यूपी में ब्राण्ड एम्बेस्डर जिले

यूपी में ब्राण्ड एम्बेस्डर जिले

लखनऊ। अब तक विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय हस्तियों अर्थात सेलिब्रेटीज को ही ब्राण्ड एम्बेस्डर बनाने के बारे में हम जानते थे लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सीमावर्ती देशों और राज्यों से लगने वाले 34 जिलों को ब्रांड एम्बेस्डर जनपद के तौर पर विकसित करने की योजना बनाई है। इन जिलों की सीमा में घुसते ही नेपाल और दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को नए उत्तर प्रदेश की झलक देखने को मिलेगी। इस बारे में हाल ही में मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के समक्ष एक प्रस्तुतिकरण में कार्ययोजना तैयार की गई है। सीएम योगी की मंशा है कि किसी देश या राज्य से जब कोई नागरिक प्रदेश की सीमा में प्रवेश करे, तो वह यहां के विकास से रूबरू हो सके।

उत्तर प्रदेश की सीमा नेपाल राष्ट्र के साथ-साथ उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार और दिल्ली से मिलती है। प्रदेश के 34 जिलों की सीमाएं नेपाल और देश के आठ राज्यों से छूती हैं। इसी तरह प्रदेश के जिलों के विशेष उत्पादों की ब्राण्डिंग की जा रही है। इससे निर्यात की संभावनायें बढ़ेंगी। इस योजना को तहसील स्तर तक विस्तारित किया जा रहा है जैसे हरदोई जनपद में संडीला तहसील को वहां के लड्डू के ब्राण्ड के रूप में विकसित किया जाएगा। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को एक नया रूप देना चाहते है ठीक उसी तरह जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नव्य भव्य भारत निर्माण का सपना देख रहे हैं। यह सपना तभी साकार होगा जब राज्य बदलेंगे। योगी आदित्य नाथ नाथ सम्प्रदाय की गोरखनाथ पीठ के मौजूदा समय में पीठाधीश्वर भी हैं। इस पीठ ने अध्यात्म और जनसेवा साथ साथ सफलता पूर्वक की है। गुरु अवेद्य नाथ गोरखपुर से सांसद रहे और बाद में उनके परम प्रिय शिष्य योगी आदित्यनाथ ने उसी दायित्व को 6 बार संभाला। सांसद रहने के दौरान ही उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। वह 37 वर्षों के बाद लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री हैं। इसलिए उनके दायित्व भी ज्यादा है।

योगी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के महत्व को देखते हुए इन्हें पर्यटन, संस्कृति और औद्योगिक श्रेणियों में बांटा जाएगा। इन्हीं के अनुरूप इन जिलों में बुनियादी और नागरिक सुविधाओं का विकास किया जाएगा। पर्यटन की दृष्टि वाले जिलों में टूरिस्ट फैशिलिटेशन सेंटर, होटल चेन और यात्री प्लाजा का विकास किया जाएगा। जहां पर ओडीओपी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। वहीं, औद्योगिक दृष्टि से इन जिलों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर की छलांग और उपलब्धियों की पूरी जानकारी मिलेगी। साथ ही मॉर्डन पुलिसिंग की व्यवस्था भी होगी। दोनों श्रेणियों के जिलों में अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल, आधुनिक बस अड्डे, अच्छी सड़कें, फल/सब्जी मंडी आदि मूलभूत सुविधाओं का भी विकास किया जाएगा। ध्यान रहे कि नेपाल से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिले जुड़े हैं। इसी प्रकार बिहार से चंदौली, गाजीपुर, सोनभद्र, बलिया, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज। झारखंड से सोनभद्र। छत्तीसगढ़ से सोनभद्र।

राजस्थान से मथुरा और आगरा, हरियाणासे सहारनपुर, शामली, बागपत, गौतमबुद्ध नगर और मथुरा। हिमाचल प्रदेश से सहारनपुर। मध्य प्रदेश से आगरा, जालौन, इटावा, झांसी, महोबा, बांदा, ललितपुर, चित्रकूट, प्रयागराज, मिर्जापुर और सोनभद्र, उत्तराखंड से सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली और पीलीभीत जिले जुड़े हैं। इन सभी जिलों को ब्रांड एम्बेस्डर बनाया जाएगा। उदाहरण के लिए उत्तराखंड की सीमा से जुड़े मुरादाबाद में पीतल के बर्तन बनाए जाते हैं। इन बर्तनों की ब्राण्डिंग उत्तराखंड तक हो गयी तो वहां आने वाले देश विदेश के पर्यटक उनको अपने साथ ले जाएंगे। इस प्रकार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों को राजस्व मिलेगा।

योगी की सरकार शहरों को भी खूबसूरत बना रही है। राज्य सरकार बार-बार भू-उपयोग बदलने की झंझट से बचने के लिए सिटी डेवलपमेंट और लॉजिस्टिक प्लान को मास्टर प्लान यानी महायोजना का हिस्सा बनाने जा रही है। आवास विभाग ने विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में तुरंत कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। प्रदेश के 59 शहरों का मास्टर प्लान अंतिम चरण में है। इनमें से 56 शहरों के प्लान को नवंबर 2022 में ही मंजूरी शासन स्तर से दे दी जाएगी। आवास विभाग चाहता है कि जिन शहरों का सिटी डेवलपमेंट और लॉजिस्टिक प्लान बनाया जाएगा, उसे इससे जोड़ दिया जाए। इससे इन शहरों में सुनियोजित विकास के लिए जमीनों के भू-उपयोग बदलने की झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। प्रदेश के 13 शहरों लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, झांसी, मथुरा, बरेली, मेरठ, आगरा, चित्रकूट, वाराणसी, प्रयागराज का सिटी डेवलपमेंट प्लान बनाया जा रहा है। सात शहरों गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी व मेरठ का लॉजिस्टिक प्लान बनाया जा रहा है। ये शहर धार्मिक और पर्यटन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसीलिए इन शहरों में अन्य शहरों की अपेक्षा अतिरिक्त सुविधाएं देने की तैयारियां हैं। सिटी डवपलमेंट प्लान में शहर में लोगों की जरूरतों के हिसाब से सुविधाएं विकसित करने की व्यवस्था की जाएगी। उदाहरण के लिए पार्क, सामुदायिक सुविधाओं के साथ ही छोटे-छोटे व्यवसायिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे, जिससे लोगों को जरूरत के हिसाब से अपने आसपास ही सुविधाएं मिल सकें। मास्टर प्लान का इसको हिस्सा बनाने से इनके लिए जमीनें पहले से ही आरक्षित कर दी जाएंगी कि कहां पर क्या सुविधाएं होंगी। इससे यह फायदा होगा कि निर्माण के समय न तो जमीनें खोजनी होंगी और न ही भू-उपयोग बदलने का झंझट होगा। निर्माण कार्य की जब भी जरूरत होगी काम शुरू करा दिया जाएगा।

माना जा रहा है कि सिटी डेवलपमेंट, लॉजिस्टिक और कांप्रेहेंसिंग मोबिलिटी प्लान बनाने का मकसद जहां लोगों को बेहतर सुविधाएं देना हैं, वहीं पर स्थानीय स्तर पर रोजगार के द्वार भी खोलना है। आवास विभाग का मानना है कि जरूरत के आधार पर सुविधाएं मिलने से व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी और रोजगार के द्वार खुलेंगे। इसीलिए इन तीनों प्लान को जल्द अंतिम रूप देने के निर्देश दिए गए हैं। इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश का बाह्य और आंतरिक स्वरूप आदर्श बनेगा। (हिफी)

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