भाजपा की डोर सुलझाएंगे अरुण सिंह

भाजपा की डोर सुलझाएंगे अरुण सिंह

नई दिल्ली। अब समझ में आने लगा है कि भाजपा का आपरेशन एमपी क्यों सफल हो गया जबकि उसी सिद्धांत पर चलाया गया आपरेशन राजस्थान सफल नहीं हो पाया। इसका कारण है कि मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन की डोर सुलझी हुई थी और जैसे ही लोटा बांधकर कुएं में डाला गया, वो सीधे पानी के तल तक पहुंच गया। भाजपा ने डोर खींची और जल से भरा लोटा बाहर आ गया। शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता की प्यास बुझाई और कमलनाथ आज भी उसी लोटे भर जल को तलाश रहे हैं। इसके विपरीत भाजपा ने राजस्थान के सत्ता कूप में लोटा बांधकर लटकाया तो उसकी डोर ही उलझ गयी। इस बीच हलचल मच गयी और अशोक गहलोत ने कुएं में फौरन जाल डाल दिया। मजबूर होकर भाजपा को खाली लोटा कुएं से बाहर निकालना पड़ा।

भाजपा की वही डोर अबतक उलझी हुई है। राजस्थान प्रदेश भाजपा में उठा लेटर बम का बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा में बोलने का मौका नहीं देने को लेकर 20 विधायकों की चिट्ठी के मामले का साया गत 23 फरवरी को प्रदेश बीजेपी की कोर कमेटी में भी देखा गया। बैठक में शामिल होने आये पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने इस तरह की कोई भी चिट्ठी मिलने की बात से इनकार किया है लेकिन बताया गया कि प्रदेश प्रभारी नाराज विधायकों से बात करेंगे।यह भी कहा गया कि विधायकों को अरुण सिंह ने मिलने के लिए बुलाया है। अरुण सिंह ने विरोधी बयानबाजी न करने की नसीहत भी दी थी। प्रदेश प्रभारी ने ये नसीहत प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद बीजेपी नेताओं को दी थी। नसीहत के बाद ही अशोक परनामी, यूनुस खान,प्रताप सिंह सिंघवी और नरपत सिंह राजवी ने अरुण सिंह से मुलाकात की थी।

बताया जाता है कि विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विधायकों को सदन में अपने क्षेत्र की समस्याओं पर बोलने का मौका नहीं दिया था। इसबात की शिकायत उन विधायकों ने लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से की थी। यह बात मीडिया तक पहुंच गयी। इससे पता चलता है कि राजस्थान में भाजपा की डोर उलझी हुई है।

भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने पहले तो चिट्ठी मिलने की बात से ही इनकार किया था। बाद में उन्होंने कहा कि चिट्ठी में क्या कंटेट हैं और किन लोगों के हस्ताक्षर है, ये देखा जाएगा। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुये सिंह बोले कि ये हमारी कार्य पद्धति नहीं है। किसी व्यक्तिगत बात को लेकर कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे पार्टी का अहित हो। कभी भी व्यक्ति द्वारा खुद को उठाने के बजाय पार्टी को उठाने की बात की जानी चाहिये।

उन्होंने कहा कि सभी नेताओं को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिये जिससे पार्टी को नुकसान हो। अरुण सिंह ने कहा कि सभी को पता है कि किन बातों से पार्टी को नुकसान होगा। पार्टी के नेतृत्व को कोई ललकार नहीं सकता। पार्टी का सामूहिक नेतृत्व है। उन्होंने कहा कि पत्र मिलने दीजिये उसका कंटेट देखेंगे। अगर कोई गड़बड़ करता है तो उसे बुलाएंगे, समझाएंगे और डांटेंगे भी। अगर चिट्ठी लिखी गई है तो वाकई इस तरह सामूहिक रूप से नहीं करना चाहिये। किसी को कोई परेशानी है तो अलग से बात करनी चाहिये।

मजे की बात देखिए। अपना सिक्का खोटा और गलती दे रहे परखने वाले की। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि पार्टी में गुटबाजी मीडिया की देन है। इतनी बड़ी पार्टी है । ऐसी बातें होती ही रहती है। इसे गुटबाजी से नहीं जोड़ना चाहिये। हमारा एक ही गुट है बीजेपी। उपचुनाव को लेकर सिंह ने कहा कि पार्टी में सभी नेता एक साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं और हम चुनाव जीतेंगे। ध्यान रहे कि पार्टी मुख्यालय में बैठक खत्म होने के बाद देर शाम को प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने चिट्ठी बम से जुड़े हुए कुछ विधायकों को तलब किया था। उस दिन अरुण सिंह से मिलने वाले विधायकों ने इसे कर्टसी कॉल का नाम दिया था।

भारतीय जनता पार्टी में 'चिट्ठी बम' का धमाका करने वाले विधायकों से पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने अलग से बात की है। अरुण सिंह ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को एमएनआईटी के गेस्ट हाउस में बुलाकर बातचीत की। इस दौरान प्रताप सिंह सिंघवी, नरपत सिंह राजवी और कालीचरण सराफ अलग-अलग जाकर प्रदेश प्रभारी से मिले। इसके साथ ही वसुंधरा राजे कैंप के नेताओं में शुमार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री यूनुस खान और पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने भी अरुण सिंह से अलग से मुलाकात की। एमएनआईटी गेस्ट हाउस में हुई मुलाकात के दौरान इन नेताओं ने संगठन पर वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को दरकिनार किए जाने के आरोप लगाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा की नेतृत्व को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि पार्टी में काम सही तरीके से चल रहा है या नहीं। वहीं, यूनुस खान और अशोक परनामी ने तो अरुण सिंह से अलग से तकरीबन एक घंटे तक मुलाकात की। इस दौरान वरिष्ठ नेताओं ने 8 मार्च से होने वाली वसुंधरा राजे की धार्मिक यात्रा के आयोजन पर भी बातचीत की। कोर ग्रुप की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान धार्मिक यात्राओं को साधु संतों का काम बताने वाले अरुण सिंह ने इस यात्रा पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन अरुण सिंह ने उनसे मुलाकात करने वाले पार्टी के सभी नेताओं को इस बात की हिदायत तो जरूर दी की वरिष्ठ नेताओं को संगठन को नुकसान पहुंचाने वाला कोई बयान नहीं देना चाहिए।

अरुण सिंह ने कहा कि नेता तो जनता के बीच जाएंगे ही क्योंकि उनका काम पार्टी का जनाधार बढ़ाना है। ऐसे में धार्मिक यात्रा से किसी को रोकने का तो सवाल ही नहीं उठता। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि पार्टी धर्म या धार्मिक यात्रा से इंकार नहीं करती. लेकिन उसका दायरा पार्टी के अनुशासन से बाहर नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही विधानसभा में मुद्दे नहीं उठाने देने को लेकर लिखे गए पत्र पर अरुण सिंह ने विधायकों से 'आइंदा भविष्य में इस तरह की गलती नहीं दोहराने की बात भी कही। वहीं, पार्टी के मुद्दों पर बढ़-चढ़कर बयान देने वाले नेताओं पर अरुण सिंह की हिदायत का असर भी दिखा। लिहाजा प्रदेश प्रभारी से मुलाकात के बाद चिट्ठी बम का धमाका करने वाले विधायक भी ज्यादा बोलने से बचते दिखे।

अरुण सिंह से मुलाकात के बाद ज्यादातर नेताओं का कहना था कि उनका प्रदेश प्रभारी से पुराना परिचय है, लिहाजा शिष्टाचार भेंट हुई और इस दौरान पुराने दिनों की यादें ताजा कीं। छाबड़ा विधायक और चिट्ठी लिखने में अगुवाई करने वाले प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि अरुण सिंह से उन्होंने भी शिष्टाचार भेंट की।

इस दौरान अरुण सिंह ने उनके निर्वाचन क्षेत्र और उनके अनुभव के बारे में जाना। सिंघवी ने अरुण सिंह को बताया कि उनके पिताजी ने भैरोंसिंह शेखावत के लिए अपनी सीट छोड़ी थी। सिंघवी ने कहा कि प्रदेश प्रभारी से उनकी पत्र को लेकर ज्यादा बातचीत नहीं हुई। इस तरह लगता है कि प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने लेटर बम को फिलहाल निष्क्रिय कर दिया है। (हिफी)

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