शत्रुबाधा से मुक्ति दिलाने को भोलेनाथ का किया सरसो के तेल से अभिषेक

मुजफ्फरनगर। देश को शत्रुबाधा व सभी प्रकार की आपदाओं से मुक्ति दिलाने के लिए आज शनिवार के दिन भगवान आशुतोष का काली सरसो के तेल से रुद्राभिषेक किया गया। वहीं भोलेनाथ को धतूरा, बेलपत्र, शमी के पत्ते, आक का पत्ता आदि अर्पित करते हुए उनका श्रृंगार काली-पीली सरसो व गुलाब की पंखुडिय़ों से करते हुए यही प्रार्थना की गई कि देश में अमन, चैन कायम रहे और कांवडिय़ों को यात्रा सुगमता के साथ पूर्ण हों।
मिली जानकारी के अनुसार गुरु गोरखनाथ आराध्य दर्पण द्वारा पूर्णिमा से शिवरात्रि तक भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने का संकल्प भोलेनाथ की इच्छा से लिया गया था। इसी कड़ी में रोजाना अलग-अलग द्रव्यों से भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज नया बांस नदी रोड स्थित महाविद्या त्रिपुर बाला सुंदरी सिद्धपीठ में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनका काली सरसो के तेल से रुद्राभिषेक किया गया। सरसों के तेल से अभिषेक करते हुए भोले बाबा से प्रार्थना की गई कि देश में अमन-चैन कायम रहे और देश के जो भी शत्रु हैं, उनसे देश को आजादी मिले। इसके साथ ही कांवडिय़े अपनी यात्रा सुगमतापूर्वक सम्पन्न करे और उन्हें कोई भी कष्ट न हो, यही प्रार्थना भोलेनाथ से की गई। मान्यता है कि शनिवार के दिन यदि भोलेनाथ का सरसो के तेल से अभिषेक किया जाये, तो भोलेनाथ के साथ ही शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। यदि जन्म कुंडली में शनिदेव कुछ बुरा फल दे रहे हैं, तो भोलेनाथ के अभिषेक से शनि देव से संबंधित सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान भोलेनाथ को शनिदेव का गुरू कहा गया है और यह भी वर्णन मिलता है कि भोलेनाथ की कृपा से ही शनिदेव को मनुष्य के कर्मों के अनुसार फल देने का अधिकार प्राप्त हुआ है। हनुमान जी और भोलेनाथ की शरण में जो भी चला जाता है, उसे कभी भी शनि, राहू व केतु देव के विपरीत होने पर भी बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता। रुद्राभिषेक के बाद भगवान भोलेनाथ को त्रिपुंड लगाते हुए शिवलिंग पर ओम बनाया गया। भोलेनाथ को गुलाब के पुष्प, बेल पत्र, भांग, धतूरा, आक्खे का पत्ता, शमी के पौधे अर्पित किये गये और उसके बाद काली व पीली सरसो से भोलेनाथ का श्रृंगार किया गया। पंडित कृष्ण दत्त शास्त्री व कर्मकांड विशेषज्ञ तथा ज्योतिषविद् पंडित शिवम शास्त्री द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच रुद्राभिषेक की प्रक्रिया पूर्ण विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराई गई। इस दौरान मुख्य रूप से गुरु गोरखनाथ आराध्य दर्पण के संस्थापक मनोज सैनी, साधक प्रवीण, संजय बंसल, राजेश पाराशर, संदीप चौधरी आदि मौजूद रहे।