शिकायतों के निस्तारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एएसपी राजेश कुमार सिंह

शिकायतों के निस्तारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एएसपी राजेश कुमार  सिंह
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लखनऊ। किसी अफसर के मातहत की कार्यशैली अच्छी हो तो उस अफसर से मिलने आने वाले फरियादियों की समस्या का समाधान उनसे बिना मिले ही हो जाता है जिससे उस अफसर को काम करने का अतिरिक्त समय मिल जाता है वहीं पीड़ित को भी बिना अफसर की इंतज़ार किये त्वरित न्याय की उम्मीद बनी रहती है। ऐसे ही मातहत अफसर है एडीजी कानून एवं व्यवस्था के स्टाफ अफसर राजेश कुमार सिंह ।

डीजीपी मुख्यालय में अपर पुलिस महानिदेशक की तैनाती कानून एंव व्यवस्था की तैनाती महत्त्वपूर्ण होती है इस समय लगभग एक साल से इस पद पर तेजतर्रार अफसर आनंद कुमार तैनात है वही उनके स्टाफ अफसर के रूप में एएसपी राजेश कुमार सिंह कार्य कर रहे है। मुज़फ्फरनगर, शामली, बिजनोर ,लखनऊ, बाराबंकी जैसे जिलो में गुड पुलिसिंग कर चुके राजेश कुमार सिंह के नाम 20 से ज्यादा कुख्यात बदमाशो के एनकाउंटर भी दर्ज है। उनकी गुड पुलिसिंग का ही कारण है कि जिस भी जनपद में वो तैनात रहे वहां की जनता आज भी उनसे जुड़ी रहती है उसकी वजह है कि जब वो जान लेते है कि इस पीड़ित के साथ अन्याय हुआ है तो वो दबंग तरीके से उसे इंसाफ दिलाने के लिए सफल प्रयास करते है यही कारण है कि वो अपनी तैनाती वाले स्थानों पर आम जनता में अपनी पहचान बना लेते है अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह 6 जुलाई से एडीजीपी लॉ एंड आर्डर आनंद कुमार के स्टाफ अफसर के रूप में काम कर रहे है राजेश कुमार सिंह एडीजी कानून व्यवस्था के ऑफिस में मिलने आने वाले जनप्रतिनिधियों गणमान्य लोगों एवं मीडिया से समन्वय बनाकर रहते हैं अगर एडीजी आनंद कुमार किसी मीटिंग ने व्यस्त हैं तो अधिकतर गणमान्य लोग राजेश कुमार सिंह को ही अपनी समस्या बता देते हैं और राजेश कुमार सिंह बाद में उनकी शिकायतों को एडीजी आनंद कुमार के समक्ष रख देते हैं जिस पर कार्यवाही के लिए जनपदों को लिखा जाता है वैसे तो डीजीपी मुख्यालय में जनसुनवाई के लिए आईजी लोक शिकायत की तैनाती रहती है कभी कभी आईजी लोक शिकायत किसी मीटिंग में होने अथवा मुख्यालय से बाहर होने की दशा में कई फरियादी अक्सर एडीजी कानून एंव व्यवस्था के दफ्तर में इस उम्मीद से आते हैं कि उनके साथ न्याय होगा एडीजी के स्टाफ अफसर राजेश कुमार सिंह ऐसे लोगों की समस्याओं को समझ कर संबंधित अफसर को फोन कर पीड़ित की समस्या के निस्तारण के लिए फोन करने के साथ-साथ उसके पत्र पर बाद में एडीजी कार्यालय से कार्रवाई के लिए लिखकर भी भेज देते है।अक्सर कई लोग बाद में उन्हें थैंक्यू बोलने भी आते है।

मुजफ्फरनगर के चरथावल के नवाब का मुकदमा डीजीपी मुख्यालय की शिकायत प्रकोष्ठ से जांच में प्रकरण सही पाए जाने और डीजीपी मुख्यालय से आदेश होने के बाद भी स्थानीय पुलिस द्वारा मुकदमा पंजीकृत नहीं किया जा रहा था ऐसे में वह राजेश कुमार सिंह से मिला तो उन्होंने जांच रिपोर्ट के आधार पर मुजफ्फरनगर पुलिस को मुकदमा दर्ज करने को कहा उनके कहने के बाद 6 महीने से लगातार पुलिस अफसरों के चक्कर काट रहे नवाब का मुकदमा का दर्ज हो पाया। ऐसे बहुत सारे प्रकरण अक्सर एडीजी ऑफिस में देखने को मिलते हैं

अगर एडीजी आनंद कुमार कही व्यस्त है अथवा मुख्यालय से बाहर है तो एएसपी राजेश कुमार की व्यवहार कुशलता एवं कार्यशैली से कई गणमान्य अपनी समस्याएं उन्हीं को बता देते हैं ।

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