अमृत महोत्सव को जीवन में उतारें

अमृत महोत्सव को जीवन में उतारें

लखनऊ। जब देश आजाद हुआ और संसद भवन में मीटिंग हुई थी। उसके बाद क्षेत्रीय गांधी आश्रम मेरठ को पहली बार तिरंगा बनाने का काम सौंपा गया।जब देश आजाद हुआ और संसद भवन में मीटिंग हुई थी। उसके बाद क्षेत्रीय गांधी आश्रम मेरठ को पहली बार तिरंगा बनाने का काम सौंपा गया। यहां पर आजाद भारत के पहले राष्ट्रध्वज को बनाने की जिम्मेदारी नत्थे सिंह को ही दी गयी थी। उनके घर में बिजली नहीं थी। पर्याप्त तेल भी नहीं था लालटेन जलाने के लिए। नत्थे सिंह ने पड़ोसियों के घर से तेल मांगकर लालटेन जलायी, जिसकी रोशनी में झंडे बनाने का काम शुरू किया गया। आज पूरे देश में मेरठ के बने तिरंगे की बहुत मांग रहती है।

भारत अपनी आजादी के पचहत्तर वर्ष पूर्ण कर रहा है। राष्ट्र जीवन का यह महत्त्वपूर्ण पड़ाव है. देश को स्वतंत्र कराने में असंख्य लोगों ने योगदान दिया. अनगिनत लोगों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। इसी प्रकार आजादी के बाद देश को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने मेँ योगदान किया गया. प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस देश के लिए राष्ट्रीय पर्व होता है. पचहत्तर वर्ष की यात्रा पूर्ण करने का अपना महत्त्व है। इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया था। इसी क्रम में हर घर तिरंगा अभियान संचालित किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गत दिनों नई दिल्ली में दूरदर्शन के मेगा ऐतिहासिक हिंदी धारावाहिक स्वराज-भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा का शुभारंभ किया। यह 75-एपिसोड की श्रृंखला स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास और भारतीय इतिहास से जुड़ी कम ज्ञात कहानियों को प्रस्तुत करेगी। स्वराज श्रृंखला का प्रयास भारतीयों को अपनी

संस्कृति, मूल्यों और प्राचीन ग्रंथों पर गर्व महसूस कराने का है। युवाओं को देश की प्राचीन संस्कृति और इतिहास पर गर्व करना चाहिए.अन्य देशों के लिए, स्वराज सिर्फ स्व-शासन हो सकता है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह स्वधर्म,स्वभाषा, स्वप्निल संस्कृति और स्व इतिहास है। दूरदर्शन और आकाशवाणी सही मायने में भारत भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्वराज धारावाहिक हमारे और हमारे अतीत के बारे में सभी प्रकार की हीन भावना को दूर कर देगा। इस श्रृंखला के माध्यम से युवा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बारे में जान सकते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों की कम-ज्ञात कहानियां युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाएगी और प्रत्येक भारतीय को अपने गौरवशाली अतीत पर गर्व करेगी। हर घर तिरंगा अभियान के माध्यम से नई पीढ़ी अनेक तथ्यों से परिचित हो रही है इनमें जब देश आजाद हुआ और संसद भवन में मीटिंग हुई थी। उसके बाद क्षेत्रीय गांधी आश्रम मेरठ को पहली बार तिरंगा बनाने का काम सौंपा गया। यहां पर आजाद भारत के पहले राष्ट्रध्वज को बनाने की जिम्मेदारी नत्थे सिंह को ही दी गयी थी। उनके घर में बिजली नहीं थी। पर्याप्त तेल भी नहीं था लालटेन जलाने के लिए। नत्थे सिंह ने पड़ोसियों के घर से तेल मांगकर लालटेन जलायी, जिसकी रोशनी में झंडे बनाने का काम शुरू किया गया। आज पूरे देश में मेरठ के बने तिरंगे की बहुत मांग रहती है।

सरकारी कार्यालय हो या फिर प्राइवेट संस्थान, सभी पर मेरठ का बना तिरंगा ही फहरता है। हर घर तिरंगा अभियान को लेकर योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से प्रयास किया. प्रदेश में तिरंगा बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। इससे झंडा बनाने वाले लोगों के लिये रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं. वस्तुतः स्वतन्त्रता संग्राम का दायरा बहुत व्यापक था। इसके राजीनीतिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक पहलू भी थे। इन सभी पर समग्र चिंतन- मनन की आवश्यकता थी. किंतु अनेक तथ्य उपेक्षित रह गए। इतिहास में इन्हें गौरवपूर्ण एवं उचित स्थान नहीं मिल सका। कई घटनाओं को ब्रिटिश शासन एवं इतिहासकारों ने नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया था.आजादी के बाद भी उन्हें उसी रूप में स्वीकार किया गया। काकोरी की घटना को डकैती का रूप अंग्रेजों ने दिया था। जबकि यह ब्रिटिश सत्ता द्वारा किये जा रहे आर्थिक शोषण को एक प्रकार की चुनौती थी। आजादी के इतने वर्ष बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस घटना को सम्मानजनक नाम दिया। इसे काकोरी ट्रेन एक्शन नाम दिया गया। यह अंग्रेजों के विरुद्ध एक्शन ही था। इसलिए गोविंद बल्लभ पंत जैसे अनेक सेनानियों ने एक्शन में शामिल क्रांतिकारियों के मुकदमे लड़े। उन्होंने इनके बचाव हेतु पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ वायसराय को पत्र लिखा था। इसी प्रकार चौरी चौरा घटना को केवल हिंसक रूप में ही प्रस्तुत किया गया। इसके पीछे ब्रिटिश सत्ता द्वारा किसानों के शोषण एवं आंदोलन के संदर्भ को उपेक्षित छोड़ दिया गया। इस पर भी चर्चा नहीं हुई कि ब्रिटिश सरकार द्वारा आरोपी बनाए गए लोगों की पैरवी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ही कर रहे थे। अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की वर्तमान पीढ़ी ऐसे अनेक तथ्यों से परिचित हो रही है। इस प्रकार के अनेक रोचक और प्रेरणादायक प्रसंग अमृत महोत्सव में उजागर हुए हैं। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री -हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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