हाईकोर्ट को सौंपी पंचायत चुनाव मतगणना की सीसीटीवी फुटेज

हाईकोर्ट को सौंपी पंचायत चुनाव मतगणना की सीसीटीवी फुटेज

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद गांव की नई सरकार को शपथ ग्रहण करवाने की तैयारियां शुरू हो गई है। उधर 28 जिलों की रिपोर्ट के अनुसार 77 सरकारी कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौत पर सजग हुई हाईकोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से मांगी गई मतगणना की सीसीटीवी फुटेज न्यायालय को सौंप दी गई है।

दरअसल हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मतदान और मतगणना को संपन्न कराने के लिए राज्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस बल भी लगाया गया था। लेकिन 28 जिलों की प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के कारण मौत हो गई है। जिसका हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और राज्य चुनाव आयोग से मतगणना की सीसीटीवी फुटेज मांगी। राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से न्यायालय को मांगी गई सीसीटीवी फुटेज सौंप दी गई है। पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सरकार की द्वारा उच्च न्यायालय से समय मांगा गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने न्यायालय को बताया है कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले कर्मचारियों को सरकार ने 30 लाख रूपये का मुआवजा देने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता अनुज सिंह ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 का संक्रमण तेजी के साथ चारों तरफ फैल रहा है। सरकार का ध्यान केवल बड़े शहरों पर ही कोरोना के संक्रमण के नियंत्रण को लेकर है। न्यायालय ने अगली तारीख पर सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में संक्रमण की रोकथाम अपनी योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा है। न्यायालय ने दिव्यांगजनों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पर भी अगली सुनवाई पर सरकार से उसकी योजना मांगी है। मामले की अगली सुनवाई अब 11 मई को होगी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने मेरठ के ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में मेरठ के डीएम द्वारा दी गई रिपोर्ट पर अपना असंतोष जताया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डीएम मेरठ ने कोर्ट को बताया कि मौतें कोरोना संक्रमण से नही किसी अन्य कारण से हुई हैं।

हालांकि जिलाधिकारी मेरठ न्यायालय द्वारा पूछे गये इस सवाल का जवाब नहीं दे सके कि यदि मौतें कोरोना संक्रमण से नही हुई है तो मौतें किस कारण से हुईं और उस दिन सेंटर में कितनी ऑक्सीजन उपलब्ध थी। कोर्ट ने कहा कि समूची जानकारी ना दिये जाने से स्पष्ट है कि डीएम ने सही तरीके से जांच नहीं की है। जबकि मामले पर न्यायिक स्तर से संज्ञान लेने के बाद उन्हें ऐसा करना चाहिए था। कोर्ट ने डीएम मेरठ को प्रकरण की विस्तृत जांच कर अगली सुनवाई पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

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