि बिना किसी पदाधिकारी के आदेश के जिला भंडार से 22 जनवरी को 2 हजार और 4 फरवरी को 2 हजार एंटीजन किट का उठाव किया गया लेकिन उसे रेफरल अस्पताल चकाई के भंडारपाल को नहीं दिया गया। उठाव करने के बाद चकाई रेफरल अस्पताल को 4 हजार एंटीजन किट नहीं देने और बिना सूचना के ड्यूटी से गायब रहने के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने लैब टेक्नीशियन को नोटिस जारी किया। मामले में जब जिले के सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार से पूछा गया तो उन्घ्होंने कोई जानकारी नहीं होने की बात कही। हालांकि उन्होंने इसे एक बड़ी लापरवाही बताते हुए कार्रवाई की बात कही थी। सदर अस्पताल परिसर में एंटीजन किट के जिला भंडारपाल राजेश कुमार ने बताया कि चकाई रेफरल अस्पताल के लिए एंटीजन किट को वहां के स्वास्थ्यकर्मी को दिया गया था।

दरअसल कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद एंटीजन किट की जानकारी स्वास्थ्य विभाग ले रहा था। भौतिक परीक्षण के दौरान यह पाया गया है कि 22 जनवरी और 4 फरवरी को लैब टेक्नीशियन ने दो-दो हजार मतलब कुल चार हजार रेफरल अस्पताल चकाई के नाम पर जिला से एंटीजन किट का उठाव किया, लेकिन वो वहां के भंडारपाल को जमा नहीं करवाईं। इसको लेकर चकाई के प्रभारी ने लैब टेक्नीशियन को नोटिस थमाया था। इसके कुछ ही दिन पहले कोरोना जांच फर्जीवाड़ा के मामले में जिले के सिविल सर्जन समेत चार अधिकारियों पर गाज गिर चुकी थी।अस्पतालों में इस प्रकार के फर्जीवाडे भी चल रहे हैं।

दूसरी तरफ, बिहार में कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर इतना है कि संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख के पार होने को है। प्रतिदिन 100 से अधिक मौत हो रही है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में यह संख्या महज 40 से 60 या फिर 70 होती है, मानों कोरोना से लोग मर तो रहे हैं, लेकिन अभी पैनिक सिचुएशन नहीं है। अस्पतालों और श्मशान घाटों का दौरा करेंगे तो आपके सामने पूरी सच्चाई आ जाएगी। यहां किसी के दावे या फिर प्रतिदावे से इतर पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों के चीत्कार के बीच सिस्टम की कमी, शीर्ष पर बैठे लोगों की संवेदनहीनता के साथ-साथ समाज की अकर्मण्यता भी दिखाई पड़ती है।

दानापुर के कोविड डेडिकेटेड हाइटेक अस्पताल के मालिक राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के एक दल से ताल्लुक रखने वाले नेता हैं। यहां पहले प्रबंधन ने बिना अनुमति के 25 के बजाय 40 मरीजों को भर्ती कर लिया, फिर ऑक्सीजन की कमी हुई तो मरीजों को बाहर निकालने लगे। हंगामा हुआ तो मामला खुला कि हाइटेक हॉस्पिटल ने डीएम से अनुमति लिए बिना ही ज्यादा मरीज भर्ती किए थे। प्रशासन ने निर्धारित मरीजों के लिए ही ऑक्सीजन की सप्लाई दी, जिससे अन्य मरीजों की जान सांसत में पड़ गई। इसी तरह पटना में 27 अप्रैल को एक निजी अस्पताल की बड़ी लापरवाही दिखी। भागवत नगर के ओम पाटलिपुत्रा अस्पताल में बगैर अनुमति के कोविड मरीजों को भर्ती किया गया, लेकिन जब हालात बेकाबू होने लगे तो ऑक्सीजन खत्म का बहाना कर मरीज को बाहर निकाल दिया। इस अस्पताल को जिला प्रशासन ने कोविड मरीजों को भर्ती लेने की अनुमति नहीं दी है। स्वास्थ्य विभाग के दावे जो हों, प्रशासकीय कुव्यवस्था की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। गत 26 अप्रैल को ही पीएमसीएच इमरजेंसी वार्ड के सामने एक महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। इस मरीज को कंकड़बाग के एक निजी अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर पीएमसीएच रेफर कर दिया था। (हिफी)





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