बिना अनुमति कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर होगी नियमानुसार कार्यवाही

लखनऊ। प्रदेश के राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन एवं शैक्षिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए इन विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों से सम्बंधित प्रकरणों के निस्तारण एवं विद्यालयों के नियमित पर्यवेक्षण के सम्बंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा0 महेन्द्र देव ने समस्त संयुक्त शिक्षा एवं उप शिक्षा निदेशक, जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिये हैं। निर्देशों के क्रम में मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक एवं मण्डलीय उप शिक्षा निदेशक सप्ताह में 03-03 विद्यालयों का निरीक्षण एवं जिला विद्यालय निरीक्षक सप्ताह में 06 विद्यालयों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। उन्होंने कहा कि कतिपय शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी सक्षम प्राधिकारी की लिखित अनुमति प्राप्त किये बिना विद्यालय अवधि में विद्यालय से चले जाते हैं, जिसके कारण विद्यालयों में पठन-पाठन प्रभावित होता है तथा शैक्षिक कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जारी निर्देशों के क्रम में प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक की लिखित अनुमति प्राप्त किये बिना कोई अध्यापक, कर्मचारी विभाग के किसी अन्य अधिकारी एवं कार्यालय से किसी भी प्रकार का सम्पर्क स्थापित नहीं करेगा। कोई भी अध्यापक बिना संस्था प्रधान की अनुमति के विद्यालय में उपस्थित होने पर विद्यालय समय के अन्तर्गत विद्यालय नहीं छोड़ेगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने निर्देशित किया है कि जनपद, मण्डल स्तर पर शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के सेवा सम्बन्धी प्रकरण प्राप्त होने पर प्राप्ति की तिथि से एक सप्ताह में नियमानुसार कार्यवाही कर निस्तारण कराना सुनिश्चित करें। प्रधानाचार्याे द्वारा विद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के विद्यालय अवधि में जाने-आने हेतु गमनागमन पंजिका तैयार की जाय, जिसमें विद्यालय अवधि में जाने पर प्रत्येक शिक्षक एवं कर्मचारी से जाने-आने का समय एवं उद्देश्य व कारण को अंकित कर हस्ताक्षर कराया जाय।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने कहा कि प्रदेश के राजकीय एवं सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के कार्यालयों में आने वाले आगन्तुकों हेतु कार्यालय स्तर पर आगन्तुक पंजिका बनायी जाय, जिसमें अनुमति प्राप्त शिक्षक एवं कर्मचारियों के विवरण के साथ ही उनके आने के उद्देश्य व कारण को अंकित कराया जाय एवं प्रकरणों के निराकरण हेतु विद्यालय अवधि के पश्चात का समय निर्धारित करें। इस व्यवस्था का मण्डल व जनपद स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार भी कराया जाय। इसी तरह मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व मण्डलीय उप शिक्षा निदेशक द्वारा अपने पर्यवेक्षण के दौरान विद्यालयों के गमनागमन पंजिका एवं अधीनस्थ कार्यालयों के निरीक्षण के समय आगंतुक पंजिका का भी अवलोकन करते हुए प्रकरणों के निस्तारण की भी समीक्षा की जाय।
उन्होंने निर्देशित किया है कि सक्षम प्राधिकारी की अनुमति प्राप्त किये बिना, यदि कोई शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी विभाग के अधिकारी व कार्यालय के समक्ष उपस्थित होता है और इसकी पुष्टि होने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाये।