दफ्तर या दुकान के बगेर ही कागजों में खरीदकर बेच दी 25 करोड की सुपारी

दफ्तर या दुकान के बगेर ही कागजों में खरीदकर बेच दी 25 करोड की सुपारी

कानपुर। जीएसटी की छापेमारी के दौरान हुए खुलासे में एक सुपारी कारोबारी ने बिना दफ्तर या दुकान के 25 करोड रूपये की सुपारी कागजों में खरीदी और उसे कागजों में ही बेच दिया। जिस फर्म से यह सुपारी खरीदी गई थी कागजों में उसे ही बेच भी दिया। करोड़ों के वारे-न्यारे का यह खेल ई-वे बिल, फास्टैग और आरएफआईडी के माध्यम से की गई वाहनों की ट्रैकिंग के जरिए पकड़ा गया है। जांच में अभी तक तकरीबन डेढ़ करोड रुपए के राजस्व की क्षति का अनुमान लगाया गया है। विभाग की ओर से थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।




दरअसल कानपुर के ट्रांसपोर्ट नगर की आदित्य कारपोरेशन फर्म ने सुपारी की खरीद-फरोख्त के लिए जीएसटी विभाग में अपना पंजीकरण कराया था कि यह फर्म सेंट्रल जीएसटी के अधिकार क्षेत्र में आती है। फर्म ने सुपारी की खरीद असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गुजरात से होना दिखाई है। जीएसटी की जांच में सामने आया है कि यह फर्म्स इन राज्यों से सुपारी की खरीद होना दिखा रही थी। बाद में उन्हीं राज्यों की दूसरी फर्मों को वह सुपारी की आपूर्ति भी कर रही थी। विभागीय अधिकारियों को शक हुआ कि आखिर एक राज्य का कोई कारोबारी अपने ही राज्य के दूसरे व्यापारी से माल सीधे ना खरीदकर कानपुर की फर्म के माध्यम से क्यों खरीद रहा है। जब मामले की जांच हुई तो सारी पोल पट्टी खुल गई। इस दौरान पता चला कि यह फर्म फर्जी नाम और पते के आधार पर चल रही थी और फर्म का कोई बिजनेस या ऑफिस नहीं है। फर्म ने 2 साल के भीतर 25 करोड रूपये की सुपारी की खरीद-फरोख्त दिखाई है। हैरानी की बात यह है कि जिस फर्म से सुपारी खरीदी गई है, कागजों में उसी फर्म को बेच भी दिया। बताया जाता है कि यह खेल ई-वे बिल, फास्टैग और आरएफआईडी से वाहनों की की गई ट्रैकिंग के जरिए पकड़ा गया है। जांच में अभी तक 1.33 करोड रुपए के राजस्व की क्षति का अनुमान लगाया गया है। जीएसटी के अधिकारियों ने कल्याणपुर थाने में इस संबंध में मुकदमा दर्ज करा दिया है।

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